…तो उसमें गौरी यादव का नाम शामिल क्यों नहीं?
बीहड़ के बेताज बादशाह बबुली कोल सहित ललित पटेल, नवल धोबी, महेंद्र पासी के पीछे पडऩे वाली खाकी गौरी की परछाई भी आज तक न पकड़ सकी। यूपी, एमपी की खाकी हर खूंखार दस्यु सरगना के सफाए के लिए जी जान से जुटी है लेकिन गौरी यादव को इस मिशन से अब तक दूर रखा गया है। न जाने किस रणनीति के तहत। बीहड़ के सूत्रों के मुताबिक गौरी को खाकी अन्य दस्यु गिरोहों के लिए मुखबिर के रूप में इस्तेमाल कर रही है अन्यथा जब 10 हजार से लेकर साढ़े पांच लाख तक के इनामी डाकुओं के खिलाफ अभियान चल सकता है तो उसमें गौरी यादव का नाम शामिल क्यों नहीं? इस कुख्यात दस्यु सरगना के मु_ी भर मददगार ही अभी तक खाकी के हत्थे चढ़ पाए हैं और ये डकैत बीहड़ की किस दुनिया में विचरण कर रहा है।
बीहड़ के बेताज बादशाह बबुली कोल सहित ललित पटेल, नवल धोबी, महेंद्र पासी के पीछे पडऩे वाली खाकी गौरी की परछाई भी आज तक न पकड़ सकी। यूपी, एमपी की खाकी हर खूंखार दस्यु सरगना के सफाए के लिए जी जान से जुटी है लेकिन गौरी यादव को इस मिशन से अब तक दूर रखा गया है। न जाने किस रणनीति के तहत। बीहड़ के सूत्रों के मुताबिक गौरी को खाकी अन्य दस्यु गिरोहों के लिए मुखबिर के रूप में इस्तेमाल कर रही है अन्यथा जब 10 हजार से लेकर साढ़े पांच लाख तक के इनामी डाकुओं के खिलाफ अभियान चल सकता है तो उसमें गौरी यादव का नाम शामिल क्यों नहीं? इस कुख्यात दस्यु सरगना के मु_ी भर मददगार ही अभी तक खाकी के हत्थे चढ़ पाए हैं और ये डकैत बीहड़ की किस दुनिया में विचरण कर रहा है।
बीहड़ की एक कहावत है कि लोहे से लोहे को काटो, जी हां पिछले चार दशकों से अधिक समय से खूंखार डकैतों के खात्में को लेकर खाकी इसी फार्मूले पर चल रही है और गैंग के ही कुछ खास सदस्यों को तोड़कर सरगना तक पहुंचने की कोशिश करती है। इन सबके इतर इस सूत्र पर काम करते हुए क्या एक खूंखार डकैत के खिलाफ अभियान लगभग शून्य किया जा सकता है। यह यक्ष प्रश्न उठ रहा है दस्यु गौरी यादव और ख़ाकी को लेकर। पिछले कई सालों से पुलिस के लिए गौरी भी किसी चुनौती से कम नहीं लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए खासतौर पर कोई रूचि भी नहीं दिखाई गई।
खाकी के राडार से गायब गौरी यादव डेढ़ लाख के इनामी दस्यु गौरी यादव को कौन बचा रहा है? कुछ ऐसे ही प्रश्न बीहड़ की फिजाओं में तैर रहे हैं। खूंखार ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखडिय़ा के खात्में के बाद बबुली कोल लवलेश कोल रामगोपाल उफऱ् गोप्पा, नवल धोबी महेंद्र पासी ललित पटेल ने पाठा सहित सीमावर्ती इलाकों में अपनी दहशत का डंका बजवाया। गोप्पा व नवल सलाखों के पीछे हैं तो ललित पटेल पुलिस मुठभेड़ में ढेर किया जा चुका है। इन सबके बीच एक और डकैत जिसे खाकी ने आज तक सटीक तरीके से ट्रेस करने में वो दिलचस्पी नहीं दिखाई जो अन्य खौफ के सौदागरों को ट्रेस करने में दिखाई जाती है। ये दस्यु सरगना है गौरी यादव।
ऐसे उतरा बीहड़ की दुनिया में मौत और दहशत का दूसरा नाम रहे कुख्यात डकैत ददुआ के खिलाफ कभी खाकी ने उसके दुश्मन रहे मुन्नी लाल उफऱ् खडग सिंह को परोक्ष अपरोक्ष रूप से सपोर्ट करते हुए बीहड़ में उतारा था। खडग सिंह के गिरोह में दस्यु गौरी यादव उसका दाहिना हाथ हुआ करता था। वर्ष 2007 में ददुआ और 2008 में ठोकिया के इनकाउंटर के बाद खडग सिंह और गौरी यादव ने खुद को खाकी के हवाले कर दिया। दो वर्ष बाद सन 2010 में जमानत मिलने के बाद गौरी यादव फरार हो गया और बीहड़ में उसने अपना नया गैंग तैयार कर लिया।
दिल्ली पुलिस के दरोगा को उतारा मौत के घाट 17 मई 2013 को दस्यु गौरी यादव ने दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देते हुए चित्रकूट के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र अंतर्गत बेलहरी गांव में एक मामले की जांच करने आए दिल्ली पुलिस के दरोगा भगवान शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके आलावा पुलिस से मुठभेड़ चौथ वसूली सरकारी निर्माण कार्यों में रंगदारी मांगना, अपहरण जैसी कई वारदातों को उसने अंजाम देकर बीहड़ में अपने खौफ का साम्राज्य कायम कर दिया। 2014 में बहिलपुरवा थाना क्षेत्र में ही एक दबंग किस्म के किसान की गोली मारकर हत्या किए जाने की वारदात में गौरी यादव की अहम भूमिका सामने आई। अक्टूबर 2015 में गौरी यादव व पुलिस के बीच कई घण्टे तक ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई थीं।
कौन बचा रहा दस्यु सरगना को दस्यु गौरी यादव को आखिर कौन बचा रहा है। 2015 में चित्रकूट पुलिस ने एक नेता को 80 हजार रुपयों के साथ गौरी की मदद करने के आरोप में दबोचा था। इसके अलावा पंचायत चुनावों में भी गौरी पर्दे के पीछे से गुणा गणित का खेल खेलने में माहिर माना जाता है। राजनितिक छतरी का इस्तेमाल करना गौरी यादव को बखूबी आता है।
बीहड़ में सक्रीय गौरी पर खाकी को नहीं है पता दस्यु गौरी यादव के खिलाफ पुलिस के ठंडे तेवरों के बारे में पूछे जाने पर एसपी प्रताप गोपेंद्र का कहना है कि गौरी मध्य प्रदेश की सीमा की और है। फि़लहाल उसका लोकेशन नहीं मिल पा रहा है। अन्य डकैतों के खिलाफ अभियान जारी है, उसमें गौरी भी शामिल है, लेकिन पहले जिन दस्यु गिरोहों के खिलाफ अभियान चल रहा है उन्हें निपटाना प्राथमिकता है। इधर गौरी यादव बीहड़ में सक्रीय है क्योंकि पिछले महीने जनवरी में जनपद के रैपुरा थाना क्षेत्र के जंगल में दस्यु महेंद्र पासी से उसकी भीषण मुठभेड़ हुई थी।