scriptबांधों की गुल्लक में पैंदा खाली, लाइम स्टोरेज पर टिकी धरती पुत्रों की उम्मीद की रोशनी | Empty bottoms in damselon, light of hope of earth sons resting on lime | Patrika News

बांधों की गुल्लक में पैंदा खाली, लाइम स्टोरेज पर टिकी धरती पुत्रों की उम्मीद की रोशनी

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 30, 2020 03:32:24 pm

Submitted by:

Avinash Chaturvedi

चित्तौडग़ढ़. शक्ति और भक्ति की नगरी चित्तौडग़ढ़ जिले पर इस बार मानसून की मेहरबानी नहीं रही। यहीं वजह है कि बांधों की गुल्लक खाली पड़ी है। पैंदा दिखने से धरती पुत्र भी मायूस है। अब किसानों को लाइम स्टोरेज (डेड स्टोरेज से पहले का पानी) पर ही आस टिकी है। इससे जल संसाधन विभाग (सिंचाई विभाग) भी परेशान है। हालांकि विभाग किन बांधों से सिंचाई के लिए कितना पानी दिया जा सकता। इसका तानाबाना बुनने में लगा है।

बांधों की गुल्लक में पैंदा खाली, लाइम स्टोरेज पर टिकी धरती पुत्रों की उम्मीद की रोशनी

बांधों की गुल्लक में पैंदा खाली, लाइम स्टोरेज पर टिकी धरती पुत्रों की उम्मीद की रोशनी

चित्तौडग़ढ़. शक्ति और भक्ति की नगरी चित्तौडग़ढ़ जिले पर इस बार मानसून की मेहरबानी नहीं रही। यहीं वजह है कि बांधों की गुल्लक खाली पड़ी है। पैंदा दिखने से धरती पुत्र भी मायूस है। अब किसानों को लाइम स्टोरेज (डेड स्टोरेज से पहले का पानी) पर ही आस टिकी है। इससे जल संसाधन विभाग (सिंचाई विभाग) भी परेशान है। हालांकि विभाग किन बांधों से सिंचाई के लिए कितना पानी दिया जा सकता। इसका तानाबाना बुनने में लगा है।
३९ बांध विभाग के अधीन, एक से भी सिंचाई पूरी नहीं

जिले में विभाग के अधीन ३९ छोटे-बड़े बांध है। इनमें से एक भी बांध में पानी इतना नहीं आया कि रबी की फसल के लिए भरपूर पानी दिया जा सकें। जिले में इस बार कहने को अस्सी प्रतिशत बारिश हुई है। लेकिन खण्ड वर्षा ने सिंचाई का समीकरण बिगाड़ दिया है।
६५ हजार हैक्टेयर में सिंचाई, तीस प्रतिशत पी पाएंगे खेत पानी

जिले में अगर बांध भरे हो तो विभाग सिंचाई के लिए पानी छोड़कर ६५ हजार ७१४ हैक्टेयर में सिंचाई करवाता है। इसके लिए कई जगह दो से तीन बार सिंचाई हो जाती है। इस बार नहर खुलने पर तीस प्रतिशत खेत ही बांधों के पानी से तर हो पाएंगे। विभाग की मुश्किल यह है कि एक सिंचाई में भी टेल तक पानी पहुंचाना सम्भव नहीं होगा।
पहले पेयजल के लिए आरक्षित, उसके बाद सिंचाई की बात

बांधों में इस बार पानी नहीं आने से पहली प्राथमिक पेयजल होगी। जलदाय विभाग डेड स्टोरेज को पहले से पीने के लिए आरक्षित कर लेता है। उसके बाद बचा पानी सिंचाई के लिए दिया जाता है। जिन बांधों में पानी आया भी वहां भी पेयजल के लिए आरक्षित रखा जाएगा।
इन बांधों ने तोड़ी आस, दूसरे जिलों में निर्भर
इस बार गम्भीरी, बस्सी, भोपाल सागर और ओराई बांध में पानी की आवक बहुत ही कम हुई है। जिला कलक्टर के साथ पेयजल समीक्षा बैठक में जल संसाधन विभाग ने खाका भी प्रशासन के साथ सामने रखा। इन बांधों से सिंचाई सम्भव नहीं बताई। उदयपुर जिले के मावली तहसील में स्थित बडग़ांव और भीलवाड़ा जिले के माण्डलगढ़ तहसील के देवलिया बांध से चित्तौडग़ढ़ जिले के कुछ गांवों में सिंचाई के लिए यहां से पानी छोड़ा जाएगा। जिले में बांधों में वर्तमान में कुल उपयोगी भराव क्षमता १०६० एमसीएफटी पानी है। इसमें से जलदाय विभाग की मांग के अनुसार १५५ एमसीएफटी पानी आरक्षित रखना है। जलदाय विभाग की मांग के बाद ९०५ एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए दिया जा सकता है। जबकि सिंचाई के लिए प्रथम मांग ही १७७६ एमसीएफटी पानी की है। इससे जल संसाधन विभाग के माथे पर चिंता की लकीरें खंींची हुई है।
इनका कहना है
इस बार मानसून की मेहरबानी नहीं होने से बांधों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं आया। इससे रबी फसल की सिंचाई के लिए पूरा पानी नहीं है। जलदाय विभाग की मांग के अनुसार पेजयल के लिए पानी आरक्षित रखकर कुछ बांधों से सिंचाई के लिए देंगे। ग्रामीणों से वार्ता करके समझाइश के प्रयास किए जा रहे है।
– ब्रह्मपाल गुर्जर, अधिशाषी अभियंता, जल संसाधन विभाग, चित्तौडग़ढ़
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फैक्ट फाइल

६५ हजार
हैक्टेयर में बांधों से सिंचाई

३९ बांध
जल संसाधन विभाग के अधीन

१५५ एमसीएफटी
पानी पेयजल के लिए रिर्जव

८० प्रतिशत
बारिश हुई इस बार

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