गांव में लगातार हो रही हत्याओं से सदमे में लोग, पुलिस भी खाली हाथ
रुद गांव में तीन हत्याए हो गई, लेकिन पुलिस खाली हाथ ही है, ऐसे में ग्रामीणो ने आरोपितों को पकडऩे की मांग को लेकर कलक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन

चित्तौडग़ढ़.
राशमी क्षेत्र के रूद गांव में वृद्धा की हत्या और लूट के पन्द्रह दिन बाद भी आरोपितों की धर-पकड़ के मामले में पुलिस के हाथ खाली है। पिछले करीब तेरह साल में इस गांव के तीन व्यक्तियों की हत्या हो चुकी है, लेकिन पुलिस एक भी मामले में खुलासा नहीं कर पाई है। आरोपितों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर शुक्रवार को रूद गांव के लोगों ने यहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के अधिकांश युवा पीढ़ी रोजगार के लिए अन्यत्र रहती है, गांव में कई बुजुर्ग दंपति अकेले रहते है। इन घटनाओं के बाद पूरे गांव में भय व डर का माहौल है। सभी बुजुर्ग सदमे में है। रूद गांव में बादाम बाई चोरडिय़ा (75) पत्नी स्व. शांतिलाल चोरडिय़ा मकान में अकेली रहती थी। महिला के पुत्र गुजरात में व्यवसाय पर गए हुए थे। 24 जनवरी 2018 की रात वृद्धा मकान में सो रही थी।
इस दौरान मकान में प्रवेश कर लुटेरों ने वृद्धा के मुंह में कपड़ा ठूंस कर मुंह पर कपड़ा बांध दिया। वृद्धा के हाथ, पैर बांधकर फर्श पर पटक दिया और पलंग के एक कोने से बांध दिया। लुटेरों ने कमरे में रखी अलमारी व पेटी को खोलकर खंगाला तथा सामान बिखेर दिया। 25 जनवरी को सुबह नल में पानी आने के बावजूद भी वृद्धा मकान से बाहर नहीं निकली तो पड़ौसियों ने मकान में जाकर देखा तो वह मृत मिली।
इस घटनाक्रम के पन्द्रह दिन बीतने के बाद भी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई है। इसी के विरोध में रूद गांव से बड़ी संख्या में लोग शुक्रवार सुबह पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर पहुंचे और आरोपितों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंप वृद्धा के हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस के ढुलमुल रवैये से मामले में अब तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है।
ऐसे में पूरे गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया तो आंदोलन को तेज किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ज्ञापन देने वालों में सुरेशचंद्र जैन, बंशीलाल शर्मा, भैरूलाल, मांगीलाल माली, शंातिलाल, पिंटू पारीक सहित ग्रामीण और जैन समाज के लोग शामिल थे।
अंतिम संस्कार के 15 दिन बाद हुई शिनाख्त
बादाम बाई की हत्या से पहले रूद के ही फतेहलाल सिंघवी (70) वर्ष 2003~2004 में अचानक लापता हो गए थे। इसके बाद उनका शव भदेसर क्षेत्र में मिला। शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर दिया। इसके 15 दिन बाद पता चला कि शव फतेहलाल का था, लेकिन इस मामले में पुलिस अभी तक खाली हाथ ही है।
मारकर रेलवे ट्रेक पर फेंक गए
गंगरार क्षेत्र में चौकीदारी का काम करने वाले रूद निवासी सत्यनारायण ओझा (25) का शव करीब आठ माह पहले गंगरार क्षेत्र में रेलवे ट्रेक पर मिला। जिसे किसी ने मारकर रेलवे ट्रेक पर फैंक दिया था। ग्रामवासियों का कहना है कि उसे पहले मारा गया फिर उसका शव रेलवे ट्रेक पर फेंक दिया गया, ताकि मामला रेल दुर्घटना का प्रतीत हो। इस मामले में भी पुलिस अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।
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