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लोकसभा चुनाव 2019: सपा बसपा गठबंधन कांग्रेस व भाजपा में इन दिग्गजों ने ठोंकी ताल जातीय समीकरण साधने की कवायद

locationचित्रकूटPublished: Feb 23, 2019 02:55:20 pm

अब जबकि एक तरह से लोकसभा चुनाव 2019 का शंखनाद राजनैतिक दलों ने अपने अपने स्तर से कर दिया है ऐसे में दावेदारों की मैराथन दौड़ भी लखनऊ से दिल्ली तक शुरू हो गई है

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लोकसभा चुनाव 2019: सपा बसपा गठबंधन कांग्रेस व भाजपा में इन दिग्गजों ने ठोंकी ताल जातीय समीकरण साधने की कवायद

चित्रकूट: अब जबकि एक तरह से लोकसभा चुनाव 2019 का शंखनाद राजनैतिक दलों ने अपने अपने स्तर से कर दिया है ऐसे में दावेदारों की मैराथन दौड़ भी लखनऊ से दिल्ली तक शुरू हो गई है. इसके इतर 2014 के मुकाबले न तो कोई लहर दिख रही है और न ही एक बड़े परिवर्तन की सुगबुगाहट. अलबत्ता जातीय समीकरण का बदलता स्वरूप जरूर काफी कुछ बयां कर रहा है लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की किस्मत को लेकर. इतना तो तय है कि इस बार सपा बसपा के गठबंधन ने विपक्षी पार्टियों को जातीय समीकरण साधने पर मजबूर कर दिया है. अन्यथा याद करिए 2014 के लोकसभा चुनाव को किस तरह मोदी लहर में सारे जातीय समीकरण धरे के धरे रह गए थे. मगर इस बार चुनाव का समुच्चय सिद्धान्त कुछ अलग ही है.

गठबंधन व जातीय समीकरण


चित्रकूट- बांदा लोकसभा सीट सपा के खाते में जाने यानी इस सीट पर सपा बसपा गठबंधन में सपा के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद जातीय समीकरण को साधते हुए दावेदारों ने हाईकमान तक अपनी आवाज पहुंचानी शुरू कर दी है. जातीय समीकरण की बात की जाए तो सन 1977, 1980, 1984, 1992, 1996, 1998 व 2014 में ब्राम्हण प्रत्याशियों ने ही विजय पताका लहराई. जातिगत वोटों की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 14 प्रतिशत ब्राम्हण मतदाता(करीब 2 लाख 40 हजार 262) हैं. बीच के कुछ वर्षों में विशेष जाति के कुख्यात डकैतों द्वारा फरमानों पर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में हार जीत के फैसले ने इतिहास में सेंधमारी कर दी और वर्चस्व वाले जातिगत समीकरण का तिलिस्म टूट गया. वहीं पिछड़ा वर्ग की भी भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं.

दावेदारों ने शुरू की गणेश परिक्रमा

चूंकि सपा बसपा गठबंधन ने अपना पत्ता खोल दिया है कि सपा ही चित्रकूट- बांदा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेगी सो दावेदारों की गणेश परिक्रमा भी शुरू हो गई है. पार्टी के कई पुराने दिग्गज टिकट हांसिल करने की गुणा गणित में लग गए हैं. कमोबेश यही हाल भाजपा व कांग्रेस का है. संभावित प्रत्याशियों की बड़ी बड़ी होर्डिंग्स उनकी दावेदारी को चीख चीख कर बयां कर रही हैं. सपा से मुलायम सिंह यादव के खास रहे कई लोगों ने भी दावेदारी प्रस्तुत की है. कांग्रेस से कई दावेदार मैदान में हैं हालांकि इस बार किसी युवा को टिकट दिए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है. भाजपा में इस बार भी दावेदारों की लंबी फ़ेहरिस्त है. पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में अपने अपने संभाग में अच्छा प्रदर्शन करने वाले यूपी बीजेपी के कई कार्यकर्ता व नेता लखनऊ दिल्ली के संपर्क में हैं.
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