लगता है पाठा के बीहड़ों के दिन बहुरने वाले हैं। दशकों से इन बीहड़ों में जंगली जानवरों की दहाड़े कम और गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती चली आ रही है। परंतु अब जिस हिसाब से बीहड़ को राष्ट्रीय स्तर के टाइगर रिजर्व पार्क के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू की गई है उससे यह शुभ संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि आगामी दिनों में पाठा की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल जाएगी।
कवायद शुरू
चित्रकूट के पाठा क्षेत्र(मानिकपुर मारकुंडी) को टाइगर रिजर्व पार्क के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है. लगभग 441.93 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले रानीपुर वन्य जीव विहार को रिजर्व पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क के डूब क्षेत्र में आने से इस इलाके में जंगली जानवरों की आमद बढऩे की संभावना है. केन बेतवा गठजोड़ होने से पन्ना टाइगर रिजर्व पार्क के डूब क्षेत्र में आने की सम्भावना व्यक्त की गई है.
प्रस्ताव शासन को भेजा गया
प्रभागीय वन अधिकारी चित्रकूट कैलाश प्रकाश ने जानकारी देते हुए बताया कि टाइगर रिजर्व पार्क का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है अब अंतिम मुहर का इंतजार है। जंगल में हर तरह के दुर्लभ जंगली जानवर मौजूद हैं जिससे रानीपुर वन्य जीव विहार एक अलग तरह के नेशनल पार्क के रूप में विकसित हो सकता है। यदि प्रदेश सरकार की अंतिम मंजूरी मिल जाती है तो योजना पर आगे बढऩे का काम शुरू कर दिया जाएगा।
खुलेंगे रोजगार के दरवाजे
नेशनल पार्क बनने से बुन्देलखण्ड में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 100 से 150 टूरिस्ट गाइड सैलानियों के घूमने हेतु वाहनों की व्यवस्था पार्क की सुरक्षा के लिए सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जैसे कई कार्य स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देंगे। इसके आलावा सड़कों का जाल भी बीहड़ में बिछेगा।
मौजूद हैं दुर्लभ जीव जंतु पक्षी
पाठा क्षेत्र के रानीपुर वन्य जीव विहार में तेंदुआ भालू सांभर चीतल जंगली ***** काले हिरन और लगभग 90 प्रजाति के पक्षी कलरव करते हैं, जिससे यह पूरा इलाका हर स्तर पर नेशनल पार्क के लिए उपयुक्त है।
बीहड़ के शैतान भी हैं एक चुनौती
इन सबके इतर बीहड़ के शैतान कुख्यात डकैत भी नेशनल पार्क के निर्माण में एक चुनौती हैं। कई दशकों से पाठा के बीहड़ में इन शैतानों की चहलकदमी बदस्तूर जारी है जिसकी वजह से आज तक पाठा में विकास की झलक तक नहीं दिख पाई।