अयोध्या ही नहीं, यहां भी बसते हैं भगवान श्रीराम
भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवनी बुधवार को पूरे देश में हर्षोंल्लास से मनाई गई। भगवान राम का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो, लेकिन पिता दशरथ की आज्ञा से वह 14 वर्षों के वनवास पर चले गए।

चित्रकूट. भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवनी बुधवार को पूरे देश में हर्षोंल्लास से मनाई गई। भगवान राम का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो, लेकिन पिता दशरथ की आज्ञा से वह 14 वर्षों के वनवास पर चले गए। उन्होंने वनवास काल के साढ़े 11 साल तपोभूमि चित्रकूट में बिताए। इसी लिए कहा गया है कि चित्रकूट के कण-कण में भगवान श्रीराम और माता सीता बसती हैं। कई महान ऋषियों की तपोस्थली चित्रकूट के कण-कण में बसते हैं श्री राम, तभी तो श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है, 'चित्रकूट में बस रहे रहिमन अवध नरेश, जापर विपदा पड़त है, एसो आवे यही देशÓ यानी चित्रकूट में श्री राम हमेशा निवास करते हैं और जिसके ऊपर विपदा पड़ती है वह उससे मुक्त होने के लिए चित्रकूट आता है।
पवित्र मन्दाकिनी नदी

प्राकृतिक सुंदरता की चादर ओड़े चित्रकूट में न जाने ऐसे कितने स्थान हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं की कभी वहां पर किन्हीं दिव्य शक्तियों का निवास था और ये शक्तियां थीं श्री राम व माता जानकी की। कहा जाता है कि चित्रकूट के जिस भी स्थान पर भगवान श्री राम ने विचरण किया, उन स्थानों पर आज भी एक परम आध्यात्मिक अनुभूति महसूस की जाती है। श्री रामचरितमानस में लिखा गया है कि जब चित्रकूट में माता जानकी का निवास था और वे वनों में विचरण करती थीं तो उनके पैरों के नीचे आने वाले कंकण-पत्थर पिघल जाया करते थ। माता जानकी चित्रकूट की पवित्र मन्दाकिनी नदी में जहा स्नान करती थीं, आज उस स्थान को जानकी घाट के नाम से जाना जाता है। खास बात यह कि इस स्थान के पत्थर बिल्कुल वैसे ही पिघले नजर आते हैं, जैसा श्री रामचरितमानस तथा वाल्मीकि रामायण में उल्लेख किया गया है।
राम सैया व लक्ष्मण पहाड़ी
राम सैया वह स्थान है, जहां श्री राम, माता जानकी के साथ विश्राम करते थे। पास में ही स्थित लक्ष्मण पहाड़ी है, जहां से लक्ष्मण श्री राम तथा माता जानकी की सुरक्षा में पहरा देते थे। गुप्तगोदावरी एक ऐसा अद्भुत स्थान है, जो आज भी विज्ञान के लिए पहेली बना हुआ है। इस स्थान पर जो गुफा है वह गर्मी में ठंडी तथा ठंडी में गर्म रहती है। इस गुफा का प्राकृतिक नक्कासी ऐसी है की कोई भी देखकर सोच में पड़ जाए।
मठ-मंदिरों में की गई भगवान राम की आराधना
राम नवमी पर चित्रकूट के विभिन्न मठ-मंदिरों में भगवान राम व माता सीता की आराधना की गई। भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रसिद्ध भगवान कामतानाथ पर्वत की भी पूजा-अर्चना की गई। माना जाता है कि भगवान कामतानाथ श्री राम के प्रसाद के रूप में यहां विद्यमान हैं और लोगों की विपत्तियों को दूर करते हैं।
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