ब्रांडेड दवाईयां लिखी जा रही है। ऐसे में मरीज खाली हाथ ही रह जाता है। जबकि टेलीमेडिसिन की सेवा दे रहे चिकित्सक व कंपनी के केस गिन लिया जाता है। इधर केस कम होने पर उच्चाधिकारी की फटकार से बचने के लिए अस्पताल स्टाफ पर ओपीडी से जबरन मरीजो को बुलाकर उन्हें टेलीमेडिसिन के जरिए परामर्श दिलाने ले जाने का भी आरोप है।
चित्तौडग़ढ़ के सेंती निवासी एक युवक ने टेलीमेडिसिन के जरिए शुक्रवार को चर्म रोग विशेषज्ञ को दिखाया, 20 मिनट के बाद उसका नंबर आया। उसने बाल उडऩे की शिकायत की तो चिकित्सक ने मल्टी विटामिन की गोलिया लिखी, वह भी ब्रांडेड। जो अस्पताल में मिली ही नहीं।
टेली मेडिसिन की पर्ची पर नहीं देते दवा टेली मेडिसिन की पर्ची पर अस्पताल के डीडीसी काउंटर दवा नहीं देते है, वे पर्ची लेते ही कहते हैकि पहले ओपीडी पर्ची कटवाओ उस पर स्थानीय चिकित्सक से यह दवा लिखवाकर लेकर आओ, तब देखेंगे। कुछ मरीज ऐसा करते है फिर जाकर उन्हें एक या दो दवा मिल जाती है। क्योंकि अधिकांश तो ब्रांडेड दवा होती है।
विशेषज्ञों का दिन तय, लेकिन नहीं मिलते योजना में तय हैकि 11 से 4 बजे तक अलग अलग योजना के दिनवार विशेषज्ञ मिलेंगे, लेकिन अधिकांश समय जनरल सर्जन, एमबीबीएस या गायनी के चिकित्सक ही उपलब्ध हो पाते हैं। मरीज को 20 मिनट से एक घंटे तक इंतजार के बाद भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मिलते है।
गायनोक्लोजिस्ट, एमबीबीएस व एमडी चिकित्सक तो अस्पताल में ही मिल जाते है।ंयोजना के अनुसार सोमवार को अस्थि रोग व स्किन, मंगलवार को गेस्ट्रोलॉजिस्ट व कैंसर, बुधवार को एंडोकाइनोलॉजिस्ट व स्किन, गुरुवार को कार्डियोलोजिस्ट व पीएमआर, शुक्रवार को नेफ्रोलॉजिस्ट व न्यूरोलॉजिस्ट और शनिवार को कार्डियोलॉजिस्ट व यूरोलॉजिस्ट की सेवाएं मिलनी है।
वह जांच लिख देते हैजो अस्पताल में नहीं होती सीने में दर्द की शिकायत लेकर उदयराम रावल कार्डियोलॉजिस्ट को टेलीमेडिसिन के जरिए दिखाया, उन्होंने बिना कोई परामर्शके इको-टीएमटी करवाने को कह दिया। जबकि यह जांच अस्पताल में होती ही नहीं है। मरीज
उदयपुर जांच के लिए जाता हैतो वहीं दिखा आएगा।
एमडी फिजिशियन ने देखा चर्म रोग को रेफर कर दिया श्री सांवलियाजी चिकित्सालय में देवराज जाट बाल झडऩे की बीमारी के लिए टेलीमेडिसिन से परामर्शलेने पहुंचा, लेकिन एमडी फिजिशियन ने केस वीसी पर देखा और उसे चर्म रोग चिकित्सक को बताने को कह दिया।
बड़े सेंटर ले जाओ मरीज बनीराम जाट छाती में दर्द की शिकायत को लेकर आया तो उसे एमडी फिजिशियन ने देखा और बनीराम को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। इसी तरह शायरा बानो भी पेशाब में जलन की बीमारी के लिए टेलीमेडिसिन से परामर्शलेने पहुंची, उसे भी एमबीबीएस चिकित्सक ने देखा और रेफर कर दिया।
सुबह आठ से रात आठ तक सेवा योजना में सुबह आठ से रात आठ बजे तक ऑनलाइन परामर्शदेना है, लेकिन अस्पताल बंद हो जाने पर मरीज ही नहीं आते है। ऐसे में योजना सुबह नौ से शाम पांच तक सरकारी समय में ही चल रही है।
लाखो रुपए खर्चकर तैयार किया सेटअप चिकित्सालय में लाखों रुपए खर्च कर ऑनलाइन इलाज के लिए तकनीकी सेटअप व मशीनरी लगाईहै। इस कक्ष में डिजिटल ईसीजी, डिजिटल स्टेथेस्कॉप, डिजिटल डर्मोस्कॉप, पल्स ऑक्सोमीटर, थर्मामीटर और स्केनर लगाए गए है। इससे
जयपुर में बैठे विशेषज्ञ दिल की धडक़न, ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान व ऑनलाइन कम्प्यूटर देख सकते है।