निगम की ओर से स्थायी रूप से काटे गए कनेक्शन में जिले के लगभग ६७ हजार ६०७ उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं द्वारा समय पर बिल जमा नहीं कराने पर निगम ने कनेक्शन काटे थे। इनमें से अधिकांश उपभोक्ताओं ने न तो बकाया चुकाया और न ही दुबारा कनेक्शन लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिस परिसर में स्थायी रूप से कनेक्शन काट दिया जाता है उस परिसर में बाकियात वसूली नहीं होने तक नया कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। निगम कर्मचारियों के सामने समस्या यह होती है कि कुछ समय बाद स्टाफ बदल जाता है। उपभोक्ता आकर कहता है कि उसने तो मकान खरीदा है। ऐसे में मजबूरी में कनेक्शन देना पड़ता है।
बाकियात वसूली के दौरान ऐसे उपभोक्ताओं के नाम भी सामने आए है जो अपने मकान बेचकर दूसरे जिलों में जाकर बस चुके हैं। उन उपभोक्ताओं ने जिन लोगों को मकान बेचे है उन लोगों ने वहां नया मकान बना लिया और नया कनेक्शन भी ले लिया है।
मैं अकेला क्यों दूं, मेरे भाई से भी लो
केस-1 निगम के अधिकारियों ने बताया कि जिले में ऐसे मामले भी सामने आए कि जिस परिसर से कनेक्शन काटा गया उस परिसर में रहने वाले कई भाई अलग मकान बना कर रहने लग गए। उस परिसर में जो उपभोक्ता रहते हैं वे बकाया को लेकर कहते है मैं अकेला क्यों दूं। मेरे भाइयों से भी वसूल करो।
केस-2 जिले में ऐसे भी कई मामले सामने आए जिन उपभोक्ताओं से राशि वसूलनी थी, वहां गए तो पता चला की दोनों पति-पत्नी की काफी समय पहले ही मौत हो चुकी है। ऐसे भी उपभोक्ता हैं जिन्होंने दूसरों को मकान बेच दिया और वो दूसरे जिले में या दूसरी जगह रहने लग गए।
यह बात बिल्कुल सही है कि जिन उपभोक्ताओं के स्थायी कनेक्शन काट दिए है उनसे वसूली के लिए जाते है तो पता चलता है कि उपभोक्ता की मौत हो गई। लेकिन अधिकतर ऐसे मामले है जो मकान बेचकर दूसरे जिले में रहने लग गए। ऐसी स्थिति में शत प्रतिशत बाकियात वसूली करना हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है।
आरसी शर्मा, अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. चित्तौडग़ढ़