scriptबाबा की दरगाह के गल्ले से निकला खजाना, साढ़े तैंतीस लाख रुपए और चांदी निकली | Huge amount and silver came out in offerings from Baba's Dargah | Patrika News

बाबा की दरगाह के गल्ले से निकला खजाना, साढ़े तैंतीस लाख रुपए और चांदी निकली

locationचित्तौड़गढ़Published: Nov 16, 2021 07:25:03 pm

Submitted by:

Brijesh Singh

प्रख्यात सूफी संत हजऱत दीवाना शाह साहब की दरगाह शरीफ पर स्थित सभी गल्ले व देग से 33,52,195 ( तैतीस लाख बावन हजार एक सौ पिचानवे रूपये ) एवं 1 किलो 230 ग्राम चांदी के आभूषण प्राप्त हुए।

बाबा की दरगाह के गल्ले से निकला खजाना, साढ़े तैंतीस लाख रुपए और चांदी निकली

बाबा की दरगाह के गल्ले से निकला खजाना, साढ़े तैंतीस लाख रुपए और चांदी निकली

कपासन. प्रख्यात सूफी संत हजऱत दीवाना शाह साहब की दरगाह शरीफ पर स्थित सभी गल्ले व देग से 33,52,195 ( तैतीस लाख बावन हजार एक सौ पिचानवे रूपये ) एवं 1 किलो 230 ग्राम चांदी के आभूषण प्राप्त हुए। मीटिंग हॉल मे रकम की गिनती पंचायत समिति प्रधान भेरू लाल चोधरी, पूर्व पार्षद राजू सोनी, अशरफ हुसैन, मोहम्मद हारून, जिला अल्पसंख्यक कांग्रेस अध्यक्ष ईम्तियाज लोहार, दरगाह दीवाना शाह मावि के प्रधानाध्यापक शब्बीर अहमद व ऑफिस सैक्रेट्री शफी मोहम्मद छीपा मय स्टॉफ की मौजूदगी में हुई।

जानकारी के मुताबिक सभी गल्लो से 33,27,695 व देग से 24,500 रूपये प्राप्त हुए। चढावे मे चांदी की गाडी जिसमे वाईपर व टायर भी दर्शाये गए है आकर्षण का केन्द्र रही। चांदी के छोटे.बडे 23 छत्र, 5 झूले, 4 मकान, आंखे, आदमी व चांदी के कई आभूषण प्राप्त हुए, जिनका वजन एक किलो 230 ग्राम था। मान्यता है कि कोई व्यक्ति मन्नत कर दुआ करता है और उसकी मुराद बाबा हुजूर के सदके व वसीले से कबूल हो जाती है, तो वह अपनी इच्छा और वकतअनुसार बाबा को अर्पित करता है। किसी का कच्चा मकान पक्का बन जाता है, गाडी की किश्ते उतर जाती हैं बच्चे-बच्ची होने की खुशी में भी वह व्यक्ति चांदी के बने हुए झूले बाबाके चांदी के कटघरे मे बांध कर चला जाता है। जब मीटिंग होती है तब मेम्बर हजऱात के समक्ष उनको खोल कर उनका तोल किया जाता है।

दरगाह वक्फ कमेटी के सैक्रेट्री मोहम्मद यासीन खाँ अशरफी के अनुसार रविवार प्रात: 9 बजे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मंजूर खाँ, नायब तहसीलदार ईसाक मंसूरी, भू अभिलेख निरीक्षक मोहम्मद हारून शैख, निरीक्षक वक्फ बोर्ड जयपुर व दरगाह अधिशाषी अधिकारी रईस खाँ, वरिष्ठ लिपिक युसूफ खाँ, कनिष्ठ लिपिक रूपेन्द्र सिंह मीणा एवं दरगाह कमेटी सदस्यो अब्दुल वहीद, जेनुलहसन, हाजी अब्दुल शकूर, अशफाक तुर्किया, हाजी अब्र्दुरहमानए हाजी इस्माईल मंसूरी, सैयद अख्तर अली, असलम शैख, हाजी शरीफ, ईमरान मेवाती, नूर मामा व नगर के कई गणमान्य नागरिको के समक्ष गल्ले खोले गए।

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