मीरा की भूमि चित्तौैडग़ढ़ में उसको याद करने के आयोजन दो-तीन दि के आयोजन के सिमट कर रह गए है। ये आयोजन मीरा स्मृति संस्थान के माध्यम से होते है। इसकी स्थापना १९९० में हुई और पहली अध्यक्ष तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. मालोविका पंवार थी। इसके माध्यम से प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा पर मीरा महोत्सव मनाया जाता रहा। पहले इस संस्थान के पदेन अध्यक्ष जिला कलक्टर ही होते थे। कुछ वर्षेा पहले प्रशासनिक अधिकारियों के इस संस्थान से स्वयं को पृथक करने के बाद गैर सरकारी व्यक्ति सदस्य बनने लगा। वर्तमान में सेवानिवृत कॉलेज प्राचार्य एसएन समदानी अध्यक्ष एवं सीएम अर्जुनलाल मूंदड़ा सचिव है।
मीरा से पहचाने जाने वाले चित्तौडग़ढ़ शहर में उसके नाम पर मीरानगर कॉलोनी के साथ नगर परिषद परिसर में पार्र्क भी बना हुआ है। शहर में मीरा के नाम से बने इन स्थानों पर उसकी प्रतिमा नहीं लगी हुई है। दुर्ग स्थित मीरा मंदिर में भी मीरा की मूर्ति वर्ष २००२ में लगाई गई थी।
मीरा के मंदिर में अब भी प्रतिदिन शाम को दीपक जलाया जाता है। दुर्ग निवासी ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से उनके द्वारा मीरा महल में प्रतिदिन शाम को दीपक किया जाता है। उन्होंने बताया कि करीब ५७ साल पहले दीपक करने का जिम्मा उनके दादाजी को दिया था। इसके बदले उन्हें एक ट्रस्ट की ओर से पारिश्रमिक दिया जाता है।
मीरा स्मृति संस्थान का यहीं प्रयास है कि भक्तिमति मीरा की पहचान देश-दुनिया में कायम रहे। इसके लिए हर वर्ष मीरा महोत्सव आयोजन के साथ वर्ष में अन्य आयोजन भी कराने का प्रयास करते आए है। जिस मीरा ने हम पहचान दी उसकी विरासत सहज कर रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
एसएन समदानी, अध्यक्ष, मीरा स्मृति संस्थान, चित्तौडग़ढ़