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खतरनाक हो रहा है डेंगू, पांच लोगों की छीन चुका है सांसें

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 24, 2021 10:30:50 pm

Submitted by:

jitender saran

डेंगू फैलाने के लिए जिम्मेदार एडीस एजिप्टाई मच्छर के डंक लोगों को मौत की नींद सुला रहे हैं और सेहत का महकमा आंकड़ों के जादू से सरकार और प्रशासन को गुमराह कर रहा है। अकेले बेगूं क्षेत्र में पिछले बीस दिन में डेगूं से चार लोगों की मौत हो चुकी है पर स्वास्थ्य विभाग में डेगूं से मौत का आंकड़ा अब भी शून्य में सिमटा हुआ है। जिले में अब तक पांच सौ से ज्यादा लोग डेगूं की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन विभाग का आंकड़ा डेढ सौ से आगे नहीं बढ रहा है।

खतरनाक हो रहा है डेंगू, पांच लोगों की छीन चुका है सांसें

खतरनाक हो रहा है डेंगू, पांच लोगों की छीन चुका है सांसें

जितेन्द्र सारण
चित्तौडग़ढ़
डेंगू फैलाने के लिए जिम्मेदार एडीस एजिप्टाई मच्छर के डंक लोगों को मौत की नींद सुला रहे हैं और सेहत का महकमा आंकड़ों के जादू से सरकार और प्रशासन को गुमराह कर रहा है। अकेले बेगूं क्षेत्र में पिछले बीस दिन में डेगूं से चार लोगों की मौत हो चुकी है पर स्वास्थ्य विभाग में डेगूं से मौत का आंकड़ा अब भी शून्य में सिमटा हुआ है। जिले में अब तक पांच सौ से ज्यादा लोग डेगूं की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन विभाग का आंकड़ा डेढ सौ से आगे नहीं बढ रहा है।
चित्तौडग़ढ़ जिले में डेंगू का कहर बढता जा रहा है। जिले में अब तक पांच सौ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने उदयपुर और अहमदाबाद शहरों के अस्पतालों में भर्ती रहकर अपना इलाज करवाया है। जिले के सबसे बड़े सांवलिया जी अस्पताल में डेंगू के मामले संभल नहीं पा रहे हैं। यहां हालत यह है कि मरीजों का इलाज फर्श पर लेटाकर करना पड़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सांवलिया जी अस्पताल में रेपिड कार्ड से हुई जांच में अगस्त में ३, सितंबर में १३१ व अक्टूबर के दस दिन में १०२ रोगियों में डेंगू की पुष्टि हुई है, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सिर्फ एलाइजा टेस्ट को ही मानता है। चित्तौडग़ढ़ शहर में ही पिछले माह तीस सितंबर को पीजी कॉलेज के सामने रहने वाले सरबजीत सिंह की ग्यारह वर्षीय बेटी की डेंगू से उदयपुर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। बेगूं में प्रतापपुरा गांव के तीस वर्षीय युवक ओमप्रकाश पुत्र सुखलाल ओड की डेंगू व स्क्रबटायफस से मौत हो गई। वह चार-पांच दिन से बीमार था और घर पर ही उसका इलाज करवाया जा रहा था। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर चित्तौडग़ढ़ लाते समय रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
बीस दिन में बेगूं में चौथी मौत
बेगूं में गत 20 दिन में डेंगू के चार जनों की मौत हो चुकी है। 25 सितम्बर को बेगंू निवासी किशोर अनवर, 3 अक्टूबर को बिहार के समस्तीपुर निवासी साकेत मिश्र, 4 अक्टूबर को खेड़ा निवासी लोकेश कोठारी एवं शनिवार को ओम प्रकाश की डेंगू से मौत हुई है। यह चारों मृतक पन्द्रह से तीस साल की आयु के थे।
सोया हुआ है सेहत का महकमा
जिले में पैर पसार चुके डेंगू को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी खुद ही गंभीर नहीं है। विभाग के पास तो जिले में हुई इन मौतों का आंकड़ा तक नहीं है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग पांच-पांच मौतों के बाद भी डेगूं से मौत का आंकड़ा शून्य बता रहा है। जिले में पांच सौ से ज्यादा लोग डेगूं की चपेट में आ चुके है, लेकिन चिकित्सा विभाग का आंकड़ा जिले में अब तक सिर्फ १४३ लोगों के डेंगू की चपेट में आने का ही राग अलाप रहा है। शहर और जिले के हर गली-मोहल्ले में डेंगू का कहर है। जिला कलक्टर हर बार चिकित्सा विभाग की बैठकों में सख्त निर्देश दे चुके हैं कि डेंगू की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जाए, लेकिन जिला कलक्टर के निर्देशों की पूरी तरह पालना नहीं की जा रही है।
एडीस लार्वा से घिरी बस्तियां
डेंगू और मलेरिया फैलाने के लिए जिम्मेदार एडीस एजिप्टाई और एनोफ्लिज मच्छर के लार्वा ने शहर की अधिकांश बस्तियों में दस्तक दे दी है। बस्तियों में भरे पानी में इन लार्वा की मौजूदगी है। लेकिन लार्वा का खात्मा करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
दिन में डंक मारता एडीस
डेंगू बुखार वेक्टर जनित वायरल रोग है, जो एडीस एजिप्टाई मच्छर के माध्यम से फैलता है। विशेष बात यह है कि यह मच्छर दिन के समय ही डंक मारता है और इसके पांच-छह दिन में व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है।
बचाव ही उपचार है
डेंगू के रोगी को आराम की जरूरत होती है। तेज बुखार होने पर चिकित्सक की सलाह से उसे पेरासिटामोल की गोली दी जा सकती है। रोगी को स्टेरॉयड, एस्प्रीन या आईबुप्रोफेन नहीं देनी चाहिए। उन्होंने रोगी को ओआरएस का घोल और हल्का भोजन देने की सलाह दी।
डेंगू के है तीन रूप
डेंगू मुख्य रूप से तीन तरह का होता है। साधारण डेंगू में तेज बुखार, कंपकंपी, सिर दर्द, कमजोरी, पेट व निचले हिस्से में दर्द, जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, शरीर लाल पडऩा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। रक्त स्त्राव वाले डेंगू में शरीर पर गहरे नीले-काले धब्बे बन जाते हैं। इसमें पेट के ऊपरी हिस्से व लीवर में दर्द होता है। चमड़ी के नीच खून का फटना, नाक व मसूड़ों से खून निकलने, खून की उल्टियां व काले रंग के दस्त की शिकायत होती है। डेंगू शॉक सिन्ड्रोम में नाड़ी कमजोर पडऩे के साथ ही उसकी चाल तेज हो जाती है। रक्तचाप कम होने के साथ ही बेचैनी बढ़ जाती है। इसमें मरीज बेहोश भी हो सकता है।
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