scriptसौर ऊर्जा योजना का गला घोंट रही है सरकार की दोहरी नीति | Government's dual policy is strangling solar power scheme | Patrika News

सौर ऊर्जा योजना का गला घोंट रही है सरकार की दोहरी नीति

locationचित्तौड़गढ़Published: Oct 12, 2019 11:47:22 am

Submitted by:

jitender saran

सौर ऊर्जा योजना को सरकार की दोहरी नीति का दंश झेलना पड़ रहा है। जिले में छोटे-मोट 38 प्रतिष्ठान और उद्योग सौर ऊर्जा के जरिए 11 हजार 782.4 किलो वाट बिजली पैदा कर रहे हैं, लेकिन बिजली की खरीद और बिक्री में रात-दिन का अंतर होने के कारण लोगों का अब इस योजना से मोह भंग हो रहा है।

सौर ऊर्जा योजना का गला घोंट रही है सरकार की दोहरी नीति

सौर ऊर्जा योजना का गला घोंट रही है सरकार की दोहरी नीति

चित्तौडग़ढ़
सरकार ने बिजली की उपलब्धता में आने वाली कमी को दूर करने के लिए सौर ऊर्जा योजना की शुरुआत की थी, ताकि विभिन्न प्रतिष्ठान और उद्योग अपनी जरूरत के हिसाब से विद्युत उत्पादन खुद कर सके और शेष बची हुई बिजली विद्युत वितरण निगम को उपलब्ध करवा सके। जिन प्रतिष्ठानों और उद्योगों में हर माह विद्युत उपभोग ज्यादा होता है, ऐसे सीमेंट उद्योग, विश्वविद्यालय, स्कूलों सहित कई नामी उद्योगों और प्रतिष्ठानों ने इस योजना से प्रभावित होकर अपने यहां सौलर सिस्टम लगवा लिए। अजमेर विद्युत वितरण निगम चित्तौडग़ढ़ में ऐसे करीब 38 प्रतिष्ठान और उद्योग पंजीकृत हैं, जिन्होंने अपने यहां सौलर सिस्टम लगा रखे हैं। इन सभी की मिलाकर सौलर पॉवर क्षमता 11 हजार 782.4 किलोवॉट है।
इनकी मजबूरी है बिजली बेचना, वे उठा रहे बेजा फायदा
सौलर सिस्टम में यह व्यवस्था है कि सुबह सूर्योदय से लेकर शाम को सूर्यास्त होने से पहले तक इसमें बिजली का उत्पादन होता है। जिन उद्योगों और प्रतिष्ठानों में सौलर सिस्टम लगे हुए हैं, वे दिन के समय आवश्यकता के अनुसार विद्युत उपभोग कर लेते हैं, लेकिन रात्रि में इसका उपभोग संभव नहीं होने के कारण उपभोग के अतिरिक्त उत्पादित बिजली को अजमेर विद्युत वितरण निगम को बेचने की मजबूरी हो जाती है। ऐसे में रात्रि में इन प्रतिष्ठानों और उद्योगों को विद्युत वितरण निगम से मिलने वाली बिजली का ही उपभोग करना पड़ता है।
इन्हीं की बिजली इनको ही तीन गुना दाम पर मिल रही
दिन के समय इन उद्योगों और प्रतिष्ठानों में उपभोग के अतिरिक्त होने वाले उत्पादन को विद्युत वितरण निगम करीब 3.07 रूपए प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदता है। दिन में उत्पादित की गई बिजली इन्हीं प्रतिष्ठानों से खरीदने के बाद वहीं बिजली रात्रि में इन्हें उपलब्ध कराई जाती है तो विद्युत वितरण निगम इनसे करीब 9.50 रूपए प्रति यूनिट के हिसाब से वसूल करता है। सरकार एक तरफ सौर ऊर्जा को बढावा देने का ढिंढोरा पीट रही है, वहीं खरीद और बिक्री के इस दोहरे मापदण्ड के चलते लोगों का इस योजना से मोह भंग हो रहा है।
हम कुछ नहीं कर सकते
सौर ऊर्जा से उत्पादित अतिरिक्त बिजली यदि निगम नहीं खरीदे तो उसका कोई उपयोग भी नहीं रहता। ऐसे में निर्धारित सरकारी दर पर बिजली खरीदकर सौलर सिस्टम धारकों को ही फायदा दिया जा रहा है। सस्ती खरीद और महंगे दाम पर आपूर्ति जैसी कोई बात नहीं है। जो प्रावधान है, उसके अनुसार ही निगम चार्ज करता है।
रमेशचन्द्र शर्मा
अधीक्षण अभियंता, अजमेर विद्युत वितरण निगम चित्तौडग़ढ़
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