चित्रकूट

हर साल अपनी आगोश में लेती है बरदहा नदी, फिर भी पानी के लिए तड़पता है पाठा

जनपद का पाठा क्षेत्र पानी के लिए भले ही तड़पता हो मगर इस क्षेत्र में जल संचयन की काफी उम्मीदें हैं.

चित्रकूटJun 25, 2020 / 01:44 pm

Neeraj Patel

हर साल अपनी आगोश में लेती है बरदहा नदी फिर भी पानी के लिए तड़पता है पाठा

चित्रकूट. जनपद का पाठा क्षेत्र पानी के लिए भले ही तड़पता हो मगर इस क्षेत्र में जल संचयन की काफी उम्मीदें हैं और यदि उनपर अमल किया जाए तो वर्षों से पानी की भीषण विभीषिका से जूझ रहे पाठा को इससे मुक्ति मिल सकती है। हर साल बारिश के मौसम में इलाके की छोटी बड़ी नदियां उफान पर आ जाती हैं जो शायद सिस्टम को संकेत करती हैं कि कमी साधनों की नहीं संसाधनों की है। इसके बावजूद आजादी से लेकर अब तक इस इलाके की पेयजल समस्या दूर न हो सकी बल्कि वादों की वेदी पर समस्या की बलि जरूर चढ़ती रही।

घने जंगलों पहाड़ों बीहड़ों से घिरे पाठा क्षेत्र में बारिश का मौसम कई दुश्वारियां लेकर आता है लेकिन इन दुश्वारियों के बीच कुछ अच्छे संकेत भी होते हैं जिन पर यदि सिस्टम के पहरुए अपनी आंखें खोल लें तो इलाके में पानी की सुरसा रूपी समस्या से निजात पाई जा सकती है। दरअसल इलाके में बारिश के मौसम में यहां की प्रमुख बरदहा नदी अक्सर इठलाने लगती है। सीमा से लगे मध्य प्रदेश में हुई बारिश व कई इलाकों का बरसात का पानी पाठा की इसी नदी में आकर मिल जाता है। इस वजह से बरदहा नदी हर वर्ष बारिश में रह रह रहकर उफान पर आती रहती है। यहां तक कि कई ग्रामीण क्षेत्रों का मुख्य मार्गों से सम्पर्क कट जाता है।

नदी की सीमा रेखा पर करीब दर्जन भर से अधिक ऐसे गांव पड़ते हैं जिनका आवागमन नदी से होकर होता है। इसके लिए छोटे बड़े रपटे आदि बनाए गए हैं लेकिन जब नदी भयंकर उफान पर होती है तो खासी दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं। जहां तक जल संचयन की बात है तो अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए फिर भी इलाके में एकाध बांध आदि बनाने का प्रस्ताव प्रस्तावित है। वहीं कई इलाकों में ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है जब भी नदी का जलस्तर बढ़ता है। इन इलाकों में भी सिस्टम के सेटेलाइट की नज़रें अभी तक नहीं पहुंची हैं।

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