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निकाय चुनाव: बुंदेलखण्ड में दिलचस्प होगी लड़ाई, आधी आबादी में सीधी टक्कर

locationचित्रकूटPublished: Oct 09, 2017 10:38:46 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

चुनावी विश्लेषक अभी से संभावित प्रत्याशियों को हार जीत की गुणा गणित से आगाह करते हुए उन्हें मैदान में उतरने का गुरुमंत्र दे रहे हैं.

Nigam Election

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चित्रकूट. प्रदेश में नगर निकाय चुनाव 2017 का शंखनाद लगभग हो चुका है. सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों तथा इनके तहत आने वाले वार्डों की आरक्षण सूची भी जारी कर दी गई है. कई सीटों पर आरक्षण की गुणा गणित ने निकाय चुनाव के महारथियों को मायूस कर दिया है और अब खुद की जगह अपने प्यादों को चुनाव की शतरंजी बिसात पर उतारने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं जिन इलाकों में सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई है वहां के राजनीतिक लालसा वाले परिवारों में बड़े बुजुर्ग पतिदेव घर की महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारने के मन्थन में जुट गए हैं. कई परिवार तो ऐसे हैं की उन्हें लड़ना ही है चुनाव चाहे वार्ड में हाँथ आजमाएं चाहे नगर पंचायत या पालिका में लेकिन लड़ना है तो लड़ना है. कुछ ऐसा ही दिलचस्प होने जा रहा है नगर निकाय चुनाव.
बात यदि बुन्देलखण्ड की करें तो इस बार यहां आधी आबादी यानि स्त्री शक्ति चुनाव मैदान में अपना दमखम दिखाएंगी. बुन्देलखण्ड में लगभग सभी नगर पंचायत नगर पालिका व नगर निगम के तहत आने वाले वार्डों की आरक्षण व्यवस्था में महिलाओं का ख्याल रखा गया है. चुनावी विश्लेषक अभी से संभावित प्रत्याशियों को हार जीत की गुणा गणित से आगाह करते हुए उन्हें मैदान में उतरने का गुरुमंत्र दे रहे हैं. पुराने वार्ड मेंबर नगर पंचायत व पालिका अध्यक्ष जो इस बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे (आरक्षण सूची की वजह से) वे किंग मेकर की भूमिका निभाने को तैयार हैं. भौकाल कुछ ऐसा कि जिस पर हाँथ रख देंगे उसकी जीत पक्की होगी, कुछ ऐसा ही माहौल तैयार हो रहा निकाय चुनाव को लेकर.
नगर निकाय चुनाव 2017 की रणभेरी बज चुकी है. चुनावी बाज़ीगर आरक्षण सूची का प्रिंट आउट निकलवाए हुए पूरे क्षेत्र की गुणा गणित सेट करने में जुटे हैं. सपा बसपा कांग्रेस और वर्तमान में दोनों हांथों में लड्डू लिए विपक्षियों को मुंह चिढ़ाती भाजपा खेमें में चुनावी योद्धाओं का आवागमन बदस्तूर जारी है. आरक्षण के हिंसाब से संभावित प्रत्याशी सिम्बल लेने के लिए जोर आजमाइश पैरोकारी की सेटिंग में लग गए हैं. चित्रकूटधाम मण्डल के तहत चित्रकूट के मानिकपुर व् राजापुर नगर पंचायत के कुल 24 वार्डों में 8 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं जिनमे अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग(महिला) व् महिला (सामान्य वर्ग) इस चुनावी समर में अपनी किस्मत आजमाएंगी. इसी तरह चित्रकूटधाम नगर पालिका परिषद के कुल 25 वार्डों में 9 वार्ड महिलाओं के कब्जे में होंगे जिनमें महिला(सामान्य वर्ग) अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्ग की महिलाएं उन अपने वार्डों का प्रतिनिधित्व करेंगी.
महिलाओं को भी लगभग 38 प्रतिशत सीटें मिली हैं

मंडल के बांदा जनपद की स्थानीय निकायों में लगभग 39 प्रतिशत सामान्य वर्ग के सदस्यों को निकायों में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा. महिलाओं को भी लगभग 38 प्रतिशत सीटें मिली हैं चुनावी मैदान में उतरने के लिए. जिले की दो नगर पालिका परिषद(बाँदा व् अतर्रा) और 6 नगर पंचायतों के तहत कुल 121 वार्डों में आरक्षण का ख़ाका तैयार किया गया है. बांदा नगर पालिका परिषद के 31 वार्डों में 13 अनारक्षित हैं. महिला के लिए 6, पिछड़ा वर्ग के लिए 5, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 3 और अनुसूचित जाती तथा अनुसूचित जाति महिला के लिए 2-2 वार्ड आरक्षित किए गए हैं. अतर्रा नगर पालिका परिषद के कुल 25 वार्डों में 8 वार्ड अनारक्षित हैं जबकि महिलाओं के लिए 5 , पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के लिए 4-4 , अनुसूचित जाति महिला व् पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 2-2 वार्ड आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए 4 वार्ड आरक्षित किए गए हैं. इसी प्रकार नरैनी नगर पंचायत के कुल 12 वार्डों में 5 अनारक्षित किए गए हैं, महिला व् पिछड़ा वर्ग के लिए 2-2 , अनुसूचित जाति , पिछड़ा वर्ग महिला और अनुसूचित जाति महिला के लिए एक एक वार्ड आरक्षित किया गया है.
बबेरू नगर पंचायत के 12 वार्डों में 5 अनारक्षित, महिला व् पिछड़ा वर्ग के 2-2 , अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्ग महिला और अनुसूचित जाति महिला के लिए एक एक वार्ड आरक्षित है. बिसंडा नगर पंचायत के 10 वार्डों में 4 अनारक्षित, अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के लिए दो दो तथा पिछड़ा वर्ग महिला अनुसूचित जाति महिला और पिछड़ा वर्ग के लिए एक एक वार्ड आरक्षित है. तिंदवारी, ओरन और मटौंध नगर पंचायतों में कुल 10 -10 वार्ड हैं. इन नगर पंचायतों में 4-4 वार्ड अनारक्षित हैं. दो महिला के लिए, और एक एक अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्ग महिला अनुसूचित जाति महिला तथा पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित किए गए हैं.
निकाय चुनाव के तहत वार्डों की आरक्षण सूची से यह स्पष्ट है कि महिलाओं के बीच कांटे की टक्कर होगी.38 फीसदी वार्डों में आधी आबादी का कब्जा होगा. जातीय समीकरण भी हार जीत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. यूपी व् केंद्र में सत्तासीन बीजेपी जहाँ उत्साह की स्थिति में है वहीं सपा बसपा और कांग्रेस निकाय चुनाव के बूते अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का सपना देख रहे हैं. आरक्षण व्यवस्था से इतना तो तय है कि अब निकाय चुनाव में स्थानीय मोहल्लों कस्बों की समस्याओं के इतर जातीय फैक्टर भी गुणा गणित में अपना उचित स्थान बनाएगा.

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