पुजारी का दावा मंदिर के पीछे देखा पैंथर, डीएफओ ने की जरख के पगमार्क की पुष्टि
चित्तौड़गढ़Published: Sep 21, 2019 10:00:42 pm
शहर में बूंदी मार्ग स्थित खामखा बालाजी मंदिर क्षेत्र में मादा पैंथर और दो शावकों के विचरण करने के पुजारी के दावे के बाद शनिवार को उप वन संरक्षक वन्यजीव ने बस्सी रेंजर के नेतृत्व में वन विभाग की एक टीम को मौके पर भेजा। करीब दो किलोमीटर के दायरे में सघन तलाशी के दौरान वहां जरख और उसके शावक के पगमार्क मिले।
पुजारी का दावा मंदिर के पीछे देखा पैंथर, डीएफओ ने की जरख के पगमार्क की पुष्टि
चित्तौडग़ढ़
शहर में बूंदी मार्ग स्थित खामखा बालाजी मंदिर क्षेत्र में मादा पैंथर और दो शावकों के विचरण करने के पुजारी के दावे के बाद शनिवार को उप वन संरक्षक वन्यजीव ने बस्सी रेंजर के नेतृत्व में वन विभाग की एक टीम को मौके पर भेजा। करीब दो किलोमीटर के दायरे में सघन तलाशी के दौरान वहां जरख और उसके शावक के पगमार्क मिले।
जानकारी के अनुसार खामखा बालाजी के पुजारी बालूदास ने दावा किया कि तीन दिन पहले तड़के करीब चार बजे मंदिर के पीछे कुत्तों के भोंकने की आवाज आई। आवाज सुनकर वे बैटरी लेकर बाहर निकले मंदिर के पीछे जाकर देखा तो पैंथर कुत्ते का शिकार करने का प्रयास कर रहा था, जिसे उन्होंने भगा दिया। पुजारी का दावा है कि पिछले तीन दिन से क्षेत्र में पैंथर और उसके दो शावक विचरण कर रहे है। बालूदास ने बताया कि दो दिन पहले मानपुरा निवासी युवक नवल कुमावत शौच के लिए आया था, तभी उसे दो शावक दिखाई दिए। शावक को देखते ही नवल भागकर मंदिर की तरफ आ गया और पुजारी को इस बारे में बताया। मंदिर के व्यवस्थापक परसराम टेलर को भी इस संबंध में जानकारी दी गई।
डीएफओ ने भेजी टीम
खामखा बालाजी मंदिर क्षेत्र में पैंथर और दो शावकों के विचरण करने की सूचना पर उप वन संरक्षक वन्यजी सविता दहिया ने शनिवार को बस्सी रेंजर नरेन्द्र विश्नोई के नेतृत्व में वन विभाग की टीम को खामखा बालाजी मंदिर भेजा। टीम के सदस्य ट्रेंक्यूलाइज गन के साथ मौके पर पहुंचे और मंदिर के आसपास के करीब दो-तीन किलोमीटर के घने वन क्षेत्र में पैंथर और शावक की तलाश शुरू की। उप वनसंरक्षक दहिया ने बताया कि मंदिर से कुछ दूरी पर जरख और उसके शावक के पगमार्क टीम के सदस्यों को दिखाई दिए हैं। प्रारंभिक तौर पर वहां जरख और उसके शावक के विचरण करने की पुष्टि हो गई है।
अक्सर भ्रमित हो जाते है लोग
उप वन संरक्षक दहिया ने बताया कि पैंथर और जरख में अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं। दोनों का रंग और काली धारियां मिलती-जुलती होने के कारण लोग जरख को ही पैंथर समझ बैठते हैं, लेकिन पगमार्क देखने से जरख और पैंथर की पुष्टि हो जाती है। पैंथर के पगमार्क गद्दीदार चौड़े और बड़े होते है। जबकि जरख के पगमार्क आगे से तीखे होते हैं। गौरतलब है कि बूंदी मार्ग पर खामखा बालाजी मंदिर से सटे वन क्षेत्र से ही कुछ साल पहले एक जरख जख्मी हालत में मुख्य सड़क पर आ गया था, जिसका एक पैर फंदे में फंसा हुआ था। बाद में वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर पैर से फंदा निकालने के साथ ही उसका उपचार करवाकर उदयपुर भिजवा दिया था। इसी वन क्षेत्र में आसपास के इलाके से महिलाएं और पुरूष शौच के लिए आते हैं। ऐसे में हिंसक वन्यजीव में शुमार जरख भी उन पर हमला कर सकता है। ऐसे हालात में जब मादा जरख शावकों के साथ हो तो हमले की आशंका और ज्यादा बढ जाती है। डीएफओ ने लोगों से अपील की है कि वे वन क्षेत्र के घने जंगल में नहीं जाएं।