गांधी नगर स्थित निजी बस स्टैंड पर स्थायी रूप से रैन बसेरा बना हुआ है, लेकिन यहं पर भी ताला लगा हुआ था।
स्थान: रेलवे स्टेशन समय: रात्रि 11.30
रात साढ़े ग्यारह बजे रेलवे स्टेशन स्थित रैन बसेरे पर पहुंचे तो जहां रैन बसेरा संचालित किया जाता, वहां पर ताला टूटा हुआ था। अंदर कपड़े बिखरे हुए थे और अंदर शराब की खाली बातलें भी पड़ी हुई थी। इस भवन के हालात देखकर ऐसा लगा जैसे यहां पर समाज कंटकों का जमावड़ा रहता हो। जबकि रेलवे स्टेशन क्षेत्र में सैकड़ों लोग फुटपाथ पर रात गुजार रहे थे।
जिला अस्पताल में संचालित रैन बसेरे पर पहुंचे तो वहां नजारा कुछ अलग ही था। जहां अस्पताल में मरीजों के परिजन वार्ड की गलियों में सो रहे थे और ठंड से कांप रहे थे तो दूसरी ओर यहां संचालित रैन बसेरे में दो व्यक्ति सोते हुए मिले। अंदर एक स्कूटी भी रखी हुई थी। रैन बसेरे का दरवाजा खोलने के लिए काफी देर तक आवाज लगाई लेकिन किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला। दरवाजा अंदर से बंद था।
रोडवेज बस स्टैंड पर हर साल नगर परिषद की ओर अस्थाई रूप से रैन बसेरा संचालित किया जाता है, लेकिन अब तक यहां पर इस रैन बसेरा शुरू नहीं किया गया जिसके चलते यहां पर कई लोग खुले में सोते हुए मिले। रोडवेज बस स्टैंड पर प्लेटफार्म पर कई लोग ठंड से बचाव करते हुए। कई ठंड से बचने के लिए अलाव का सहार लेते भी दिखे।