विभागीय जांच में पाया गया है कि उप निरीक्षक गुर्जर ने दिल्ली के किसी व्यक्ति के नाम से पंजीबद्ध सिम का अपने मोबाइल में इस्तेमाल किया है। ऐसे में उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। दबंगई से ट्रैक्टरों में डीजल भरवाकर भुगतान नहीं करना भी धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। फिलहाल आरोपी एसएचओ के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है।
चित्तौडग़ढ़ के पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ने १९ जुलाई २०२२ को उप निरीक्षक व पारसोली थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी तथा हाल राजसमंद में कार्यरत संजय गुर्जर को सत्रह सीसी के तहत आरोप-पत्र जारी किया है। जिसमें उप निरीक्षक गुर्जर के कृत्य पदीय गरिमा के विपरीत हो आम जनता में पुलिस की छवि धुमिल करने, गैर मर्यादित आचरण कर राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम १९७१ के नियम ४ (!!) का उल्लंघन, अनुशासनहीनता व ड्यूटी के प्रति लापरवाही मानी गई है।
आरोप संख्या-1
उप निरीक्षक संजय गुर्जर पर पहला आरोप है कि पारसोली थाने का एसएचओ रहने के दौरान थाना क्षेत्र में स्थित सुगमचंद जैन एण्ड कंपनी पेट्रोल पंप काटुन्दा मोड़ बेगूं से १३ अप्रेल २०२२ को फोन के जरिए ट्रैक्टर में डीजल भरकर स्वयं के नाम बिल बनवाकर भुगतान बाद में करने की बात एसएचओ ने कही। जिसकी राशि १३ हजार ३७७ रूपए का भुगतान नहीं किया।
तत्कालीन एसएचओ पर दूसरा आरोप है कि १९ मार्च २०२२ को उन्होंने अपने मोबाइल नंबर ७२८९८-५००३६ से काटुंदा निवासी हीरालाल पुत्र मोहन गुर्जर के मोबाइल नंबर ९९२८७-६९६६३ पर वाट्सएप कॉल कर रूपए देने को कहा। हीरालाल ने एसएचओ को पहचानने से मना किया तो गुस्से में आकर उसके साथ गाली-गलौच की। इस तरह का गैर मर्यादित आचरण राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम १९७१ के नियम ४ (!!) का उल्लंघन है।
पारसोली के तत्कालीन एसएचओ संजय गुर्जर पर एक और संगीन आरोप है कि वह पुलिस विभाग में पदस्थापित रहते हुए राजकार्य के दौरान मोाबइल नंबर 72898-50036 व80765-12620 का उपयोग कर रहे हैं। जबकि यह मोबाइल नंबर संजय गुर्जर के नाम पर पंजीबद्ध नहीं होकर पूर्वी दिल्ली के रघुबरपुरा निवासी किसी विक्रान्त पुत्र प्रेमचंद शर्मा के नाम पर पंजीबद्ध है। जांच के दौरान मोबाइल कॉल रिकार्ड प्राप्त करने पर इसकी पुष्टि हुई है। जबकि स्पष्ट नियम है कि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम की मोबाइल सिम का उपयोग नहीं कर सकता। यदि ऐसा होता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।