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कहीं ऑपरेशन बबुली और सत्ताधारी नेताओं से पंगा तो वजह नहीं एसपी के तबादले की?

locationचित्रकूटPublished: Mar 19, 2018 11:00:24 am

तो क्या नौकरशाही सत्ता के हुक्मरानों की कठपुतली है या फिर दोनों की सेटिंग इस कदर होती है कि नौकरशाह खुद मनचाही जगह अपना तबादला करवा सकते हैं

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चित्रकूट। तो क्या नौकरशाही सत्ता के हुक्मरानों की कठपुतली है या फिर दोनों की सेटिंग इस कदर होती है कि नौकरशाह खुद मनचाही जगह अपना तबादला करवा सकते हैं या लेते हैं? यदि ऐसा नहीं तो क्यों हर बार ऐसे तबादलों में उन महत्वपूर्ण अभियानों से जुड़े अधिकारीयों को धक्का दे दिया जाता है जो काफी हद तक उस अभियान के अंतिम छोर के करीब पहुंचने वाले होते हैं ? अंदर की बात क्या है ये तो सत्ता और नौकरशाही जाने लेकिन ऊपरी तौर पर ऐसे कई उदाहरण पेश किए जा सकते हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं पूरी व्यवस्था में ही छेद है जिसकी भरपाई हमेशा से तबादलों के रूप में की जाती रही है। कुछ ऐसी ही चर्चा हो रही है चित्रकूट एसपी प्रताप गोपेन्द्र के तबादले को लेकर, एसपी के मुताबिक उनके नेतृत्व में जनपद की सबसे बड़ी दस्यु समस्या की कमर तोड़ने में काफी हद तक सफलता पाई गई। इसके बावजूद एसपी को जनपद से रुखसत कर दिया गया, हालांकि कई बार एसपी भी कई मामलों को लेकर चर्चा का विषय रहे लेकिन दस्यु बबुली कोल के खिलाफ जिस तरह से पूरे अभियान को आगे ले जाया जा रहा था उस समय यह तबादला कई सवालात खुद खड़ा कर देता है। ऑपरेशन बबुली को लेकर इधर कुछ दिनों से चर्चाओं का बाजार गर्म है और पूरे ऑपरेशन में एसटीएफ व् जिला पुलिस का आपसी सहयोग न के बराबर रहा है, यहां तक की एसटीएफ ने उच्च स्तर पर भी चित्रकूट पुलिस पर ऑपरेशन बबुली को लेकर सवाल खड़े किए थे। दूसरी तरफ कई बार सत्ताधारी लम्बरदारों से भी एसपी का शीत युद्ध हुआ।


दस्यु गैंग के खिलाफ चलाया अभियान

पाठा के बीहड़ों में दहशत की इबारत लिख चुके साढ़े पांच लाख के इनामी खूंखार डकैत बबुली कोल के खात्में को लेकर खाकी ने लगातार अभियान चलाया एसपी प्रताप गोपेन्द्र के नेतृत्व में और लगभग 15 मुठभेड़ें हो चुकी हैं पिछले एक वर्ष के दौरान। बबुली गैंग के दर्जन भर से अधिक मददगारों डकैतों को सलाखों के पीछे पहुंचाया और कुछ को मुठभेड़ में ढेर(डकैत शारदा कोल) किया गया। जियालाल कोल जैसे कुख्यात डकैत मुठभेड़ में घायल हुए जिन्हें गिरफ्तार किया गया। लगभग दो दर्जन असलहे भी जब्त किए गए गैंग से सम्बंधित। बबुली से ही मुठभेड़ में 2017 की 24 अगस्त को एसआई जेपी सिंह शहीद और बहिलपुरवा एसओ वीरेंद्र त्रिपाठी घायल हो गए थे। हालांकि पुलिस के मुताबिक उक्त मुठभेड़ में गैंग सरगना बबुली और उसका दाहिना हांथ लवलेश भी घायल हो गया था लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण इस बात के खुद खाकी को नहीं मिले आज तक।

ऑपरेशन बबुली को लेकर चर्चा में रही खाकी

कमान संभालने के बाद दस्यु बबुली के खिलाफ अभियान चलाने वाले एसपी प्रताप गोपेन्द्र इस ऑपरेशन को लेकर चर्चा में भी रहे। कई बार दस्यु प्रभावित गांवों के ग्रामीण उनकी चौखट तक पहुंचकर उनसे पुलिस उत्पीड़न की शिकायत की। ऐसे ही एक मामले में पिछले वर्ष 2017 के अगस्त महीने में मानिकपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत दस्यु प्रभावित नागर गांव की महिलाओं ने डकैतों की मदद करने के आरोप में गांव में पुलिसिया कहर का आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद(चित्रकूट बांदा लोकसभा) भैरव प्रसाद मिश्रा के आवास पहुंच गई थीं और उसके बाद एसपी कार्यालय में जमकर धरना प्रदर्शन किया था। इस पूरे मामले को लेकर सांसद और एसपी के बीच जमकर तू तू मैं हुई थी। पुलिस पर उक्त गांव की महिलाओं ने बेरहमी से पिटाई और कई गम्भीर आरोप लगाए थे। अभी दो हफ्ते पहले दस्यु महेंद्र पासी गैंग के सदस्य मम्मी पासी के परिजनों ने गैंग की मदद करने के आरोप में पुलिस के उत्पीड़न की शिकायत एसपी से उनके कार्यालय में की थी हालांकि दो दिन बाद मम्मी पासी को मऊ थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसा कई बार हुआ जब खाकी पर इस तरह के आरोप लगे दस्यु उन्मूलन अभियान के तहत।

एसटीएफ और खाकी के बीच दूरी

आमतौर पर किसी भी विशेष ऑपरेशन के लिए एसटीएफ अपनी शर्तों पर काम करती हैं लेकिन उस मामले से जुड़े कई पहलुओं पर स्थानीय पुलिस की भी मदद लेती है। दस्यु ठोकिया ददुआ को ठिकाने लगाने में आपसी कम्युनिकेशन(एसटीएफ व् पुलिस) काफी काम आया था। इसके इतर ऑपरेशन बबुली को लेकर एसटीएफ और पुलिस को कभी साथ नहीं देखा गया। यहां तक कि पिछले वर्ष जुलाई 2017 में एसटीएफ ने खाकी की नाक के नीचे से एक लाख के इनामी कुख्यात दस्यु सरगना रामगोपाल उर्फ़ गोप्पा को गिरफ्तार कर लिया और खाकी को फिर बाद में अपनी कहानी बनानी पड़ी। बीहड़ की फिजा में हमेशा ये बात तैरती रही कि यदि एक लाख के इनामी को पकड़ने के लिए एसटीएफ आ सकती है तो साढ़े पांच लाख के इनामी को ठिकाने लगाने के लिए क्यों नहीं। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने बबुली को लेकर जिला पुलिस की कार्यप्रणाली पर उच्चस्तर पर सवाल खड़े किए थे।

सत्ताधारी लम्बरदारों से भी नहीं बनी

उधर दूसरी तरफ सत्ताधारी लम्बरदारों से भी एसपी का शीत युद्ध जारी रहा। भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक जाटव ने तो एसपी के खिलाफ खुला मोर्चा छेड़ दिया था और बाकायदा प्रेस कॉंफ्रेंस करते हुए एसपी को आड़े हांथों लिया था। उच्च स्तर पर जिलाध्यक्ष ने शिकायत करने की भी बात कही थी मीडिया के सामने। इन सब वजहों से चित्रकूट एसपी हमेशा चर्चाओं में रहे।

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