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निजी स्कूल में फंसे 350  बच्चे, मार्ग बंद होने से नहीं पहुंच पाए घर

locationचित्तौड़गढ़Published: Sep 15, 2019 11:18:47 pm

Submitted by:

jitender saran

रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध के गेट खोलने व भैंसरोडग़ढ़ क्षेत्र में भारी बारिश के चलते बाढ़ के हालात बने हुए हैं। क्षेत्र में मऊपुरा गांव स्थित एक निजी विद्यालय के करीब 350 विद्यार्थी व स्टाफकर्मी शनिवार से स्कूल में फंसे हुए थे, जिन्हें रविवार को भी प्रशासन रेस्क्यू नहीं कर पाया। बच्चों को उनके घर नहीं पहुंचाया जा सका है। सूचना पर रविवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर रावतभाटा तक तो पहुंच गए लेकिन रास्त बंद होने से भैंसरोडगढ़ नहीं पहुंच पाए। हालांकि अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए।

निजी स्कूल में फंसे 350  बच्चे, मार्ग बंद होने से नहीं पहुंच पाए घर

निजी स्कूल में फंसे 350  बच्चे, मार्ग बंद होने से नहीं पहुंच पाए घर

चितौडग़ढ़.
जानकारी के अनुसार मऊपुरा स्थित निजी विद्यालय आदर्श विद्या मंदिर में शनिवार को विद्यार्थी सामान्य दिनों की तरह ही पढऩे के लिए पहुंचे थे। पिछले दो दिन से राजस्थान-मध्यप्रदेश में हो रही भारी बारिश के चलते जिले के बेगूं और भैंसरोडग़ढ़ क्षेत्र में बाढ़ के हालात बन गए। रावतभाटा क्षेत्र के गांधीसागर बांध में पानी की निरंतर आवक के चलते राणा प्रताप सागर बांध के गेट खोलने पड़े। इससे रावतभाटा-भैंसरोगढ़ पुलिया पर पानी आने से आवाजाही बंद हो गई। पुलिया से आवाजाही बंद होने से इस स्कूल के बच्चे घर नहीं जा सके। कक्षा ३ से १२वीं तक के करीब ३५० बच्चे व स्टाफ के ५० सदस्यों को शनिवार की रात स्कूल में ही गुजारनी पड़ी। बताया गया कि भैंसरोडगढ़ में करीब २५ सरकारी शिक्षक भी अपने घर नहीं जा पाए। बच्चों व स्टाफ के भोजन की व्यवस्था ग्रामीणों व स्कूल प्रबंधन की ओर से की गई। शनिवार को स्कूल में फंसे बच्चों को वहां से रेस्क्यू करने के लिए रविवार अपराह्न तक भी कोई अधिकारी नहीं पहुंच पाया। क्षेत्र में पेयजल और विद्युतापूर्ति भी ठप हो गई है। इधर राणा प्रताप सागर बांध के पावर हाउस में पानी भरने से वहां पावर कट कर दिया गया। इसके अलावा भैंसरोडग़ढ़ अभयारण्य की चौकियां भी पानी में डूब गई है। अभयारण्य की तरफ जाने वाले मार्ग पर भी पानी भर गया है। अभयारण्य में पर्यटकों की आवाजाही बंद कर दी गई है।
स्कूल में पढते हैं चार गांवों के बच्चे
स्कूल के प्रधानाचार्य ओमप्रकाश ने बताया कि हमेशा की तरह बच्चे शनिवार को भी पढऩे आए थे। सुबह प्रशासन की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई। प्रशासन सूचना दे देता तो बच्चों की जल्दी छुट्टी कर देते। बांध के गेट खोलने के दौरान सायरन बजाया होगा, लेकिन तेज बारिश होने के कारण कोई आवाज सुनाई नहीं दी। स्कूल में मऊपुरा सहित रावतभाटा, एकलिंगपुरा व चारभुजा गांव के बच्चे पढऩे आते है। इधर बच्चों के स्कूल में ही फंस जाने के कारण उनके अभिभावकों की भी चिन्ता बढ गई।
ग्रामीणों ने बच्चों को ऐसे पहुंचाया भैंसरोडग़ढ़
मऊपुरा व भैंसरोडग़ढ़ को जोडऩे के लिए चंबल पुलिया बनी हुई है। चंबल पुलिया के बराबर पानी चल रहा है। इस पुलिया पर आवाजाही चालू होने से ग्रामीणों ने अपने वाहनों के जरिए मऊपुरा स्कूल में फंसे बच्चों को भैंसरोडग़ढ़ तक पहुंचा दिया। इस पुलिया पर पानी आता है तो भैंसरोडग़ढ़ से मऊपुरा जाने वाला रास्ता भी बंद हो जाएगा। भैंसरोडग़ढ़ में इन बच्चों को श्रीराम बाल विद्या मंदिर में रखा गया है। प्रधानाचार्य ने बताया कि रविवार को दोपहर में स्कूल के सभी बच्चों को ग्रामीणों की मदद से भैंसरोडग़ढ़ स्थित एक अन्य स्कूल में शिफ्ट किया गया। बच्चों को २४ घंटे से अधिक समय हो गया, लेकिन रास्ता बंद होने से अधिकारी समय पर वहां नहीं पहुंच पाए। बच्चे अपने घर जाने के लिए परेशान हो रहे है। उन्होंने बताया कि कई अधिकारियों के फोन आ रहे हैं, लेकिन बच्चों को उनके घर नहंी पहुंचा पा रहे हैं।
प्रशासन पहुंचा बच्चों के पास, स्कूल प्रबंधन ने बरती लापरवाही
सूचना पर अतिरिक्त कलक्टर मुकेश कलाल रावतभाटा तो पहुंच गए, लेकिन मार्ग बंद होने से भैंसरोडगढ़ नहीं पहुंच पाए। एडीएम ने बच्चों के परिजनों से मिलकर बातचीत कर समझाइश की। उन्होंने बताया कि सभी बच्चे सुरक्षित है। उनके आवास और भोजन आदि की प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्था करवा दी गई है। उन्होंने बताया कि राणा प्रताप सागर बांध के गेट खोलने से पहले सायरन बजाया गया था और चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की छुट्टी नहीं की और लापरवाही बरती। इस संबंध में जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी। पानी का लेवल कम होने के बाद बच्चों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचा दिया जाएगा। अतिरिक्त कलक्टर स्वयं भी रविवार पूरी रात रावतभाटा में ही डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि बच्चों के पास रावतभाटा, भैंसरोडगढ़ थानाधिकारी, पटवारी, तहसीलदार, गिरदावर और सचिव के साथ ही चिकित्सक भी रविवार अपराह्न बाद भैंसरोडग़ढ़ पहुंच गए।

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