किसानों को रास नहीं आई नई अफीम नीति, 25 को करेंगे प्रदर्शन
चित्तौड़गढ़Published: Oct 24, 2021 10:59:58 pm
केन्द्र सरकार की ओर से जारी नई अफीम नीति इस बार भी मेवाड़ के किसानों को रास नहीं आई है। अफीम नीति में संशोधन की मांग को लेकर किसानों ने 25 अक्टूबर से प्रदर्शन का ऐलान किया है।
किसानों को रास नहीं आई नई अफीम नीति, 25 को करेंगे प्रदर्शन
चित्तौडग़ढ़
केन्द्र सरकार की ओर से जारी नई अफीम नीति इस बार भी मेवाड़ के किसानों को रास नहीं आई है। अफीम नीति में संशोधन की मांग को लेकर किसानों ने 25 अक्टूबर से प्रदर्शन का ऐलान किया है।
किसानों का आरोप है कि हर बार उनकी अफीम को घटिया बताकर पट्टे काट दिए जाते हैं, लेकिन किसानों की अफीम घटिया नहीं है। किसानों ने बताया कि ग्यारह अक्टूबर २०२१ को घोषित नई अफीम नीति देश और किसान दोनों के साथ धोखा है। अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल ने बताया कि अफीम नीति में संशोधन व पांच सूत्री मांगों को लेकर २५ अक्टूबर को राजस्थान, मध्यप्रदेश के किसान यहां कलक्ट्रेट चौराहे पर प्रदर्शन करेंगे। किसानों की प्रमुख मांगों में वर्ष 1997-98 से 2021 तक घटिया, वाटर मिक्स, सस्पेक्टेड, औसत में कमी और कम मार्फिन जैसे कारण बताकर काटे गए पट्टे बहाल करने, अफीम का मूल्य अन्तरराष्ट्रीय मानकों पर तय करने, किसानों पर थोपा गया मार्फिन का नियम खत्म कर औसत आधार पर पट्टे जारी करने, वर्ष २०१५ से २०२१ तक नारकोटिक्स विभाग में हुए घपलों की सीबीआई जांच करवाने तथा एसीबी की ओर से पकड़े गए नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों का नारको टेस्ट करवाने की मांग शामिल है। इसके अलावा अफीम नीति २०२१-२२ निर्धारण में किसानों की सहभागिता से बनाने और सभी किसानों को एक समान दस-दस आरी के पट्टे देने की मांग शामिल है।
गौरतलब है कि अफीम किसान अफीम नीति को तर्क संगत बनाने की मांग को लेकर पिछले डेढ दशक से संघर्ष और आंदोलन की राह पर है। हर बार अफीम नीति जारी होने से पहले किसान दिल्ली भी कूच करते हैं और वहां अपनी पीड़ा भी बताते हैं। अपनी समस्याओं को लेकर अफीम काश्तकार हर साल सांसद के पास भी पहुंच रहे है और उन्हें आश्वासन भी मिल रहा है, लेकिन हर बार अफीम नीति जारी होने के बाद किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि बरसों से वे अफीम की खेती करते आए हैं। अब साल दर साल अफीम नीति को पेचीदा बनाकर केन्द्र सरकार किसानों को इस खेती से दूर कर रही है। कभी औसत तो कभी घटिया और वाटर मिक्स अफीम बताकर किसानों के पट्टे काटे जा रहे हैं। नारकोटिक्स विभाग में भ्रष्टाचार के मामले पहले ही सामने आ चुके हैं। इन सब के बावजूद किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है। डेढ दशक से किसानों की आस सिर्फ और सिर्फ नेताओं के आश्वासन पर टिकी हुए है।