आषाढ़ मास के अमावस्या मेले पर भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक 3 से 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाई।
देर रात से ही उमड़ी आस्थावानों की भीड़
अमावस्या मेले के तहत देर रात से भोर तक हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रेलवे स्टेशन बस अड्डे पर उमड़ पड़ी थी और रामघाट जाने के लिए आतुर दिखी। आस्थावानों का सैलाब पुण्य की डुबकी लगाने को बेताब दिखा। भोर के बाद सुबह से लेकर दोपहर तक ये संख्या लाखों में पहुंचने लगी। विभिन्न राज्यों सहित देश व् प्रदेश के कई हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगा मत्स्यगजेन्द्रनाथ महराज का जलाभिषेक भी किया और तत्पश्चात भगवान कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई।
जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान हुआ वातावरण
लाखों की संख्या में चित्रकूट पहुंचे श्रद्धालुओं के जय श्री राम के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। हर तरफ भक्तों का जत्था भजन कीर्तन करते हुए जहां जहां वनवास काल के दौरान श्री राम ने कुछ समय बिताए थे वहां जाने को आतुर दिखा और ऐसे धार्मिक स्थानों पर पहुंचकर लोगों ने खुद को धन्य समझा।
अमावस्या का है विशेष महत्व
तपोस्थली चित्रकूट में हर माह की अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता और कई धार्मिक ग्रन्थों में विदित है कि वनवास काल के प्रवास के दौरान भगवान श्री राम हर अमावस्या पर मंदाकिनी नदी में स्नान कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते थे। लंका विजय के बाद अयोध्या वापस जाते समय उन्होंने पुनः कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई और वरदान दिया कि अमावस्या के दिन मंदाकिनी स्नान और कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा लगाने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और सारे कष्ट दूर होंगे। इसी मान्यता के तहत हर अमावस्या पर भारी संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचते हैं। दीपावली के दिन तो 70 से 80 लाख आस्थावान तपोभूमि पहुंचते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। चित्रकूट का दीपावली मेला काफी प्रसिद्द है।
आवागमन हेतु रेलवे व् परिवहन विभाग की खास तैयारी
दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को आवागमन में कोई दिक्कत न हो इसके लिए रेलवे व् परिवहन विभाग ने खास तैयारी कर रखी है। रेलवे ने 12 से 14 जुलाई तक कानपुर व् झांसी से मेला स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। इसके साथ कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज भी बढ़ाया गया है।
यात्रियों ने तय किया मौत का सफर
हमेशा की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं ने जान जोखिम में डाल यात्रा की। रेलवे द्वारा मेला स्पेशल ट्रेनों के संचालन व् कई एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टापेज बढ़ाए जाने के बाद भी आस्थावान ट्रेनों की छत पर चढ़कर यात्रा करते नजर आए। हालांकि स्टेशन पर बार बार एनाउंस हो रहा था कि ट्रेन की छत पर चढ़कर यात्रा न करें यह दण्डनीय है और जान के लिए खतरा भी है तो वहीं आरपीएफ व् जीआरपी ऐसे लोगों को रोकने का प्रयास भी करती रही लेकिन अत्यधिक भीड़ के चलते ये सारी कवायदें नाकाफी साबित हुईं।