बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा कहलाने वाले मानिकपुर विकास खंड के गोपीपुर गांव में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। यहां के ग्रामीण रोजाना पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकते हैं, ताकि उनका गला तर हो सके। वहीं पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं। लगभग 5 हजार गांव की जनसंख्या गोपीपुर गांव की बात करे तो इस गांव में 5000 लोग रहते है। गांव के अंदर चार कुएं और गांव के बाहर तीन चोहड़े है।वही अगर गांव के अंदर लगे हैंडपंप की बात की जाए तो इस पूरे गांव में 15 हैंडपंप प्रशासन के द्वारा लगवाए गए हैं। और गांव से मिली जानकारी के अनुसार कुल पांच हैंडपंप सही तरीके से पानी दे पा रहे हैं बाकी खराब पड़े हैं। समरसेबल की बात की जाए तो गांव में एक समरसेबल लगवाया गया है। उसमें भी पानी नहीं निकल रहा है। आज की 50 से ज्यादा लोग हैं कुंवारे यहां पानी की समस्या के कारण बाल गोविंद,गोविंद ,रोहड़ी सहित गांव में लगभग 50 लोग कुंवारे है। जिनकी अभी शादी नहीं हो पाई है। गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई भी अपनी बेटी को इन गांवों में नहीं देना ही नही चाहता है। लिहाजा,शादी की आस में अभी भी कई युवा अब प्रौढ़ हो चुके हैं। गोपीपुर गांव की रहने वाली महिला ने बताया कि आज उसके यहां शादी है शादी में मेहमानों को पानी के लिए उसने एक रूपए देकर पानी मंगवाया है,ताकि मेहमानों को पानी की समस्या ना झेलनी पड़े। बुंदेलखंड के चित्रकूट में कई दशकों से पानी की समस्या चली आ रही है. कई सरकारों ने पानी की समस्या के लिए करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां सूरज की तपिश बढ़ते ही नदी,पोखर और तालाब सूख जाते हैं। और पानी का जलस्तर नीचे गिरने से हैंडपंप व बोर में भी पानी आना बंद हो जाता है। जिसके चलते इंसानों के साथ-साथ बेजुबान भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगते हैं। बता दे की जहा इस आधुनिक युग में लोग अपने घरों के सामने महंगी गाड़ियां खड़ी कर घर की शोभा को बढ़ाते हैं। वहीं इन गांवों के घरों के सामने आप को बैलगाड़ी खड़ी मिलेगी। इस गांव के लगभग हर एक घर में आपको बैलगाड़ी मिल जाएगी, क्योंकि इसी बैलगाड़ी के सहारे ग्रामीण मिलो दूर से ड्रम में पानी भर के लाते हैं। इस इलाके में गर्मी के दिन सबसे कठिन और मुश्किल भरे होते हैं. ऐसे में पारा जब 45 डिग्री को पार करता है। तो बुंदेलखंड तपने लगता है। पानी के स्रोत सूख जाते हैं. वहीं चित्रकूट की ये पथरीली धरती मई जून की गर्मी में आग उगलने लगती है। आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है। जानकारी के लिए बता दे की पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं. यहां पानी की समस्या के कारण कुंवारे लड़कों की शादी तक नहीं हो पाती है. हालात ये हैं कि पानी खुद पिए या जानवरों को पिलाएं. गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहता। वही इस मामले में बीडीओ मानिकपुर धनंजय सिंह का कहना है कि गांव में टैंकर के माध्यम से पानी की सप्लाई दी जा रही है। गोपीपुर गांव में गर्मी में पानी का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है। जिससे वहां लगे हैंडपंपों से पानी कम निकलने लगता है।
बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा कहलाने वाले मानिकपुर विकास खंड के गोपीपुर गांव में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। यहां के ग्रामीण रोजाना पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकते हैं, ताकि उनका गला तर हो सके। वहीं पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं। लगभग 5 हजार गांव की जनसंख्या गोपीपुर गांव की बात करे तो इस गांव में 5000 लोग रहते है। गांव के अंदर चार कुएं और गांव के बाहर तीन चोहड़े है।वही अगर गांव के अंदर लगे हैंडपंप की बात की जाए तो इस पूरे गांव में 15 हैंडपंप प्रशासन के द्वारा लगवाए गए हैं। और गांव से मिली जानकारी के अनुसार कुल पांच हैंडपंप सही तरीके से पानी दे पा रहे हैं बाकी खराब पड़े हैं। समरसेबल की बात की जाए तो गांव में एक समरसेबल लगवाया गया है। उसमें भी पानी नहीं निकल रहा है। आज की 50 से ज्यादा लोग हैं कुंवारे यहां पानी की समस्या के कारण बाल गोविंद,गोविंद ,रोहड़ी सहित गांव में लगभग 50 लोग कुंवारे है। जिनकी अभी शादी नहीं हो पाई है। गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई भी अपनी बेटी को इन गांवों में नहीं देना ही नही चाहता है। लिहाजा,शादी की आस में अभी भी कई युवा अब प्रौढ़ हो चुके हैं। गोपीपुर गांव की रहने वाली महिला ने बताया कि आज उसके यहां शादी है शादी में मेहमानों को पानी के लिए उसने एक रूपए देकर पानी मंगवाया है,ताकि मेहमानों को पानी की समस्या ना झेलनी पड़े। बुंदेलखंड के चित्रकूट में कई दशकों से पानी की समस्या चली आ रही है. कई सरकारों ने पानी की समस्या के लिए करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। यहां सूरज की तपिश बढ़ते ही नदी,पोखर और तालाब सूख जाते हैं। और पानी का जलस्तर नीचे गिरने से हैंडपंप व बोर में भी पानी आना बंद हो जाता है। जिसके चलते इंसानों के साथ-साथ बेजुबान भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगते हैं। बता दे की जहा इस आधुनिक युग में लोग अपने घरों के सामने महंगी गाड़ियां खड़ी कर घर की शोभा को बढ़ाते हैं। वहीं इन गांवों के घरों के सामने आप को बैलगाड़ी खड़ी मिलेगी। इस गांव के लगभग हर एक घर में आपको बैलगाड़ी मिल जाएगी, क्योंकि इसी बैलगाड़ी के सहारे ग्रामीण मिलो दूर से ड्रम में पानी भर के लाते हैं। इस इलाके में गर्मी के दिन सबसे कठिन और मुश्किल भरे होते हैं. ऐसे में पारा जब 45 डिग्री को पार करता है। तो बुंदेलखंड तपने लगता है। पानी के स्रोत सूख जाते हैं. वहीं चित्रकूट की ये पथरीली धरती मई जून की गर्मी में आग उगलने लगती है। आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है। जानकारी के लिए बता दे की पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं. यहां पानी की समस्या के कारण कुंवारे लड़कों की शादी तक नहीं हो पाती है. हालात ये हैं कि पानी खुद पिए या जानवरों को पिलाएं. गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहता। वही इस मामले में बीडीओ मानिकपुर धनंजय सिंह का कहना है कि गांव में टैंकर के माध्यम से पानी की सप्लाई दी जा रही है। गोपीपुर गांव में गर्मी में पानी का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है। जिससे वहां लगे हैंडपंपों से पानी कम निकलने लगता है।