एंबुलेंस में अब एक पैनिक बटन भी अनिवार्य रूप से लगवाना होगा, ताकि रास्ते में किसी तरह की परेशानी होने की स्थिति में मरीज के परिजन इस बटन का उपयोग कर सकेंगे। इस बटन के जरिए सूचना सीधी पुलिस और परिवहन विभाग तक पहुंचेगी। इसको अभय कमाण्ड सेंटर से भी जोड़ा जाएगा। यह लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा वाहन सॉफ्टवेयर से इंटीग्रट व नेटवर्किंग करते हुए परिवहन मुख्यालय जयपुर स्तर से मॉनिटरिंग की जाएगी। कोरोना महामारी के इस दौर में मरीजों और उनके परिजनों के लिए यह प्रयोग मददगार साबित होगा।
प्रदेश के प्रादेशिक परिवहन अधिकारियों और जिला परिवहन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में पंजीकृत एंबुलेंस वाहनों में एक माह में जीपीएस सिस्टम लगवाने होंगे। इसमें वाहनों में उसी के निर्माता की ओर से विशेष रूप से अनुमोदित एआईएस-१४० मानक का डिवाइस स्थापित किया जाना है। केन्द्रीय मोटरयान नियम १९८९ के नियम १२५ एच में सार्वजनिक सेवा यानों में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन लगाने के प्रावधान किए गए हैं। एंबुलेंस वाहनों को परिवहन यान की श्रेणी में रखा गया है, जो नागरिक सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है।
कोरोना काल में प्रदेश भर में एंबुलेंस धारकों की ओर से रोगियों से मनमाना किराया वसूलने और अभद्र व्यवहार की घटनाएं सामने आने के बाद सरकार में एंबुलेंस में जीपीएस सिस्टम लगाने के निर्देश दिए है।