scriptबेवाण यात्रा में भगवान संग खेली फाग | Played with God in Bewan Yatra | Patrika News

बेवाण यात्रा में भगवान संग खेली फाग

locationचित्तौड़गढ़Published: Sep 17, 2021 08:07:59 pm

Submitted by:

Avinash Chaturvedi

चित्तौडग़ढ़ भदेसर. चित्तौडग़ढ़ जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में जलझूलनी एकादशी पर शुक्रवार को भगवान के जयकारों के साथ गुलाल उड़ी और भक्तों ने भगवान के साथ फाग खेला। यहां बेवाण यात्रा भी निकली लेकिन वह भी सांकेतिक रूप से मंदिर परिसर में ही निकाली गई।

बेवाण यात्रा में भगवान संग खेली फाग

बेवाण यात्रा में भगवान संग खेली फाग

चित्तौडग़ढ़ भदेसर. चित्तौडग़ढ़ जिले के प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में जलझूलनी एकादशी पर शुक्रवार को भगवान के जयकारों के साथ गुलाल उड़ी और भक्तों ने भगवान के साथ फाग खेला। यहां बेवाण यात्रा भी निकली लेकिन वह भी सांकेतिक रूप से मंदिर परिसर में ही निकाली गई।
कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष भी केवल परंपराओं का निर्वहण किया जा रहा है। ऐसे में परंपराएं बनी रहे इसे लेकर सांकेतिक रूप से ही आयोजन हो हुए। इसी क्रम में श्री सांवलियाजी मंदिर में 3 दिन दिवसीय मेले की पूरे मेवाड़ में पहचान बनाने वाले प्रमुख दिवस के रूप में जलझूलनी एकादशी पर विशाल रजत रथयात्रा निकलती है, लेकिन इस बार भीड़ नहीं जुट पाई। यहां मंदिर में दोपहर 12 बजे राजभोग आरती के बाद भगवान के बाल विग्रह रूप को पुजारियों ने बेवाण में विराजमान किया। बाद में हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारों के साथ चांदी के बेवाण को बाहर लाकर रथ में स्थापित किया। मंदिर परिसर में ही बेवाण को घुमाया गया और परम्पराओं का निर्वहन किया गया। इस दौरान सांवलिया मंदिर मंडल के चेयरमैन कन्हैयादास वैष्णव, सदस्य भैरूलाल सोनी, भैरूलाल गाडरी, मदन व्यास, पुजारी परिवार के द्वारका दास, नारायण दास, भैरू दास, कमल दास मौजूद रहे।
कुई के पानी से भगवान व श्रद्धालुओं को कराया स्नान
इस बार भी शोभायात्रा की अनुमति नहीं थी। ऐसे में भगवान का जुलूस मंदिर परिसर में ही घुमाया गया। साथ ही मन्दिर में ही स्थित प्राचीन कुई के जल से भगवान को जल में झुलाया। भक्तों ने इसी जल में स्नान किया।
सिंहद्वार पर पहुंचा जुलूस
हर वर्ष तो सभी श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति होती है। लेकिन इस बार सरकार की गाइड लाइन की पालना में श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ऐसे में श्रद्धालु इस आस में सिंहद्वार पर खड़े थे कि उन्हें भगवान के दर्शन होंगे। कॉरिडोर में भ्रमण करते हुए जुलूस सिंहद्वार के निकट पहुंचा तो रथ को सिंहद्वार तक ले जाया गया। जहां भगवान के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
मंदिर बंद की थी सूचना, फिर भी सांवलिया धाम पहुंचे श्रद्धालु
कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने पहले ही सांकेतिक रूप से आयोजन होने और दो दिन मंदिर बंद रखने की सूचना विभिन्न माध्यम से लोगों को दे दी थी, लेकिन भगवान के प्रति श्रद्धा के कारण मंदिर बंद होने की सूचना मिल जाने के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग सांवलियाजी पहुंचे।
फिर लगा केरी का भोग
बांसी निवासी श्रद्धालु मोहन सिंह सोलंकी हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जलझूलनी एकादशी के अवसर पर अपने आम के पेड़ से कच्ची तथा पकी हुई कैरियां लेकर स्वयं यहां पहुंचे तथा भगवान के बेवाण पर भोग लगाया।
औपचारिकता में सिमटा प्राकट्य स्थल मंदिर का कार्यक्रम
भादसोड़ा के सांवलिया जी तथा प्राकट्य स्थल मंदिर के जलझूलनी एकादशी महोत्सव भी औपचारिकता में सिमट गया। बागुंड, भादसोड़ा तथा प्राकट्य स्थल मंदिर के ठाकुर जी एक साथ जल में झूलते हैं लेकिन इस बार बिना जुलूस के भादसोड़ा मंदिर के ठाकुर जी ट्रैक्टर में सवार होकर गिने चुने श्रद्धालुओं के साथ पहुंचे तथा जल में स्नान किया।
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