गौरतलब है कि भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में इस बार बुंदेलखण्ड का भी ध्यान रखा गया है क्योंकि पार्टी ने सन् 2014 के लोकसभा तथा 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव की सभी सीटों पर जीत का परचम लहराया है। पार्टी ने महिला नेत्री को प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपकर बुन्देलखण्ड में महिलाओं को जोड़ने की खास रणनीति तैयार की है।
भाजपा की नवनियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना उपाध्याय को दायित्व मिलने पर भाजपाईयों में खुशी की लहर है क्योंकि बहुत कम ऐसे मौके आए जब महिला नेत्रियों को शीर्ष नेतृत्व में स्थान मिला हो। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर पार्टी की ओर से एक तरह से बिछाई गई इस शतरंजी बिसात पर विपक्षियों को भी खासी मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि विरोधी पार्टियों में भी बुन्देलखण्ड में महिला नेत्रियों की खासी कमी है। और जो हैं भी चाहे वे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष उनका दायित्व नाम भर का है। ऐसे में भाजपा ने एक तेज तर्रार महिला नेत्री को प्रदेश स्तर का दायित्व सौंपकर विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कार्यकर्ताओं के सम्मान से समझौता नहीं दायित्व मिलने के बाद जनपद आगमन पर कार्यकर्ताओं के बीच उन्हें संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना उपाध्याय ने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर न तो जनता और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा सहन की जाएगी। उनकी सरकार और पार्टी जनता के दुःख दर्द उसकी समस्याओं के लिए संघर्ष करने को प्रतिबद्ध है। यूपी सरकार की योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए प्रशासन को सरकार की मंशानुरूप कार्य करना होगा, कार्यकर्ताओं की सुनना होगा।
तेज तर्रार छवि की मानी जाती हैं प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा ने महिला नेत्री रंजना उपाध्याय को यूं ही प्रदेश स्तरीय दायित्व से नहीं नवाजा। दरअसल पर्दा प्रथा वाले बुन्देलखण्ड में सभी राजनीतिक पार्टियों में महिला नेत्रियों की संख्या काफी कम है और चुनाव के वक्त महिलाओं को वोट देने उन्हें जोड़ने के लिए पार्टियों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। क्षेत्र में आज तक महिलाओं को वो स्थान नहीं मिल पाया राजनीतिक क्षेत्र में जिसकी उन्हें दरकार थी। और न ही पार्टियों ने ऐसी कोशिशें भी की। इन सबके बीच भाजपा ने तेज तर्रार और विपक्ष में रहते सत्ता पक्ष के खिलाफ सारे आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वालीं रंजना उपाध्याय को दायित्व सौंपकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं।