सूत्रों ने बताया कि जिन दो-चार लोगों के नाम बताए थे, उनमें से एक-दो के मोबाइल पर भी बाद में फोन पहुंच गया। फोन करने वाले ने खुद को शहर कोतवाल बताते हुए पन्द्रह लाख रुपए हवाले के जरिए मांग लिए। जबकि हकीकत यह है कि पुलिस अधिकारी को न तो निम्बाहेड़ा के पुलिस उप अधीक्षक ने कोई फोन किया और न ही शहर कोतवाल ने किसी को फोन किया।
आखिर मामला कोतवाली तक पहुंचा तो माजरा सामने आया कि किसी व्यक्ति ने फर्जी तरीके से खुद को डिप्टी और कोतवाल बताकर फोन किए थे। कोतवाल ओमप्रकाश सोलंकी ने इसे गंभीर मानते हुए मामले को परिवाद में लिया है, जिसकी जांच की जा रही है।
जिस व्यक्ति ने भी फर्जी डिप्टी और कोतवाल बनकर फोन किए है, उसके नम्बर भी पुलिस के पास मौजूद है। पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है। हालांकि इस मामले में पुलिस अधिकारी की भी गलती रही है, उन्होंने भी बिना जानकारी लिए चित्तौडग़ढ़ के कुछ लोगों का नाम उन्हें बता दिए।
ऐसे लोगों को खिलाफ हो कार्रवाई
मैने तो किसी को कोई फोन नहीं किया, लेकिन यदि इस तरह से कोई फर्जी अधिकारी बनकर फोन करता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
मैने तो किसी को कोई फोन नहीं किया, लेकिन यदि इस तरह से कोई फर्जी अधिकारी बनकर फोन करता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
गोपीचन्द मीणा, पुलिस उप अधीक्षक निम्बाहेड़ा परिवाद में लिया है
मेरे नाम से कुछ लोगों को फोन कर हवाले के जरिए पन्द्रह लाख रुपए मांगने का मामला सामने आया है, इसे परिवाद में रखकर जांच की जा रही है। जल्द ही मामले का खुलासा कर दिया जाएगा।
ओमप्रकाश सोलंकी, सीआई, कोतवाली, चित्तौडग़ढ़