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सीमावर्ती बीहड़ों में “बाघ” का मूवमेंट चरवाहों पर हमला एक घायल

locationचित्रकूटPublished: Apr 14, 2020 02:58:03 pm

जनपद की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जंगल में बाघों की दस्तक ने दहशत कायम कर दी है

सीमावर्ती बीहड़ों में

सीमावर्ती बीहड़ों में

चित्रकूट: जनपद की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जंगल में बाघों की दस्तक ने दहशत कायम कर दी है. एक चरवाहे के ऊपर बाघ द्वारा हमले के बाद सीमाई क्षेत्रों के गांव में खौफ छा गया है. किसान फसल की कटाई आदि करने के दौरान खौफ़जदा रहते हैं कि कहीं बाघों की चहलकदमी उनके इलाकों तक न पहुंच जाए. हालांकि दहशत की ये आहट कोई पहली बार नहीं है. अक्सर इन इलाकों में ये स्थिति उत्पन्न होती रहती है लेकिन इस समय लॉकडाउन के चलते वैसे ही फिजाओं में सन्नाटे की चादर लिपटी है सो खौफ की इस चहलकदमी से ग्रामीण दहशतज़दा हो गए हैं. दिन से लेकर रात तक घरों के अंदर से ही निगरानी रखनी पड़ रही है.

चरवाहे पर हमला इलाके में दहशत


जनपद सीमा से सटे मध्य प्रदेश के मझगंवा रेंज के सीमावर्ती गांव चितहरा के जंगल में एक बाघ ने चरवाहे को अपना शिकार बनाना चाहा. बाघ ने चरवाहे पर हमला कर दिया. इस दौरान कुछ दूर पर मौजूद दो अन्य चरवाहे चीख पुकार मचाते हुए गांव की ओर भागे. जिस पर आस पास मौजूद कुछ अन्य ग्रामीणों व चरवाहों ने जब चीख पुकार सुनी तो सभी जंगल की ओर दौड़े. गनीमत रही कि हमलावर बाघ ग्रामीणों को देख जंगल में विलीन हो गया. इस बीच बाघ के हमले में चरवाहा जख़्मी हो गया. उसके चेहरे पर पंजों(बाघ) के निशान बन गए हैं. घायल चरवाहे को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. इससे कुछ दिन पहले अभी इसी सीमावर्ती इलाके में एक बछड़े का शिकार किया था बाघ ने. इस बारे में मझगंवा रेंज के रेंजर दीपक कुमार के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में तीन बाघों के विचरण की जानकारी मिली है. ये कभी यूपी तो कभी एमपी की सीमा में विचरण करते हैं. ग्रामीणों से सावधानी बरतने को कहा गया है साथ ही बाघों के मूवमेंट पर नजर भी रखी जा रही है.

रेल ट्रैक पर आया था बाघ रोकनी पड़ी थी मालगाड़ी


दरअसल यूपी-एमपी के बीहड़ों में इस समय बाघ व बाघिन का मूवमेंट है. इसका पता तब चला जब करीब 10 दिन पहले देर रात मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग के मानिकपुर(चित्रकूट)-सतना(मध्य प्रदेश) रेल खण्ड पर बाघ को देखा गया. जानकारी के मुताबिक मानिकपुर से सतना जा रही मालगाड़ी के चालक ने रेल ट्रैक पर बाघ देखा. चूंकि गाड़ी की गति तेज नहीं थी सो ड्राइवर ने हॉर्न बजाते हुए गाड़ी रोक दी. लगभग 10 मिनट तक हॉर्न बजाया गया तब जाकर बाघ रेल ट्रैक से जंगल की ओर गया. चालक ने इसकी जानकारी रेलवे के उच्चाधिकारीयों को भी दी.
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