scriptनगर परिषद सभापति शर्मा व उप सभापति जागेटिया निलंबित | City Council Chairman Sharma and Deputy Chairman Jagatia suspended | Patrika News

नगर परिषद सभापति शर्मा व उप सभापति जागेटिया निलंबित

locationचित्तौड़गढ़Published: Sep 13, 2019 09:29:02 pm

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jitender saran

चित्तौडग़ढ़ नगर परिषद के सभापति सुशील शर्मा व उप सभापति भरत जागेटिया को राज्य सरकार ने पद का दुरूपयोग करने के मामले में जांच के बाद शुक्रवार को निलंबित कर दिया है। दोनों के निलंबन के बाद चित्तौडग़ढ़ में एक बार फिर राजनीतिक सियासत गरमा गई है।

नगर परिषद सभापति शर्मा व उप सभापति जागेटिया निलंबित

नगर परिषद सभापति शर्मा व उप सभापति जागेटिया निलंबित

चित्तौडग़ढ़
राज्य सरकार के स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्जवल राठौड़ की ओर से शुक्रवार को जारी आदेश में कहा गया है कि सभापति सुशील शर्मा व उप सभापति भरत जागेटिया के विरूद्ध पद का दुरूपयोग करने की शिकायत होने पर विभाग की ओर से प्रारंभिक जांच करवाई गई। जांच अधिकारी की ओर से प्रेषित जांच रिपोर्ट के प्रथम दृष्टया अनियमितता होना पाया गया है। शर्मा व जागेटिया के खिलाफ लगाए गए आरोप काफी गंभीर क्रकृति के पाए जाने के कारण जो दुराचरण की श्रेणी में आते हैं, राज्य सरकार द्वारा इनके विरूद्ध राजस्थान नगर पालिका अधिनियम २००९ की धारा ३९ (३) के अन्तर्गत न्यायिक जांच करवाने का निर्णय किया गया है। सभापति सुशील शर्मा व उप सभापति भरत जागेटिया के पद पर बने रहने से न्यायिक जांच प्रभावित होने की संभावना है। अत: राजस्थान नगर पालिका अधिनियम २००९ की धारा ३९ (६) के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार नगर परिषद सभापति सुशील शर्मा व उप सभापति भरत जागेटिया को सभापति, उप सभापति व सदस्य पद से तुरंत प्रभाव से निलंबित करती है।
यह हुई थी शिकायत
गौरतलब है कि परिषद में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के संदीप शर्मा ने स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं संयुक्त सचिव को शिकायत की थी कि भरत कुमार जागेटिया ने उप सभापति पद का कार्य ग्रहण करने के बाद सभापति सुशील कुमार शर्मा के साथ षडय़ंत्र पूर्वक मिलीभगत कर पद का दुरूपयोग किया। उप सभापति ने १३ फरवरी २०१७ को अपने भाई अशोक कुमार जागेटिया से परिषद के समक्ष एक आवेदन इस आशय का पेश करवाया कि प्रार्थी को वर्ष २०१२ में जो पट्टा जारी किया गया था, उसमें भूलवश अधिक राशि जमा हो गई थी, उसे लौटाई जाए। उप सभापति जागेटिया ने भी १३ फरवरी २०१७ को ही इसी तरह का आवेदन कर राशि लौटाने की मांग की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि आपसी मिलीभगत से पांच वर्ष पूर्व जमा की गई राशि में से अशोक कुमार को ६ लाख १९ हजार ७०८ रूपए एवं भरत कुमार जागेटिया को ६ लाख १८ हजार २७३ रूपए की राशि लौटाकर नगर परिषद को कुल १२ लाख ३७ हजार ९८१ रूपए का नुकसान पहुंचाया गया। इसके लिए सभापति व उप सभापति दोनों को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम २००९ की धारा ३९ के अन्तर्गत पद का दुरूपयोग के लिए दोषी बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी।
यह थे दोनों मामले
2. भरत कुमार पुत्र इन्द्रमल जागेटिया (वर्तमान में उप सभापति नगर परिषद चित्तौडग़ढ़) ने राजकीय भूमि नियमन के लिए २५ जनवरी १९९७ व पुन: आवेदन १० अप्रेल २०१२ को नगर परिषद में पेश किया था। नगर परिषद ने ४ अगस्त २०१२ को ८ लाख ३३ हजार २९८ रूपए जमा करते हुए भूमि का नियमन कर पट्टा जारी कर दिया। जिसका पंजीयन भी हो गया। जागेटिया ने नवम्बर २०१४ में नगर परिषद चित्तौडग़ढ़ के उप सभापति पद पर निर्वाचित होकर उप सभापति पद का कार्य ग्रहण कर लिया।
2. उप सभापति भरत जागेटिया के भाई अशोक कुमार पुत्र इन्द्रमल जागेटिया ने भी १० अप्रेल २०१२ को राजकीय भूमि नियमन के लिए नगर परिषद में आवेदन पेश किया। नगर परिषद ने ८ लाख ३५ हजार ६३० रूपए जमा करते हुए अशोक कुमार पुत्र इन्द्रमल जागेटिया के नाम भूमि नियमन कर पट्टा जारी कर दिया, जिसका भी पंजीयन हो चुका है।
यह है प्रावधान
परिपत्र क्रमांक २१ सितंबर २०१२ का उल्लेख करते हुए यह राशि वर्ष २०१७ में लौटाई गई। जबकि यह परिपत्र भूतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता। इस परिपत्र में भी स्पष्ट प्रावधान था कि दिनांक एक जनवरी १९९१ से पूर्व सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए किसी निर्मित आवास का नियमन कर दिया गया है तो यह राशि रिफण्ड नहीं की जाएगी।
जांच में मानी अनियमितता
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक एवं संयुक्त सचिव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक उदयपुर को जांच कर रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए थे। क्षेत्रीय उप निदेशक प्रभा गौतम ने जांच में पाया कि प्रशासन शहरों के संग अभियान २०१२ दिनांक १ नवंबर २०१२ से प्रारंभ हुआ था। जबकि यह दोनों प्रकरण प्रशासन शहरों के संग अभियान से पहले ही निर्णित होकर आदेश जारी हो चुके थे तथा २७ अक्टूबर २०१२ को शाश्वत लीज भी जारी की जा चुकी थी। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि इन दोनों नियमन प्रकरणों को प्रशासन शहरों के संग अभियान में शामिल नहीं किया जा सकता, इसलिए पत्रावली में रिफण्ड की गई राशि नियम संगत नहीं थी।
न्यायालय की शरण लेंगे
उप सभापति भरत जागेटिया को जो राशि रिफण्ड की गई थी, वह पूरी तरह नियमों को ध्यान में रखते हुए रिफण्ड की गई थी। इसमें कहीं भी पद का दुरूपयोग या अनियमितता नहीं बरती गई थी। इसके अलावा इस मामले में जांच भी अभी लंबित है। जांच पूरी होने से पहले ही सरकार ने इस तरह का आदेश जारी किया है। इस आदेश के खिलाफ हम न्यायालय में जाएंगे।
सुशील शर्मा, सभापति नगर परिषद चित्तौडग़ढ़

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