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एक लाख के ईनामी को पकड़ने के लिए एसटीएफ, साढ़े पांच लाख के ईनामी को ठिकाने लगाने के लिए सिर्फ जिला पुलिस

locationचित्रकूटPublished: Mar 11, 2018 03:04:34 pm

बीहड़ में ऐसे कई अनसुलझे प्रश्न तैर रहे हैं जिनके बारे में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है…

STF and police operation for Dacoits in chitrakoot UP hindi news

एक लाख के ईनामी को पकड़ने के लिए एसटीएफ, साढ़े पांच लाख के ईनामी को ठिकाने लगाने के लिए सिर्फ जिला पुलिस

चित्रकूट. यूपी एसटीएफ की कार्यकुशलता पर शायद ही किसी को कोई संदेह हो। प्रदेश से बड़े गुंडे माफियाओं डकैतों और संगठित अपराधों को काफी हद तक खत्म करने में एसटीएफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बुन्देलखण्ड के खूंखार डकैतों ददुआ ठोकिया सहित उनके गैंग के कुख्यात डकैतों को एक समय एसटीएफ ने उनके सही ठिकानों तक पहुंचाने का अभियान चलाया था जो कामयाब भी हुआ था। ददुआ और ठोकिया को एसटीएफ ने ही मुठभेड़ में ढेर किया था तो वहीं पिछले वर्ष 2017 के जुलाई महीने में एक लाख के इनामी दस्यु सरगना रामगोपाल उर्फ गोप्पा को एसटीएफ ने ही मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया था। इन सबके बावजूद यक्ष प्रश्न यह कि वर्तमान में पाठा के बीहड़ों में साढ़े पांच लाख के इनामी खूंखार डकैत बबुली कोल के खात्में के लिए एसटीएफ क्यों नहीं लगाई जा रही है? क्या बबुली की गिरफ्तारी या उसे ठिकाने लगाने को लेकर कोई गणित खेली जा रही है या फिर जिला पुलिस खुद नहीं चाहती कि एसटीएफ इस मिशन में कूदे और क्या खुद एसटीएफ बबुली कोल को ठिकाने लगाने के मिशन में किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहती? बीहड़ में ऐसे कई अनसुलझे प्रश्न तैर रहे हैं जिनके बारे में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।
दहशत की इबारत लिखने वाला खूंखार डकैत बबुली कोल कई बार पुलिस मुठभेड़ के दौरान साफ बच निकला, यहां तक कि पुलिस के मुताबिक पिछले वर्ष( 2017) 24 अगस्त को मुठभेड़ में बबुली घायल भी हो गया था लेकिन खाकी की आंखों से ओझल हो गया। उसके बाद से कई मुठभेड़ें (पुलिस के मुताबिक) हुईं और खाद्य सामग्री हथियार और गैंग के हार्डकोर मेंबर पकड़े भी गए लेकिन बबुली की लंगोटी भी खाकी की पकड़ में न आ सकी। यहां तक कि यूपी एमपी की पुलिस ने संयुक्त बैठकें कर गैंग के खिलाफ हुंकार भरी लेकिन उसका भी कोई ठोस कदम उठता नहीं दिख रहा।
एसटीएफ क्यों है इस मिशन से दूर

बीहड़ की फिजाओं में बबुली कोल के खिलाफ जो मिशन चल रहा है वो कई मायनों में मिशन है भी और नहीं भी। मतलब यह कि उक्त डकैत के खात्में को लेकर सबसे विश्वसनीय फ़ोर्स एसटीएफ बिल्कुल दूर रखी गई है यह समझ से परे है और बबुली के अलावा दूसरे खूंखार डकैत डेढ़ लाख के इनामी गौरी यादव को दस्यु उन्मूलन मिशन में ठोस तरीके से शामिल नहीं किया गया यह भी रहस्य बन गया है। एसटीएफ के पुराने मुखबिरों के मुताबिक एसटीएफ और पुलिस के बीच तालमेल ही नहीं बैठ रहा जिसे लेकर बीहड़ में एक वृहद स्तर पर ऑपरेशन नहीं चल पा रहा है। एसटीएफ का काम करने का अंदाज दूसरा है इसलिए कहीं न कहीं पुलिस को यह बात पच नहीं रही कि सारा श्रेय एसटीएफ ले जाए। दूसरी तरफ बीहड़ के सूत्रों के मुताबिक बबुली को सही तरीके से ट्रेस ही नहीं किया जा रहा अन्यथा इतनी मुठभेड़ों के बाद उसे दबोचना कोई मुश्किल काम नहीं था। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ ने उच्चाधिकारियों को भी इस मिशन को लेकर अपनी दूरियों के कारण से अवगत कराया है।
आ गया गैंग के खात्मे का मौसम

उधर बीहड़ में अब फिजाएं बदलने लगी हैं। घने जंगल पतझड़ की मार झेलते हुए वीरान होने लगे हैं। जिन जंगलों में बारिश के मौसम में कुछ दूर दिखना भी मुश्किल हो जाता है उन बियावान जंगलों में अप्रैल से लेकर जून तक खाकी को काफी आसानी होती है विचरण करने में। डकैतों को भी मुश्किल होती है पुलिस की निगाह से बचने में और पानी की तलाश में गैंग अक्सर बीहड़ों से निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों और पानी के स्रोतों की ओर पनाह लेते हैं जिससे सटीक मुखबिरी के द्वारा डकैतों को ट्रेस किया जा सकता है। इन सबके बावजूद आने वाले दिनों में खाकी कितनी संजीदा होती है और अभियान किस स्तर पर चलता है यह देखने वाली बात होगी परंतु इतना तो तय है कि बबुली कोल यूं ही नहीं बचता चला जा रहा है।
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