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गांव में रौशनी लाने के लिए तपते आसमां के नीचे आमरण अनशन पर ग्रामीण

locationचित्रकूटPublished: May 14, 2018 04:19:44 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

गांव में रौशनी लाने के लिए तपते आसमां के नीचे आमरण अनशन पर ग्रामीण

chitrakoot
चित्रकूट. शायद ये तस्वीरें हुक्मरानों के उन दावों को मुंह चिढ़ाती नज़र आती हैं जिन दावों में गांव गांव रौशन करने का दंभ भरा जा रहा है। समाज के अंतिम व्यक्ति तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने की संरचना तैयार करने वाले ज़िम्मेदार किस तरह गुणा गणित करते हुए ऑल इज़ वेल का ढोंग करते हैं इसकी बानगी भी दिखती है इन तस्वीरों में। जिस तपन में कोई दो घड़ी खुले आसमां के नीचे खड़ा भी नहीं होना चाहेगा उस तपते आसमां से बरसती आग के पहलू में दर्जन भर ग्रामीण अपने अपने गांवों को रौशन करने के लिए आमरण अनशन करने को मजबूर हैं।ग्रामीणों ने इससे पहले अधिकारीयों को कई बार मांगपत्र सौंप समस्याओं से अवगत कराया लेकिन परम्परा को निभाते हुए नौकरशाही वक्त न निकाल पाई. अब आर पार की लड़ाई इस भीषण गर्मी में आमरण अनशन मं बदल गई है।
अपने अपने गांवों में रौशनी लाने के लिए ग्रामीण आमरण अनशन पर बैठे हैं. अनशनकारी अपने इलाकों में आजादी के बाद से अभी तक बिजली न पहुंचने से शायद उतने क्षुब्ध नहीं जितना वर्तमान केंद्र सरकार के गांव गांव बिजली पहुंचा देने के दावों के बावजूद अंधेरे में जिंदगी गुजारने को लेकर हैं। जिला पंचायत सदस्य के नेतृत्व में बैठे ग्रामीणों का एलान है कि अब आर पार की लड़ाई व्यवस्था से होगी यदि मांगे नहीं मानी गई तो।
आजादी के बाद से अब तक अंधेरा

आजादी के बाद से अब तक अंधेरे में उजाले की उम्मीद लगाए बैठे कोढ़न पुरवा नौबस्ता बंबिहा, कुसमुही मैनहा आदि दर्जन भर से अधिक गांवों के ग्रामीण किसान नेता व् जिला पंचायत सदस्य अनिल प्रधान के नेतृव में इस मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं कि उनके गांवों में जल्द से जल्द विद्युतीकरण किया जाए, ग्रामीणों का कहना है कि विद्युत् विभाग ने बड़े गांवों में उजाला कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। उसके आस पास के कई गांवों की याद नहीं की जबकि सरकार व् प्रशासन के नुमाइंदे गांव गांव बिजली पहुंचाने को लेकर ताल ठोंक रहे हैं।
नहीं हुई कोई सुनवाई

आमरण अनशन पर बैठे अनिल प्रधान ने कहा कि अभी हफ्ते भर पहले कलेक्ट्रेट परिसर में डीएम को सम्बंधित ज्ञापन सौंपा गया था समस्याओं को लेकर और आश्वासन भी दिया गया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, अनशनकारियों के अनुसार बार बार इस तरह की लापरवाही से वे आजिज आकर अब इस भीषण गर्मी में आमरण अनशन को मजबूर हैं और ये तब तक जारी रहेगा जब तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता। आंदोलनकारियों के मुताबिक पाठा क्षेत्र में विद्युत् व्यवस्था हमेशा चरमराई रहती है परन्तु कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।

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