जानकारी के मुताबिक सभी गल्लो से 33,27,695 व देग से 24,500 रूपये प्राप्त हुए। चढावे मे चांदी की गाडी जिसमे वाईपर व टायर भी दर्शाये गए है आकर्षण का केन्द्र रही। चांदी के छोटे.बडे 23 छत्र, 5 झूले, 4 मकान, आंखे, आदमी व चांदी के कई आभूषण प्राप्त हुए, जिनका वजन एक किलो 230 ग्राम था। मान्यता है कि कोई व्यक्ति मन्नत कर दुआ करता है और उसकी मुराद बाबा हुजूर के सदके व वसीले से कबूल हो जाती है, तो वह अपनी इच्छा और वकतअनुसार बाबा को अर्पित करता है। किसी का कच्चा मकान पक्का बन जाता है, गाडी की किश्ते उतर जाती हैं बच्चे-बच्ची होने की खुशी में भी वह व्यक्ति चांदी के बने हुए झूले बाबाके चांदी के कटघरे मे बांध कर चला जाता है। जब मीटिंग होती है तब मेम्बर हजऱात के समक्ष उनको खोल कर उनका तोल किया जाता है।
दरगाह वक्फ कमेटी के सैक्रेट्री मोहम्मद यासीन खाँ अशरफी के अनुसार रविवार प्रात: 9 बजे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मंजूर खाँ, नायब तहसीलदार ईसाक मंसूरी, भू अभिलेख निरीक्षक मोहम्मद हारून शैख, निरीक्षक वक्फ बोर्ड जयपुर व दरगाह अधिशाषी अधिकारी रईस खाँ, वरिष्ठ लिपिक युसूफ खाँ, कनिष्ठ लिपिक रूपेन्द्र सिंह मीणा एवं दरगाह कमेटी सदस्यो अब्दुल वहीद, जेनुलहसन, हाजी अब्दुल शकूर, अशफाक तुर्किया, हाजी अब्र्दुरहमानए हाजी इस्माईल मंसूरी, सैयद अख्तर अली, असलम शैख, हाजी शरीफ, ईमरान मेवाती, नूर मामा व नगर के कई गणमान्य नागरिको के समक्ष गल्ले खोले गए।