जनता की शिकायतों के लिए सरकार द्वारा विभिन्न माध्यम बनाए गए हैं। जनसुनवाई से लेकर सम्पूर्ण समाधान दिवस के माध्यम से जनता सरकार व प्रशासन के उच्चाधिकारियों तक अपनी बात व् शिकायत पहुंचा सकती है। इन सबके बीच तस्वीरें व् हालात जनता की शिकायतों की वही हैं जिनको न देखने के लिए ये सारे प्रबन्ध किए गए हैं। सम्पूर्ण समाधान दिवस तो तक तक औचित्यहीन साबित होता है जब तक उसमें डीएम और एसपी न पहुंचे। लेकिन उस पर तुर्रा यह कि शिकायतों को फिर उन्ही थाना व् तहसील स्तर पर भेज दिया जाता है निपटारे के लिए जिनको दूर करने की जिम्मेदारी उक्त विभागों के लम्बरदारों पर होती है।
डीएम एसपी के आने पर उमड़ी फरियादियों की भीड़
जनपद के मऊ तहसील में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस में फरियादियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी क्योंकि जनपद के प्रशासनिक विभाग के दो बड़े लम्बरदार इस दिवस पर मौजूद थे। जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर व् पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा से शिकायतकर्ताओं की लम्बी फेहरिस्त ने मुलाकात की। खास बात यह कि प्रांगण में सभी विभागों के अन्य खेवनहार भी बैठे थे लेकिन समस्याग्रस्त व शिकायतकर्ता फरियादी उनके पास फटक भी नहीं रहे थे क्योंकि यदि उन्ही से उनका समाधान हो जाता तो बड़े साहबों से मिलने की जरूरत ही क्या थी।
जनपद के मऊ तहसील में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस में फरियादियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी क्योंकि जनपद के प्रशासनिक विभाग के दो बड़े लम्बरदार इस दिवस पर मौजूद थे। जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर व् पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा से शिकायतकर्ताओं की लम्बी फेहरिस्त ने मुलाकात की। खास बात यह कि प्रांगण में सभी विभागों के अन्य खेवनहार भी बैठे थे लेकिन समस्याग्रस्त व शिकायतकर्ता फरियादी उनके पास फटक भी नहीं रहे थे क्योंकि यदि उन्ही से उनका समाधान हो जाता तो बड़े साहबों से मिलने की जरूरत ही क्या थी।
शिकायतों की फेहरिस्त बोलती है तहसील व् थानों की हकीकत
समाधान दिवस में 208 शिकायतें आईं जिनमें 10 का मौके पर निस्तारण किया गया। सभी 10 शिकायतें पेयजल समस्या से सम्बंधित थीं। डीएम ने अलग अलग टीमों को मौके पर भेजकर सम्बंधित शिकायतों का निस्तारण करवाया। शिकायतों की ये फेहरिस्त थानों व तहसील की हकीकत खुद बयां करती है कि आम दिनों में जनता की कितनी सुनवाई होती है इन स्तरों पर। कई शिकायतों पर डीएम व् एसपी अपने मातहतों को निर्देश देते नजर आए कि अमुक मामले को शीघ्र निस्तारित करते हुए उन्हें अवगत कराएं लेकिन ये तो प्रशासनिक ढांचे का राजकाज हो गया है। कौन शीघ्र निस्तारित करता है और कौन अवगत कराता है? यह भी जग जाहिर है। कई शिकायत तो इसी बात की थी कि तहसील व् थाने वाले सुनते ही नहीं उच्चाधिकारियों के आदेश व् निर्देश के बावजूद भी।
समाधान दिवस में 208 शिकायतें आईं जिनमें 10 का मौके पर निस्तारण किया गया। सभी 10 शिकायतें पेयजल समस्या से सम्बंधित थीं। डीएम ने अलग अलग टीमों को मौके पर भेजकर सम्बंधित शिकायतों का निस्तारण करवाया। शिकायतों की ये फेहरिस्त थानों व तहसील की हकीकत खुद बयां करती है कि आम दिनों में जनता की कितनी सुनवाई होती है इन स्तरों पर। कई शिकायतों पर डीएम व् एसपी अपने मातहतों को निर्देश देते नजर आए कि अमुक मामले को शीघ्र निस्तारित करते हुए उन्हें अवगत कराएं लेकिन ये तो प्रशासनिक ढांचे का राजकाज हो गया है। कौन शीघ्र निस्तारित करता है और कौन अवगत कराता है? यह भी जग जाहिर है। कई शिकायत तो इसी बात की थी कि तहसील व् थाने वाले सुनते ही नहीं उच्चाधिकारियों के आदेश व् निर्देश के बावजूद भी।
कैसे होगा सुधार
तहसील स्तर पर लेखपाल कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, थाने पर कस्बा इंचार्ज, थानाध्यक्ष फिर सीओ, ये सभी बैठाए गए हैं प्रशासनिक दायित्वों की पूर्ति व जनता की समस्याओं के समाधान के लिए लेकिन बावजूद इसके फरियादियों की एड़ियां घिस जाती हैं साहबों के कार्यालयों के चक्कर लगाते लगाते। आखिर स्थानीय स्तर पर इस उदासीनता को दूर करने का क्या उपाय होना चाहिए ये शायद ही कभी सोचा गया हो और तभी तो बड़े साहबों के आने पर लग जाती है फरियादियों की लम्बी भीड़।
तहसील स्तर पर लेखपाल कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, थाने पर कस्बा इंचार्ज, थानाध्यक्ष फिर सीओ, ये सभी बैठाए गए हैं प्रशासनिक दायित्वों की पूर्ति व जनता की समस्याओं के समाधान के लिए लेकिन बावजूद इसके फरियादियों की एड़ियां घिस जाती हैं साहबों के कार्यालयों के चक्कर लगाते लगाते। आखिर स्थानीय स्तर पर इस उदासीनता को दूर करने का क्या उपाय होना चाहिए ये शायद ही कभी सोचा गया हो और तभी तो बड़े साहबों के आने पर लग जाती है फरियादियों की लम्बी भीड़।