आ गया अक्टूबर, विदा नहीं हुआ मानसूून
चित्तौड़गढ़Published: Sep 30, 2019 11:50:00 pm
सितम्बर माह भी बीत गया है लेकिन बारिश का दौर नहीं थमा है। मानसूनी बादल अब भी सक्रिय बने हुए है। जिले में सितम्बर माह के अंतिम दिन सोमवार को भी कुछ स्थानों पर रिमझिम तो कुछ जगह तेज बारिश हुई। चित्तौडग़ढ़ शहर में मेघ बरसे तो नहीं लेकिन बादल छाए रहे।
आ गया अक्टूबर, विदा नहीं हुआ मानसूून
जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष का संचालन 15 तक बढ़ाया
चित्तौडग़ढ़. सितम्बर माह भी बीत गया है लेकिन बारिश का दौर नहीं थमा है। मानसूनी बादल अब भी सक्रिय बने हुए है। जिले में सितम्बर माह के अंतिम दिन सोमवार को भी कुछ स्थानों पर रिमझिम तो कुछ जगह तेज बारिश हुई। चित्तौडग़ढ़ शहर में मेघ बरसे तो नहीं लेकिन बादल छाए रहे। दिन में कुछ समय धूप भी खिली लेकिन तेजी का अभाव रहा। जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार सुबह ८ से शाम ५ बजे की अवधि में राशमी में १५, गंगरार में ६ एवं डूंगला में ५ मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। सामान्यतया १५ सितम्बर तक विदा हो जाने वाला मानसून इस बार ३० सितम्बर तक भी सक्रिय है। अभी भी कुछ दिन और मेघों की सक्रियता बने रहने के आसार है। ऐसे में जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष की संचालन अवधि १५ अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि कई वर्षो बाद ऐसा मौका आया है जब बाढ़ नियंत्रण कक्ष अक्टूबर माह भी कार्र्य करेगा। सामान्यतया राज्य सरकार १५ जून से १५ सितम्बर तक सभी जिला मुख्यालयों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष का संचालन करती है। इसके बाद कभी मानसून विदाई में विलंब होने पर संचालन ३० सितम्बर तक बढ़ा दिया जाता है। इस अवधि तक मानसून की विदाई होती रही है, लेकिन इस बार मौसम विभाग ने अब तक मानसून की विदाई का ऐलान नहीं किया है।
सर्वाधिक बारिश बेगूं में तो सबसे कम डूंगला में
इस वर्ष मानसून में जिले में तकरीबन हर क्षेत्र में जमकर बारिश हुई है। एक जनवरी से ३० सितम्बर की अवधि में सर्वाधिक १८६४ मिलीमीटर बारिश बेगूं में हुई है तो केवल डूंगला तहसील क्षेत्र ही ऐसा है जहां इस अवधि में एक हजार मिलीमीटर से कम ८९७ मिलीमीटर बारिश हुई है।
तूफान की आशंका, बरते सावधानी
जिला कलक्टर ने गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय इमरजेंसी प्रतिक्रिया केन्द्र की ओर से मंगलवार को दक्षिणी राजस्थान में तेज हवा/तूफान/वर्षा की आशंका जताने के बाद सावधानी बरतने के निर्देश दिए है। उन्होंने प्राकृतिक आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी विभागों को सावचेत रहने के निर्देश दिए है।
गंभीरी बांध पर चल रही डेढ़ इंच की चादर
पानी की आवक कम होने पर जिले के सबसे बड़ी गंभीरी बांध के दोनों छोटे गेट बंद कर दिए गए लेकिन डेढ़ इंच की चादर अब भी चल रही है। घोसुण्डा बांध का एक गेट खोल जल निकासी जारी है। मानसून की मेहरबानी से इस बार जिले में अधिकतर जलाशय छलक रहे है।