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चित्तौड़गढ़

मजबूर सरकार को अपने ही कदम से पीछे हटाना पड़ा

गहलोत सरकार की ओर से सोमवार को राज्य केबिनेट की बैठक में नगर परिषद के सभापति एवं पालिका अध्यक्ष मेयर आदि के चुनाव सीधे नहीं करा अप्रत्यक्षप्रणाली से कराने के निर्णय पर भाजपा ने कहा है कि सरकार को मजबूरी में अपना कदम से पीछे हटाना पड़ा है।

चित्तौड़गढ़Oct 14, 2019 / 10:26 pm

jitender saran

मजबूर सरकार को अपने ही कदम से पीछे हटाना पड़ा

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चित्तौडग़ढ़.
भाजपा के नेता एवं पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने कहा है कि सरकार की ओर से निकाय प्रमुखों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने का निर्णय सरकार को मजबूरी मेें लेना पड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में कांग्रेस के विरोध में माहौल देखकर सरकार को निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की अपनी ही घोषणा से पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो सरकार की हताशा का द्योत्तक है। कृपलानी ने कहा कि सरकार ने निकाय प्रमुखों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की घोषणा की थी तो भाजपा इसके लिए तैयार थी तथा राज्य भर में भाजपा के पक्ष में माहौल भी बनने लगा, जिसकों देखकर निकायों के चुनावों में कांग्रेस की हार के डर से अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के लिए सरकार को नतमस्तक होना पड़ा। उन्होनें कहा कि विधानसभा चुनाव में किसानों के कर्ज माफ करने, बेरोजगारों को रोजगार देने व रोजगार नहीं मिलने पर भत्ता देने, कर्मचारियों के वेतन भत्तों सहित किए गए कई वादे झूठे साबित होने के साथ कांग्रेस सरकार के गठन होने के बाद से ही नगरीय विकास ठप्प होने व स्थानीय निकायों में बजट बंद करने से जनकल्याणकारी कार्यो पर प्रतिकुल प्रभाव के चलते आम जनता में व्याप्त रोष है। कृपलानी ने इस घोषणा का भी स्वागत करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में निकायों के माध्यम से कराए गए विकास एवं जनकल्याणकारी कार्यो के बलबुतों पर जनता के बीच जाएंगे।
वहीं चित्तौडग़ढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दस महिनों में ही प्रदेश के किसान, युवा और जनता को धोखा देकर वादा खिलाफी का रिकॉर्ड बना लिया है। जिला मीडिया प्रमुख सुधीर जैन ने बताया कि विधायक आक्या ने कहा निकाय चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करवाने को लेकर एक बड़ा भ्रम था, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव करवाने के फैसले से सरकार का डर एक बार फिर सच साबित हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही जाति और मजहब के वोट बैंक की राजनीति करती है और इसी कारण सरकार ने वार्डों का पुन:सीमांकन कर जाति, पंथ और मजहब के नाम पर वार्डों को बांटने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग कर जनता को डराकर तथा तबादलों की आड़ में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।

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