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सांवलियाजी मंदिर के सिंहद्वार पर पुलिस, चौराहों पर किस लिए पसरा सन्नाटा

locationचित्तौड़गढ़Published: Aug 12, 2020 11:39:38 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

मेवाड़ के ख्यातनाम कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर के ढाई शताब्दी के इतिहास में पहला अवसर था जब कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तों ने सांवलिया सेठ के जयकारे नहीं लगाए। जन्माष्टमी तो इस बार भी मनाई गई लेकिन कोरोना संकट के चलते मंदिर को भक्तों के लिए बंद रखने ने पूरा नजारा बदल दिया। जिन मार्गो पर जन्माष्टमी के दिन पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी वहां पूरा कस्बे में सन्नाटा पसरा हुआ रहा।

सांवलियाजी मंदिर के सिंहद्वार पर पुलिस, चौराहों पर किस लिए पसरा सन्नाटा

सांवलियाजी मंदिर के सिंहद्वार पर पुलिस, चौराहों पर किस लिए पसरा सन्नाटा

चित्तौडग़ढ़/भदेसर.मेवाड़ के ख्यातनाम कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर के ढाई शताब्दी के इतिहास में पहला अवसर था जब कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्तों ने सांवलिया सेठ के जयकारे नहीं लगाए। जन्माष्टमी तो इस बार भी मनाई गई लेकिन कोरोना संकट के चलते मंदिर को भक्तों के लिए बंद रखने ने पूरा नजारा बदल दिया। जिन मार्गो पर जन्माष्टमी के दिन पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी वहां पूरा कस्बे में सन्नाटा पसरा हुआ रहा। सांवलियाजी मंदिर वाले मंडफिया कस्बे को जोडऩे वाली सीमाएं सील रही। इस बात की चौकसी होती रही कि भक्त किसी भी तरह से मंदिर तक नहीं पहुंच जाए। स्थानीय लोग तो छोटे-छोटे तंग रास्तों से मंदिर के बाहर तक पहुंचते रहे लेकिन बाहरी लोगों के मण्डफिया कस्बे में मंदिर तक पहुंचने के हर मार्ग पर नाकेबंदी रही। अघोषित कफ्र्यू जैसा नजारा रहा। हर वर्ष जन्माष्टमी की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती है क्योंकि जन्माष्टमी के कुछ दिन बाद ही तीन दिवसीय जलझूलनी एकादशी मेला भी होता है। इसलिए मंदिर प्रशासन दोनों उत्सव की तैयारी साथ ही करता है। साथ ही कस्बे के सभी दुकानदार भी इन दोनों उत्सवों के लिए खरीदारी थोक में कर लेता है। इन मौकों पर भगवान की छवि, माला, प्रसाद के साथ मनिहारी सामग्री व खिलौने आदि सामग्री भी खूब बिकती हैं। व्यापारी महाराष्ट्र,गुजरात, दिल्ली, मध्प्रदेश आदि से यह सामग्री खरीद कर लाते हैं। इस बार कोरोना संकट के चलते व्यापारी कहीं नहीं गए।
प्रसाद की बिक्री नहीं होने से दुकानदार मायूस
जन्माष्टमी पर श्रद्धालु नहीं पहुंचने से मण्डफिया के दुकानदार मायूस रहे। लॉकडाउन के कारण चार माह से अधिक समय से मंदिर बंद रहने से मंदी का सामना कर रहे प्रसाद व पूजा सामग्री विक्रेताओं को उम्मीद थी कि जन्माष्टमी व जलझुलनी एकादशी जैसे मौकों पर भीड़ उमडऩे पर सब भरपाई हो जाएगी। इन अवसरों पर मंदिर को भक्तों के लिए बंद कर देने से से उनमें निराशा दिखाी। शामलाजी मंदिर के बाल भोग प्रसाद काउंटर पर जन्माष्टमी के 3 दिनों में 15 लाख से ज्यादा की प्रसाद की बिक्री होती है लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद मंदिर प्रशासन ने प्रसाद बनाना बंद कर रखा है।
नहीं गूंजे सांवलिया सेठ के जयकारे
सांवलियाजी मंदिर जन्माष्टमी पर भक्तों के लिए बंद होने कर सूचना मीडिया, सोशल मीडिया आदि में छाई होने से बुधवार को यहां पर गिने चुने कुछ पदयात्री ही पहुंचे। ये यात्री मंदिर मंदिर के सिंह द्वार की पैड़ी पर मत्था टेक कर रवाना हो गए।जन्माष्टमी पर राजस्थान सहित आसपास के राज्यों से भी पदयात्री ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते हुए यहां पहुंचते हैं। सांवलिया सेठ के जयकारे तथा हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जयकारे दिनभर गूंजते है लेकिन बुधवार को जन्माष्टमी पर मंदिर परिसर में केवल पुजारी व सुरक्षाकर्मियों के अलावा कोई मौजूद नहीं रहा।
नहीं आ पाई भजन मंडलिया
जन्माष्टमी पर्व पर आने वाले पदयात्री अपने साथ भजन गायक व साज आवाज की सामग्री लेकर आते हैं। मंदिर की धर्मशाला,होटल, गेस्ट हाउस तथा मंदिर मंडल निर्मित डोम पर दिनभर भजन के आयोजन इन भजन मंडलियों द्वारा होते है। इस बार सभी धर्मशालाएं व डोम खाली पड़े हुए हैं वहीं रात्रि में होने वाली बड़ी भजन संध्या के आयोजन भी इस बार नहीं हो पाए।
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