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विनाश के कगार पर मानव, महावीर दर्शन बचा सकता जीवन

locationचित्तौड़गढ़Published: Apr 16, 2019 12:47:58 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

मानवता को बचाने के लिए अहिंसा एक मात्र सर्वोत्तम उपाय है। अहिंसा वर्तमान समस्याओं को सुलझाने का सबसे अच्छा मार्ग है। मानव और दानव में अंतर अहिंसा और हिंसा का ही है। अहिंसा का व्यवहार ही मानव को सही अर्थों में मानव बनाता है।

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विनाश के कगार पर मानव, महावीर दर्शन बचा सकता जीवन

चित्तौडग़ढ़. मानवता को बचाने के लिए अहिंसा एक मात्र सर्वोत्तम उपाय है। अहिंसा वर्तमान समस्याओं को सुलझाने का सबसे अच्छा मार्ग है। मानव और दानव में अंतर अहिंसा और हिंसा का ही है। अहिंसा का व्यवहार ही मानव को सही अर्थों में मानव बनाता है। ये विचार अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं शोध केन्द्र चेन्नई के निदेशक डॉ. दिलीप धींग ने महावीर जैन मण्डल के तत्वावधान में महावीर जयंती महोत्सव के तहत आचार्य विद्यासागर मांगलिक धाम में महावीर दर्शन ”वद्र्धमान एवं वर्तमानÓÓ विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। डॉ. धींग ने शुरू में भक्ति शक्ति एवं आध्यात्म की नगरी चित्तौडग़ढ़ को नमन करते हुए कहा कि दानवीर भामशाह ने महावीर की अपरिग्रह सिद्धान्त को अपनाते हुए अपनी समस्त सम्पति महाराणा प्रताप को समर्पित करके मेवाड़ के इतिहास की धारा मोड़ दी। अर्थ उपार्जन के साथ उसका सही विसर्जन जरूरी है। आचार्य हरिभद्र सुरी के 1444 ग्रन्थों का उल्लेख करते हुए इस पर आगे शोध करने की आवश्यकता बताई। डॉ. धींग ने कहा कि महावीर ने सम्पूर्ण मानव जाति एक है” का एक अद्भूत सूत्र देकर सभी प्राणियों के प्रति आत्मवत् भाव रखने का संदेश दिया। ऐसा होने पर विश्व के सारे संघर्ष स्वत: समाप्त हो जाएंगे। जन मानस को भौतिकता से आध्यात्म की ओर ले जाने के लिए महावीर ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह एवं अनेकान्त को जीवन में अपनाने पर जोर दिया। आज का मानव विनाश के कगार पर खड़ा है और इससे बचने के लिए महावीर ने व्यक्ति को जीवन में मर्यादा एवं विवेक अपनाने को कहा।
राग-द्वेष का नाम ही हिंसा
विचार गोष्ठी में श्री जैन श्रमण संस्कृति संस्थान जयपुर के उपाचार्य किरण प्रकाश जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व में जहाँ भी अहिंसा की चर्चा की जाती है वहाँ महावीर दर्शन का उल्लेख प्रमुखता से
आता है।
राग-द्वेष का नाम ही हिंसा है। विचारों में अहिंसा का भाव हो। साधु को जहाँ मन, वचन, काया से अहिंसा का पूर्णतया पालन करना होता है वहीं ग़ृहस्थ को निरर्थक एवं संकल्पी हिंसा करने से बचने को कहा। इससे पूर्व विचार गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं महावीर जैन महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। मंडल अध्यक्ष महेन्द्र टोंग्या ने सभी का स्वागत किया। संयोजक डॉ. आर.एल. मारू ने गोष्ठी के विषय एवं अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया। सुनिता रांका ने गीतिका प्रस्तुत की।

प्रतिभाओं का किया सम्मान
विचार गोष्ठी में संयोजक सी.एम. रांका के निर्देशन में समाज की 38 प्रतिभाओं को उनकी विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ठ उपलब्धियों के लिए रजत पदक एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। मंडल के महासचिव अरविन्द ढीलीवाल ने आभार जताया। संचालन डॉ. नेमीचन्द अग्रवाल ने किया।
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