scriptघर पर ठहरने से कैसे लौट आया बड़ो का बचपन | How did Bado's childhood return from his stay at home | Patrika News

घर पर ठहरने से कैसे लौट आया बड़ो का बचपन

locationचित्तौड़गढ़Published: Mar 30, 2020 01:05:01 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

कोरोना वायरस के खतरे सेे बचने के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की अपील पर घरों में बंद लोग अलग-अलग तरीको से समय बीता रहे है। हमेश व्यस्त रहनेे से जिनके परिवार वालों को ये शिकायत रहेती थी कि घर में समय नहीं मिलता वे बच्चों व परिजनों के संग अधिकाधिक समय बीता रहे है। ऐेसे लोग परिवार संग ताश,शतरंज, लूडो, कैरम, सांप-सीढ़ी आदि पारम्परिकउन खेलों में व्यस्त हो रहे है जो घर पर रहकर अंदर कक्ष में ही खेले जा सकते है।

घर पर ठहरने से कैसे लौट आया बड़ो का बचपन

घर पर ठहरने से कैसे लौट आया बड़ो का बचपन


चित्तौडग़ढ़. कोरोना वायरस के खतरे सेे बचने के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की अपील पर घरों में बंद लोग अलग-अलग तरीको से समय बीता रहे है। भक्ति-साधना में आस्था रखने वाले अब दिन में भी धार्मिक क्रियाओं में समय देकर प्रभु की आराधना कर रहे है तो हमेश व्यस्त रहनेे से जिनके परिवार वालों को ये शिकायत रहेती थी कि घर में समय नहीं मिलता वे बच्चों व परिजनों के संग अधिकाधिक समय बीता रहे है। ऐेसे लोग परिवार संग ताश,शतरंज, लूडो, कैरम, सांप-सीढ़ी आदि पारम्परिकउन खेलों में व्यस्त हो रहे है जो घर पर रहकर अंदर कक्ष में ही खेले जा सकते है। ऐसा लग रहा है कि बच्चों के संग उनका भी बचपन लौट आया है। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे से चिन्तीत लोग भी इन खेलों के आनंद में डूबने पर कुछ समय सारे तनाव भूल रहे है। कई लोग इस समय का उपयोग पुस्तके पढऩे या बागवानी का शौक पूरा करने में भी लगाते रहे। लॉकडाउन की लंबी अवधि होने से हमेशा व्यस्त रहने वाले कई लोग ये सोच खुश थे कि इसी बहाने परिवार के संग समय बीताने का अवसर मिला है।
उब गए मोबाइल गेम्स से, रास आ रहे बचपन के खेल
सामान्यतया मोबाइल पर वीडियो गेम्स व ऑनलाइन गेम्स में लगे रहने वाले बच्चें व बड़े भी अब उससे उबे हुए प्रतीत हो रहे है और सभी बचपन के लोकप्रिय खेलों की तरफ आकर्षित हो रहे है। इनमें सबसे अधिक कैरम,लूडो, सांप-सीढ़ी जैसे खेल पंसद आ रहे है जिनमें एक साथ परिवार के चार सदस्य खेल सकते है। ताश की बाजियां भी घरों में खूब जम रही है।
पूछ रहे बाहर रहने वाले परिजनों का हाल
जनता कफ्र्र्यू के दौरान लोगों ने समय मिला तो फोन व मोबाइल के माध्यम से परिजनों के हाल पूछे। सभी जगह एक ही सवाल था कि आपके क्षेत्र में कोरोना वायरस के क्या हाल है। जिनके परिजन भीलवाड़, मुंबई, पूणा, प्रतापगढ़, इंदौर जैस कोरोना वायरस के अधिक प्रकोप वाले स्थान पर रहते है वो चिन्ता में है लेकिन वहां रहने वालों का हौंसला भी बढ़ा रहे है कि वायरस संक्रमण से जल्द मुक्ति मिल जाएगी।
खतरे से बचने के लिए सबको देना होगा साथ
आमजन को लॉकबंदी का समय लंबा अवश्य प्रतीत हो रहा है लेकिन ये भी मान रहा कि ये उसकी जीवन की सुरक्षा के लिए ही हो रही है। लोग ये भी मान रहे है कि कोरोना वायरस जैसी महामारी से स्वयं को एवं अपने परिवार व शहर को बचाने के लिए सरकार के कदमों व निर्देशों पर अमल करना ही होगा। ऐसा नहीं करने पर यहां भी इटली जैसे हालात न बन जाए इसका डर भी लोगों को सता रहा है। इसीके चलते अब हर आदमी स्वयं को अंदर घर में रखने के साथ दूसरों को भी सीधे एवं संदेशों के माध्यम से ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
लॉकबंदी में हम ये जरूर करें
– किसी भी कार्य से घर से बाहर निकले तो चेहरे पर मॉस्क लगाने के साथ कहीं भी खड़े रहने या बैठने पर नजदीकी व्यक्ति से कम से कम एक मीटर की दूरी अवश्य रखे।
-आवश्यक सेवाओं से नहीं जुड़े हुए है तो घर से घर से बाहर नहीं निकले।
– मोहल्ले या कॉलोनी में घर के आस-पास भी बात करनी हो तो मोबाइल का उपयोग कर ले।
– बिना कार्य घर से बाहर निकलने वालों को हतोत्साहित कर घर में जाने के लिए बोले।
– जो कार्य ऑनलाइन हो सकता हो उसके लिए घर से बाहर निकलने से बचे।
– -अति आवश्यक कार्य हो तो ही घर से बाहर निकले एवं कार्य होते ही तुंरत घर आ जाए।
– पुलिस एवं प्रशासन के निर्देशों को अपने हित में मान उसकी पालना जरूर करें।
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