बादलों के तरसाने अब कैसे करार्ई जाएगी कृत्रिम बारिश
चित्तौड़गढ़Published: Jul 26, 2019 04:13:31 pm
हिन्दुस्तान जिंक चित्तौैडग़ढ़,उदयपुर व राजसमन्द जिले में कराएगा क्लाउड सीडिंगअमरीका का एक कंपनी एयरक्रॉफ्ट के सहारे करेगी ये कार्यहिन्दुस्तान जिंक वर्ष २०१२ में भी करा चुका क्लाउड सीडिंग
बादलों के तरसाने अब कैसे करार्ई जाएगी कृत्रिम बारिश
चित्तौडग़ढ़. जुलाई माह का अंतिम सप्ताह आ गया है लेकिन मानसून की बेरूखी बन हुई है। ऐसे में सामान्य से कम बारिश का खतरा मंडरा रहा है। इस स्थिति में अब अब वेदान्ता समूह की हिंदुस्तान जिंक कंपनी मानसून में वर्षा की वृद्धि की संभावना तलाश रही है। इसके लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक से कृत्रिम वर्षा कराई जाएगी। कंपनी ने राजस्थान के चुनिंदा क्षेत्रों उदयपुर, चित्तौडग़ढ़ और राजसमंद में इस प्रक्रिया के लिए एक अमेरिकी कंपनी को आदेश दिए है। इससे मानसून की अनुकूल स्थिति बनने पर प्रभावित क्षेत्र में अतिरिक्त पानी पहुंचेगा। कृत्रिम बारिश की यह प्रक्रिया 25 जुलाई से 30 सितंबर के मध्य होगी। आकाश में घने बादल होने व अनुकूल परिस्थिति बनने पर अपेक्षाकृत अधिक बारिश हो सके इसके लिए एयरक्राफ्ट के माध्यम से बादलों पर विशेष रसायनों का छिड़काव कराया जाएगा। हिन्दुस्तान जिंक वर्ष २०१२ में भी जुलाई में मानूसन की इसी तरह की बेरूखी देख चित्तौडग़ढ़ व राजसमन्द जिले में क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग कर चुका है।
कैसे कराई जाएगी क्लाउड सीडिंग
हिंदुस्तान जिंक ने मानसून की अनुकूल स्थिति को प्रेरित करने या बढ़ाने के लिए बारिश के बादलों में विशिष्ट रसायनों का छिड़काव करके कृत्रिम बारिश बनाने के लिए क्लाउड सीडिंग कार्य करने एक विशेष विमान किराए पर लिया है। क्लाउड सीडिंग प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने के लिए कंपनी इस बार एक मौसम रडार का उपयोग करेगी जो कि बीजों के लिए उपयुक्त होने वाले बादलों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह जानकारी विमान के पायलट को दी जाती है जो वास्तव में क्लाउड में हाईग्रोस्कोपिक नमक इंजेक्ट करके क्लाउड सीडिंग करता है।
क्या है क्लाउड सीडिंग
क्लाउड सीडिंग मौसम संशोधन का एक रूप है जो हवा में नमक ;या अन्य रसायनोंद्ध को फैलाकर बादलों से गिरने वाली मात्रा या प्रकार को बदलने का प्रयास है। यह क्लाउड संक्षेपण के रूप में कार्य करता है जो क्लाउड के भीतर माइक्रोफि़जि़कल प्रक्रियाओं को बदल देता है। यह बाद में रडार, बादलों के निचले हिस्सों में फ्लेयर्स या विस्फोटक का उपयोग करते हुए विमान के फैलाव वाले लवण का उपयोग करके किया जाता है। पानी के साथ जुडऩे पर लवण आकार में बढ़ता है और इससे बारिश होती है।
क्लाउड सीडिंग कराने वाली हिन्दुस्तान जिंक प्रदेश की पहली कंपनी
पर्यावरण के प्रति सचेत रहने के साथ कंपनी संचालन को चलाने में स्वच्छ हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने की पहल करने वाले हिन्दुस्तान जिंक के लिए पानी का संरक्षण करना विशेष प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रहा है। हिंदुस्तान जिंक राजस्थान में पहली कंपनी है जिसने इस तरह के प्रयास किए है।
क्लाउड सीडिंग से क्या होगा लाभ
इस प्रक्रिया से सम्बन्धित क्षेत्र के उन किसानों को मदद मिलेगी जो अपनी फसलों के लिए वर्षा जल पर निर्भर हैं। बारिश का अतिरिक्त पानी भी क्षेत्र में पीने के पानी की कमी को कम करने में सहायक होगा।
वर्ष 2012 में क्या रहा मानसून का हाल
वर्ष 2012 में चित्तौडग़ढ़ जिले में जुलाई माह में मानसून की बारिश बहुत कम होने पर चिंता के बादल छा गए। ऐसे में उस समय भी बादलों की अनुकूल परिस्थितियां बनने पर अपेक्षाकृत अधिक पानी बरस सके इसके लिए हिन्दुस्तान जिंक ने एयरक्राफ्ट के सहारे क्लाउड सीडिंग कराई थी। इसके बाद अगस्त व सितम्बर में मानसून की जमकर बारिश हुई तो माना जाता है कि उसमें क्लाउड सीडिंग का भी लाभ मिला।
इस वर्ष जुलाई तक हाल 2012 जैसे
मौसम विभाग की दृष्टि से जुलाई-अगस्त मानसून का मुख्य समय माना जाता है। इस वर्ष जून में प्री-मानसून की जिले में अच्छी बारिश हुई लेकिन मानसून आगमन की घोषणा के बाद से ही बारिश का दौर थम सा जाने से जुलाई माह की बारिश के हालात तकरीबन वर्ष २०१२ के जुलाई माह जैसे हो गए है। इस वर्ष जिले में २५ जुलाई तक चित्तौडग़ढ़ में ३७० मिलीमीटर, गंगरार में २१७, राशमी में २२२, कपासन में ३६५, बेगूं में ३००, निम्बाहेड़ा में २४५, भदेसर में २६१, डूंगला में १९५, बड़ीसादड़ी में २६८, भूपालसागर में २८१ एवं भैसरोडग़ढ़ में १४६ मिलीमीटर बारिश दर्र्ज हुई है।