चित्रकूट

सरकार के सारे दावे फेल, सात सालों से नहीं हो रहा पुल का निर्माण

सिस्टम की उदासीनता के चलते यमुना नदी पर विगत 7 वर्षों से निर्माणाधीन सेतु अभी अपने बचपने में ही अंगड़ाई ले रहा है।

चित्रकूटSep 17, 2018 / 12:31 pm

आकांक्षा सिंह

सरकार के सारे दावे फेल, सात सालों से नहीं हो रहा पुल का निर्माण

चित्रकूट. सिस्टम की उदासीनता के चलते यमुना नदी पर विगत 7 वर्षों से निर्माणाधीन सेतु अभी अपने बचपने में ही अंगड़ाई ले रहा है। निर्धारित समयावधि के अनुसार अभी तक इस पुल को यौवनावस्था प्राप्त करते हुए अपने मजबूत पिलर पर खड़ा हो जाना चाहिए लेकिन भला हो व्यवस्था के जिम्मेदारों का जिनकी रहनुमाई के चलते सेतु निर्माण का कार्य 10 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया। अलबत्ता भ्रष्टाचारियों की तिजोरियां जरूर गर्म हुईं। अब जब सूबे का निजाम बदला है तो इस निजाम के लम्बरदार भी ताल ठोंक रहे हैं यह कहते हुए कि पुरानी कहानी छोड़िए अब हमारी सरकार में इस पर से जनता कदमताल करके रहेगी।

करोड़ों की लागत फिर भी अभी तक काम शून्य
जनपद के मऊ विकास खण्ड स्थित यमुना नदी के इस पार से उस पार पर स्थित पड़ोसी जनपद कौशाम्बी को जोड़ने हेतु बसपा सरकार में वर्ष 2011में 49।5400(करोड़) का बजट स्वीकृत हुआ था। सेतु निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम को दी गई। आज 7 वर्षो के बाद भी धरातल पर कार्य शून्य है। लगभग 32 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं अभी तक। 2020 की तक समयावधि बढ़ा दी गई है। आंकड़ो में कार्य 29 प्रतिशत पूर्ण दिखाया जा रहा है।

आंदोलन हुए शिकायतें हुई फिर भी कोई सुधार नहीं
स्थानीय बाशिंदों ने मई 2015 में वृहद स्तर पर पुल निर्माण की कच्छप गति व् निर्माण कार्य में उदासीनता के मसले को लेकर मऊ तहसील में एसडीएम कार्यालय के सामने कई दिनों तक धरना प्रदर्शन व् क्रमिक अनशन किया था जिसपर अधिकारीयों ने अनशनकारियों को निर्माण कार्य में तेजी लाने का आश्वासन दिया। तत्कालीन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे युवा समाजसेवी अभिषेक द्विवेदी ने बताया कि पुल का निर्माण इतनी धीमी गति से हो रहा था कि सन 2015 तक भी इसके पिलर खड़े नहीं हो पाए जिसको लेकर उन लोगों ने आंदोलन किया था लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। एक अन्य युवा समाजसेवी शिव शरण ने बताया कि 2011 से इसका निर्माण चल रहा है और 2015 तक इसके बनने की समयसीमा निर्धारित थी लेकिन इतनी धीमी गति व् लापरवाही से निर्माण कार्य हो रहा है कि समयावधि बढ़ती चली जा रही है। युवा समाज सेवी के मुताबिक इस मामले को लेकर उसने स्थानीय प्रशासन से लेकर जनसुनवाई के तहत शिकायत की है जिसपर फिर से आश्वासन दिया गया है कि निर्माण कार्य में तेजी लाई जाएगी।


नाव हैं आवागमन का साधन लोगों को होती है खासी दिक्कते
पुल न बनने से प्रतिदिन सैंकड़ों लोग इस पार से उस पार और उस पार से इस पर अपने गंतव्यों के लिए उतरते हैं और नाव ही इस मार्ग पर आवागमन का साधन हैं। बाढ़ के दिनों में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मजबूरन लोगों को मऊ से राजापुर(चित्रकूट) होते हुए लगभग 60 से 65 किलोमीटर दूरी तय करते हुए कौशाम्बी जाना पड़ता है और इसी तरह कौशाम्बी से चित्रकूट आना पड़ता है।


पुरानी कहानी छोड़िए हमारी सरकार में हो रहा काम
इस बीच सत्ता के मखमली गद्दे पर अंगड़ाई ले रहे वर्तमान निजाम के रहनुमाओं की कुछ दूसरी ही दलील है। पत्रिका ने जब इस पूरे मसले पर चित्रकूट बांदा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद भैरव प्रसाद मिश्रा का ध्यानाकृष्ट कराते हुए इस तरह से सेतु निर्माण कार्य की कच्छप गति के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि पिछली सरकारों में काम नहीं हुआ लेकिन हमारी सरकार में कुछ तेजी आई है हालांकि बार बार कार्यदायी एजेंसी को निर्देश के बावजूद भी कोई विशेष सुधार नहीं हुआ फिर भी लगातार चेतावनी दी जा रही है कार्य में तेजी लाने को लेकर। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर हर जगह इस मुद्दे को उठाया गया है और उम्मीद है कि हमारी सरकार में ये काम पूरा हो जाएगा। वहीँ सेतु निगम के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर सुरेश चंद्रा का कहना है कि उन्होंने अभी चार्ज संभाला है मार्च 2020 तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।

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