कृषि विभाग ने इस बार जिले में ३ लाख २९ हजार २९० हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें अनाज की फसलों में चावल ११०० हैक्टेयर, ज्वार १६ हजार व मक्का १ लाख ७३ हजार ५०० हैक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य तय किया गया है। दलहनी फसलों में पिछले साल के मुकाबले इस बार लक्ष्य करीब चालीस प्रतिशत कम कर दिया है। पिछले साल दस हजार हैक्टेयर क्षेत्र में उड़द की बुवाई का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन इस बार इसका लक्ष्य घटाकर ६ हजार हैक्टेयर कर दिया है। इस बार मंूग की ३५० हैक्टेयर में बुवाई करने का लक्ष्य है। जबकि चवला व अरहर की बुवाई २०-२० हैक्टेयर क्षेत्र में करने का ही लक्ष्य है।
कृषि विभाग ने इस बार मूंगफली की बुवाई का भी रकबा घटा दिया है। पिछली बार २४ हजार हैक्टेयर क्षेत्र में मंूगफली की बुवाई का लक्ष्य था, जिसे इस बार घटाकर २२ हजार हैक्टेयर कर दिया गया है। तिल की बुवाई का लक्ष्य इस बार सिर्फ आठ सौ हैक्टेयर रखा है। जबकि पिछले साल दो हजार हैक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य था। इसी तरह कपास की बुवाई का रकबा भी घटाकर सात हजार हैक्टेयर किया है। जबकि पिछले साल बारह हजार हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
कृषि विभाग ने इस बार भले ही सोयाबीन की बुवाई का रकबा घटाकर लक्ष्य तय कर लिए हों, लेकिन किसानों का रूझान सोयाबीन की बुवाई की तरफ ज्यादा लग रहा है। इसका कारण यह भी है कि पिछले साल किसानों को मक्का के वाजिब दाम नहीं मिल पाए थे। इसके अलावा मक्का के मुकाबले सोयाबीन का भाव भी ज्यादा है। दूसरी वजह यह है कि मक्का की फसल १०० से १२० दिन में पककर तैयार होती है और इसमें पानी की भी ज्यादा आवश्यकता रहती है। जबकि सोयाबीन की फसल ८० से ८५ दिन में पककर तैयार हो जाती है और मक्का की तुलना में पानी की आवश्यकता कम रहती है। इसलिए किसानों का रूझान सोयाबीन की बुवाई के प्रति ज्यादा लग रहा है।
पिछले साल खरीफ की बुवाई के सीजन में मानसून भी दगा दे गया था। जिले में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा था।
तैयारी में जुटे किसान मानसून का है इंतजार
खरीफ फसलों की बुवाई को लेकर किसान खाद-बीज की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले दिनों आए तौकते तूफान के दौरान जिले में हुई बारिश के बाद किसानों ने खेतों की जुताई कर दी थी। जिले में अधिकांश खेतों में जुताई का काम पूरा हो चुका है। खाद-बीज की तैयारी के साथ ही किसानों को अब मानसून के आने का इंतजार है। विशेषज्ञों के अनुसार जिले में इस बार २० जून तक मानसून के आने की उम्मीद जताई जा रही है।
जिले में पिछले साल से ही कोरोना के संक्रमण के चलते किसानों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई है। कई किसानों ने सब्जियों की बुवाई भी की थी, लेकिन पिछली बार यातायात के साधनों की आवाजाही पर भी रोक होने के कारण किसान जिले से बाहर सब्जियां नहीं भेज पाए थे, ऐसे में जिले में सब्जियां मांग के मुकाबले अधिक हो जाने से किसानों को अच्छे भाव नहीं दे पाई। बिक्री के अभाव में सब्जियां खराब हो गई और इन्हें मवेशियों को खिलाना पड़ गया था। इस बार किसान अच्छे मानसून की आस लगाए बैठे हैं, ताकि उन्हें हुए आर्थिक नुकसान की कुछ भरपाई हो सके।
जिले में गरीब तबके के ऐसे किसान, जिन्होंने पिछले साल भी उधार रूपए लाकर बुवाई की थी। उनकी इस बार भी महंगे हुए खाद-बीज कमर तोड़ देंगे। कोरोना काल में किसानों को रोजी-रोटी तक का संकट झेलना पड़ा है। इसमें भी अब महंगे हुए खाद-बीज घी में आग का काम करेंगे।
इस बार खरीफ की बुवाई को लेकर लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। खरीफ में मुख्य रूप से मक्का और सोयाबीन की बुवाई पर ही किसानों का जोर रहेगा। खरीफ की बुवाई को लेकर विभागीय तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
दिनेश कुमार जागा
उप निदेशक कृषि विस्तार, चित्तौडग़ढ़