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दुुर्ग पर पर्यटन को लगी गर्मी, पर्यटकों का पड़ा टोटा

locationचित्तौड़गढ़Published: May 18, 2019 11:13:18 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

यूनेस्को की विश्व विरासत में शुमार चित्तौड़ दुर्ग पर दोपहर के समय सन्नाटा है। प्रचण्ड गर्मी के मौसम का प्रतिकूल असर पर्यटन कारोबार पर साफ दिख रहा है। गर्मी तेज होने के साथ दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है।

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दुुर्ग पर पर्यटन को लगी गर्मी, पर्यटकों का पड़ा टोटा



चित्तौैडग़ढ़. यूनेस्को की विश्व विरासत में शुमार चित्तौड़ दुर्ग पर दोपहर के समय सन्नाटा है। प्रचण्ड गर्मी के मौसम का प्रतिकूल असर पर्यटन कारोबार पर साफ दिख रहा है। गर्मी तेज होने के साथ दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। दुर्ग दर्शन के लिए टिकट से प्रतिदिन होने वाली भारतीय पुरातत्व सर्र्वेक्षण विभाग की करीब एक लाख रुपए प्रतिदिन की आय अब 35-40 हजार रुपए तक सीमित रह गई है। शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हीलस के साप्ताहिक फेर १९ अप्रेल बाद बंद होने का भी प्रतिकूल असर पर्र्यटन व्यवसाय पर पड़ा है। इस ट्रेन के आगमन पर प्रति सप्ताह कई विदेशी सैलानी दुर्ग दर्शन के लिए पहुंचते थे। चित्तौड़ दुर्ग के प्रथम प्रवेश द्वार पाडऩपोल से प्रवेश करते ही अंतिम प्रवेशद्वार रामपोल तक पूरे मार्ग पर छाया सन्नाटा व वाहनों की बहुत कम आवक पर्यटन की ऑफ सीजन के हालत बया कर रही है। दिसम्बर से मार्च में होली तक दिनभर पर्यटकों से आबाद रहने वाले विजयस्तम्भ, पद्मनी महल जैसे अहम स्थानों पर भी इन दिनों सन्नाटा छाया रहने लगा है। केवल सुबह के समय ही कुछ चहल-पहल दिखती है।
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परीक्षाओं के साथ चुनाव व मौसम की मार
दुर्ग पर गर्मियों का मौसम हमेशा ऑफ सीजन जैसा रहता है लेकिन इस बार पर्यटकों की आवक में अधिक गिरावट का एक बड़ा कारण चुनाव भी माना जा रहा है। सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के कारण कई जगह बच्चों के ग्रीष्मावकाश के बावजूद राजकीय सेवाओं से जुड़े माता-पिता की व्यस्तता बनी हुई है। स्कूली व कॉलेज परीक्षा के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं का दौर चलने से भी पर्यटक कम आ रहे है। प्रचण्ड गर्मी भी हमेशा की तरह पर्यटकों की संख्या में गिरावट का एक कारण बन रही है।
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पर्यटक कम आने से आजीविका हो रही प्रभावित
दुर्ग पर पर्यटकों की संख्या में गिरावट का सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ा है जिनकी आजीविका का स्रोत ही यहां आने वाले पर्यटक है। इनमें गाइड, फोटोग्राफर, वेशभूषा किराये पर देने वाले, घोड़े पर सवारी कराने वाले आदि शामिल है। दुर्ग पर शिंकजी से लेकर चाय-नाश्ता का ठेला लगाने वालों तक पर पर्यटन व्यवसाय में आई गिरावट की मार पड़ी है। पर्यटक कम होने से ऑटोरिक्शा चालकों की आय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
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चित्तौड़ दुर्ग पर पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है। पैलेस ऑन व्हील्स के फेरे बंद होने का भी असर पड़ा है। दुर्ग पर आनें वाले पर्यटकों की संख्या पहले से आधी से भी कम रह गई है।
सिद्धार्थ वर्मा, संरक्षण सहायक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, चित्तौडग़ढ़
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दुर्ग पर पर्यटकों का आना बहुत कम हो गया है। इससे हम जैसे गाईड के लिए आजीविका कमाना मुश्किल हो रहा है। परीक्षा व गर्मी के साथ इस बार चुनाव भी पर्यटकों की संख्या में गिरावट का कारण बना है। अब मानसून में ही संख्या बढऩे की उम्मीद है।
संजीव शर्मा गाईड, चित्तौैड़ दुर्ग
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दुर्ग पर अभी ऑफ सीजन चल रहा है। पर्यटक बहुत कम आने से आजीविका प्रभावित हो रही है। परीक्षा के साथ इस बार चुनाव भी पर्यटकों की संख्या में गिरावट का कारण बना।
मुकेश कुमार,गाईड, चित्तौैड़ दुर्ग
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