कहा जाता है कि रक्तदान महादान यानि एक व्यक्ति के रक्तदान से कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। देश में हर साल कई इंसानी जिंदगियां सिर्फ इसलिए मौत के मुंह में चली जाती हैं क्योंकि उन्हें समय से खून(रक्त) नहीं मिल पाता। भारत जैसे वसुधैव कुटुम्बकम् की मान्यता व ध्येय वाले देश में आज भी रक्तदान को लेकर काफी जागरूकता की आवश्यकता है। खासतौर पर युवाओं के बीच, हालांकि ऐसा नहीं कि युवा जागरूक नहीं हुए हैं लेकिन भारत जैसे युवा देश में रक्तदान के प्रति जागरूकता दाल में नमक के बराबर जान पड़ती है।
अधिकारी भी बने महादानी विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल सहित कई अस्पतालों में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। आम लोगों सहित पुलिस प्रशासन के नुमाइंदों ने भी इस अवसर पर अपना रक्तदान करते हुए अन्य लोगों को इस महादान में आगे आने के लिए प्रेरित किया। अपर पुलिस अधीक्षक बलवंत चौधरी ने रक्तदान करते हुए कहा कि इससे स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता बल्कि आपका स्वाथ्य अच्छा ही होता है और चिकित्सकों का भी यही कहना है कि रक्तदान से एक स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
लोगों ने उत्साहित होकर किया रक्तदान कई स्थानों पर आयोजित रक्तदान शिविर में युवाओं, समाजसेवियों व किसानों ने भी रक्तदान में उत्साह से हिस्सा लिया। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यापकों ने भी रक्तदान करते हुए लोगों से अपील की कि हमारा रक्तदान किसी का जीवन बचा सकता है। युवाओं में खासतौर पर इसके लिए उत्साह दिखाई पड़ा।
स्वस्थ्य व्यक्ति ही करे रक्तदान जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एनके गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि रक्तदान से स्वास्थ्य पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता हां यह जरुरी है कि रक्तदान करने वाला व्यक्ति स्वस्थ्य हो। एक बार रक्तदान करने के बाद या तो 3 या फिर 6 महीने बाद व्यक्ति दोबारा रक्तदान कर सकता है क्योंकि रक्तदान के 24 से 48 घण्टे के अंदर हमारे शरीर में खून बनना तो प्रारम्भ हो जाता है लेकिन रेड सेल्स (लाल रुधिर रक्त कणिकाएं) बनने में 3 महीने का वक्त लगता है इसलिए दोबारा 3 महीने के बाद आवश्यकता पडऩे पर रक्तदान किया जा सकता है। 18 वर्ष से ऊपर का कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति अपना रक्तदान कर सकता है। स्वस्थ्य व्यक्ति से तात्पर्य रक्तदान करने वाले व्यक्ति का वजन उसका हीमोग्लोबिन ब्लड प्रेशर(रक्तचाप) आदि सामान्य होना चाहिए।