उप वन संरक्षक जाट ने बताया कि इस बार जिले के २९९ ग्राम पंचायत मुख्यालयों व शहरी क्षेत्र के आधे वार्ड क्षेत्र के लोगों को यह पौधे वितरित किए जाएंगे। वन विभाग ने पौधे तैयार करने का काम पूरा कर लिया है। इनके वितरण की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की जा रही है। ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर अस्थायी वितरण केन्द्र बनाए गए हैं। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई है, जो पौध वितरण कार्य को अंजाम देंगे। चित्तौडग़ढ़ शहरी क्षेत्र में भी कुल साठ वार्ड हैं। इनमें से आधे वार्डों में इन पौधों के किट वितरित किए जाएंगे।
घर-घर औषधि योजना के तहत रविवार से वितरित होने जा रहे औषधीय पौधों की व्यवस्थाओं को लेकर जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने भी व्यवस्थाओं का जायजा लिया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर तक पौधों के परिवहन एवं वितरण के लिए प्रभावी व्यवस्था करने और विभिन्न विभागों से समन्वय करने के निर्देश दिए।
राज्य में वन और वनों के बाहर हरियाली वाले क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की प्रजातियों की उपलब्धता रही है। जिनका उपयोग आदिकाल से आयुर्वेद तथा स्थानीय परंपरागत ज्ञान के अनुरूप स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा के लिए होता रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में जलवायु परिवर्तनए प्रदूषण और जीवनशैली में बदलाव के चलते लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त होते रहते हैं।
आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान व वनों में उपलब्ध औषधियों को लोगों के घरों, खेतों और निजी जमीनों के समीप उगाकर राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इस योजना का मुख्य ध्येय है। इस योजना से राजस्थान में पाई जाने वाली वनौषधियों एवं औषधीय पौधों का संरक्षण भी होगा। औषधि योजना एक साथ कई उद्देश्यों को समेटे हुए है। राज्य में औषधीय पौधों को उगाने के इच्छुक परिवारों को स्वास्थ्य रक्षण के लिए बहु उपयोगी औषधीय पौधे वन विभाग की पौधाशालाओं में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य रक्षण और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तथा चिकित्सा के लिए औषधीय पौधों की उपयोगिता के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए जन चेतना का विस्तार होगा। औषधीय पौधों के प्राथमिक उपयोग तथा संरक्षण व संवर्धन के लिए आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सहयोग से प्रमाण आधारित जानकारी उपलब्ध होगी।
जिले की 21 नर्सरी में कुल 14 लाख 41 हजार पौधे तैयार किए गए है। सबसे ज्यादा कपासन रेंज की नर्सरी में पौधे तैयार किए हैं। यहां लगभग 3 लाख 70 हजार 05, विजयपुर नर्सरी में 3502, विजयपुर की दूधीतलाई नर्सरी में 31 हजार 800, विजयपुर की उदपुरा नर्सरी में 4500, मंगलवाड़ में 98 हजार 538, सांवलिया जी में 50 हजार, निंबाहेड़ा उप जिला मुख्यालय में 50 हजार, कन्नौज में 65 हजार 760, अरनोदा में 40 हजार, बड़ीसादड़ी में 1 लाख 10 हजार 893, बाड़ी में 89 हजार 489, बेगूं के पारसोली में 31 हजार 200, लाडपुरा में 30 हजार 468, पिपलिखेड़ा में 30 हजार 600, सामरिया में 10 हजार, रावतभाटा के एकलिंगपुरा में 69 हजार 762, बोराव में 35 हजार 548, जावदा में 23 हजार 756, चित्तौडगढ़़ जिला मुख्यालय पर 1 लाख पौध, हथनी ओदी में 1 लाख और सेमलपुरा में 69 हजार 588 पौधे तैयार किए गए हैं।