पालिका बोर्ड में कुल 25 पार्षदों में से 15 भाजपा, 7 कांग्रेस व 3 निर्दलीय हैं। मतों की संख्या का आंकड़ा तो भाजपा पार्षदों का ज्यादा है। लेकिन भाजपा पार्षदों में लंबे समय से चल रह खींचतान के चलते 9 भाजपा के पार्षदों ने भाजपा के बजाय कांग्रेस प्रत्याशी को मत दिया। जबकि मतदान स्थल पर 15 में से 9 भाजपा पार्षद मतदान करने एकसाथ गए थे। रिटर्निंग अधिकारी व उपखंड अधिकारी रामसुख गुर्जर ने बताया कि मतों की गणना के बाद कांग्रेस के धर्मेन्द्र को 19 तो भाजपा की अनुसुइया को 6 मत प्राप्त हुए। धर्मेन्द्र को 13 मतों से विजयी घोषित कर पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। विधायक राजेन्द्र सिंह विधूड़ी ने तिल्लानी को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया।
जिले की बड़ीसादड़ी नगरपालिका के अध्यक्ष पद के लिए गत वर्ष हुए उपचुनाव में भी रावतभाटा वाली ही स्थिति बनी थी। यहां भी नगरपालिका बोर्ड में भाजपा का बहुमत होने के बावजूद अध्यक्ष पद के लिए उपचुनाव हुए तो पार्टी ने प्रत्याशी ही नहीं उतारा। ऐसे में कांग्रेस के दिलीप चौधरी पार्टी का बहुमत नहीं होते हुए अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। उस घटनाक्रम के बाद भाजपा में जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगे लेकिन बहुमत होते हुए पालिकाध्यक्ष नहीं बना पाने के लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं करने से वैसा ही घटनाक्रम अब रावतभाटा में दोहरा दिया गया।
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कांग्रेस ने किया सत्ता का दुरूपयोग
रावतभाटा नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सत्ता का दुरूपयोग कर हमारे पार्षदों को प्रभावित किया। उन्हें डराने धमकाने का प्रयास भी किया गया। इसीके चलते बहुमत नहीं होने पर भी कांग्रेस का अध्यक्ष बन गया। हमारी पार्टी में गुटबाजी की शिकायते भी मिली है जिसको देखा जाएगा एवं कोई भी अनुशासन भंग करेगा तो कार्रवाई होगी।
रतनलाल गाडऱी, भाजपा जिलाध्यक्ष, चित्तौडग़ढ़