आमरण अनशन किया फिर भी बरती जा रही उदासीनता
केंद्र व् राज्य सरकार के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के दावे को धरातल पर बैठे ज़िम्मेदार पलीता लगा रहे हैं, इसकी बानगी देखने को मिलती है चित्रकूट में जहां बीहड़ में बसे नौबस्ता, कोढ़नपुरवा, खम्हरिया जैसे गांवों और इनके मजरों(गांव के अंदर बसे छोटे पुरवों) में अभी तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है। पिछले महीने ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंच प्रशासन की चौखट पर धरना प्रदर्शन और यहां तक की उन्हें आमरण अनशन तक करना पड़ा था अपने घरों में उजाला लाने के लिए।
सर्वे के बाद भी उदासीनता
तीन दिन तक आमरण अनशन पर बैठे ग्रामीणों की हालत और लोगों में पनपते आक्रोश को देखते हुए नींद से जागे प्रशासन ने अनशनकारियों को आश्वासन देते हुए उनका आंदोलन समाप्त करवाया और इलाके में विद्युतीकरण हेतु कम्पनी(जिसने बिजली पहुंचाने का ठेका ले रखा है) को सर्वे करने के लिए निर्देशित किया। आनन फानन में खानापूर्ति के तहत कम्पनी द्वारा सर्वे तो कर लिया गया लेकिन फिर उसके बाद पूरे सिस्टम में सनाका खिंच गया। सर्वे के बाद न तो प्रशासन और न ही कम्पनी की तरफ से गांवों में विद्युतीकरण का कोई प्रयास शुरू हुआ और इलाका अंधेरे में सांसे लेने को मजबूर है।
एक बार फिर लड़ाई का एलान
क्षेत्र में बिजली लाने के लिए प्रयासरत ग्रामीणों और इनकी अगुवाई कर रहे किसान नेता जिला पंचायत सदस्य अनिल प्रधान ने कहा कि आंदोलन के बाद भी क्षेत्र में बिजली नहीं पहुंची और कई बार ज़िम्मेदारों को अवगत कराया गया। अब एक बार फिर प्रशासन की चौखट पर दस्तक देते हुए चेतावनी दी जाएगी कि यदि अभी भी विद्युतीकरण का कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ तो ग्रामीण एक बार फिर आंदोलन को बाध्य होंगे। सोमवार को जिलाधिकारी से मिल पुनः पूरी स्थिति से अवगत कराया जाएगा।