scriptबदहाल शहर : कहीं विकास की ‘गंगा’, तो कहीं छा गया ‘सूखा’ | 'Ganga' of development somewhere in the city, then there was 'drought' | Patrika News

बदहाल शहर : कहीं विकास की ‘गंगा’, तो कहीं छा गया ‘सूखा’

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 12, 2019 11:59:13 pm

Submitted by:

Kalulal

निकाय चुनाव नजदीक आते ही चित्तौडग़ढ़ नगर परिषद में जनप्रतिनिधि बनने के लिए फिर वादों का मौसम आ गया है। विकास के नाम पर पांच वर्ष खानापूर्ति ही की गई। कागजों में अरबों रुपए शहर के विकास पर खर्च हो गए लेकिन हकीकत में अब भी शहर समस्याओं से जूझ रहा है।

बदहाल शहर : कहीं विकास की 'गंगा', तो कहीं छा गया 'सूखा'

बदहाल शहर : कहीं विकास की ‘गंगा’, तो कहीं छा गया ‘सूखा’

करोड़ों खर्च फिर भी शहर रहा बदहाल
अविनाश चतुर्वेदी/ चित्तौडग़ढ़. निकाय चुनाव नजदीक आते ही चित्तौडग़ढ़ नगर परिषद में जनप्रतिनिधि बनने के लिए फिर वादों का मौसम आ गया है। विकास के नाम पर पांच वर्ष खानापूर्ति ही की गई। कागजों में अरबों रुपए शहर के विकास पर खर्च हो गए लेकिन हकीकत में अब भी शहर समस्याओं से जूझ रहा है। सभी वार्डो में समान रूप से भी विकास राशि खर्च नहीं हुई। राजनीतिक दलों के प्रत्याशी कौन होगा ये तो तय नहीं लेकिन मौजूदा पार्षद भी चुनाव की तैयारियों में जुट गए है। पार्षद मतदाताओं के सामने बड़े-बड़े दावे कर रहे है लेकिन किस पार्षद ने अपने वार्ड में पांच साल में क्या-क्या काम करवाया और विकास पर कितना खर्च किया इसका विश्लेषण किया तो सामने आया कि प्रभावशाली एवं अनुभवी पार्षदों ने अपने अपने वार्ड में विकास के लिए अच्छी खासी राशि खर्च करवाई तो पहली बार पार्षद बने वो इसमें पीछे रहे। हालाकि अधिकांश वार्डो में विकास के नाम पर जो राशि खर्च की गई वह महज लाखों में है। वहीं कुछ वार्डों में यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंचा है।
जहां जरूरत वहां पर पूरी नहीं मिली राशि
जिन वार्डों में विकास की अधिक आवश्यकता थी वहां पर विकास के नाम पर पार्षद बहुत कम राशि खर्च करा सके लेकिन जहां पर पर प्रभावशाली नेता थे वहां पर राशि एवं काम दोनों ही करोड़ों में हो गए। ऐसे में शहर के कई क्षेत्र ऐसे रह गए कि पांच साल बितने के बाद भी न सड़े बनी और ना ही नालियों का निर्माण हो सका। जबकि सड़क निर्माण पर इन पांच सालों में सर्वाधिक राशि व्यय की गई।
सर्वाधिक राशि सड़कों पर फिर भी बदहाल
शहर में विकास के नाम पर अधिकांश वार्डों में बीते पांच सालों में सड़कों के निर्माण एवं रखरखाव पर खर्च हुइ्र लेकिन इसके बाद भी शहर का हाल बदहाल है। सड़कें पूरी तरह से गड्डों में बदल गई। नालियों के निर्माण पर भी मोटी रकम खर्च होना बताया लेकिन शहर की नालियों एवं नालों की दशा काफी दयनीय है।
पेच वर्क के नाम पर भी हुई राशि खर्च
सड़कों के पेच वर्क के नाम पर भी लाखों नहीं करोड़ों का खर्च होना बताया लेकिन पेच वर्क तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए हुए कुछ ही दिनों में यह पूरी तरह से उखड़ गई।
कुल यह राशि हुई खर्च
बीते पांच सालों में 2006524710.29 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई। इसमें अधिकांश राशि जनरल मद में खर्च के लिए रखी गई जबकि 45 वार्डों 8086.71 लाख रुपए विकास कार्यों के लिए ही खर्च किए गए।
सभापति से अधिक खर्चा कांग्रेस प्रत्याशी के वार्ड में
नगर परिषद की ओर से विकास कार्यों के लिए स्वीकृत की गई राशि में तत्कालीन सभापति सुशील कुमार शर्मा भी पीछे रह गए। उन्होंने पांच साल में अपने वार्ड २९ में ५२४.७६ लाख रुपए के कार्य स्वीकृत किए जबकि कांग्रेस पार्षद नवीन पटवारी के वार्र्ड ३६ में ८२४.६७ लाख के कार्य स्वीकृत किए गए।
इन समस्याओं से जूझ रहा शहर
– प्रमुख मार्गो पर अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण बढ़ते जा रहे है।
– प्रमुख पार्को एवं चौराहों का विकास नहीं हो पाया।
– आवारा मवेशियों की धरपकड़ का प्रयास होने के बावजूद सड़कों पर इनकी संख्या कम नहीं हुई है।
– मानसून अवधि को छोड़ दे तो भी पांच वर्ष शहर की सड़के गड्ढो से भरी रही। मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति हुई।
– शहर में नो पार्किंग में वाहन खड़े है तो नव विकसित मार्गो पर पार्किंग स्टेण्ड ही नहीं है।
– स्वच्छता अभियान चलने के बावजूद चित्तौडग़ढ़ शहर मेंं जगह-जगह गदंगी के ढेर लगे मिल जाते है।
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