scriptअयोध्या पहुंच 28 वर्ष पहले देखा था जो सपना अब होगा साकार | Reached Ayodhya 28 years ago, which dream will now be realized | Patrika News

अयोध्या पहुंच 28 वर्ष पहले देखा था जो सपना अब होगा साकार

locationचित्तौड़गढ़Published: Aug 04, 2020 10:42:51 pm

Submitted by:

Nilesh Kumar Kathed

अयोध्या में बुधवार को भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले शिलान्यास ने 28 वर्ष पहले वहां कारसेवा के लिए पहुंचे कारसेवकों के मन में विस्मृतियां ताजा कर दी है। कारसेवक अब भी वो दिन नहीं भूल पाए है। ऐसे ही एक कारसेवक चित्तौडग़ढ़ निवासी राकेश सेठिया भी है जो उस समय 18 वर्ष की उम्र में वहां पहुंचे थे। सेठिया का कहना है उनके जीवन का वो सपना पूरा होने जा रहा है जिसकी मात्र कल्पना ही शेष थी।

अयोध्या पहुंच 28 वर्ष पहले देखा था जो सपना अब  होगा साकार

अयोध्या पहुंच 28 वर्ष पहले देखा था जो सपना अब होगा साकार

चित्तौडग़ढ़. अयोध्या में बुधवार को भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले शिलान्यास ने 28 वर्ष पहले वहां कारसेवा के लिए पहुंचे कारसेवकों के मन में विस्मृतियां ताजा कर दी है। कारसेवक अब भी वो दिन नहीं भूल पाए है। ऐसे ही एक कारसेवक चित्तौडग़ढ़ निवासी राकेश सेठिया भी है जो उस समय 18 वर्ष की उम्र में वहां पहुंचे थे। सेठिया का कहना है आज उनके जीवन का वो सपना पूरा होने जा रहा है जिसकी मात्र कल्पना ही शेष थी। उन्हें आज भी वो दिन याद है जब 6 दिसम्बर 1992 को राममंदिर निर्माण के लिए अयोध्य कारसेवको पहुंचने का आह्वान हुआ था। चित्तौडग़ढ़ से भी कई लोग उस कारसेवा के लिए गए। उसी जत्थे वे भी शामिल थे। उम्र कम होने से अयोध्या जाने के लिए परिवार के सामने काफी अनुनय विनय के बाद स्वीकृति मिल पाई। परिजनों ने टीका तिलक द्वारा विदाई दी। चित्तौडग़ढ़ के मुख्य बाजार से एक जुलूस निकला जिसमें सभी कारसेवक शामिल थे । रेलवे स्टेशन पर शहरवासियों ने कारसेवा के लिए जाने वालों को विदा किया। चित्तौैड़ से सीधे कोटा की ट्रेन में सवार हुए।कोटा से लखनऊ ओर लखनऊ से फैजाबाद रेल यात्रा के माध्यम से पहुंचे ।पूरे रास्ते राम के गीत,रामधुन, भजन,कीर्तन का कार्य चलता रहा। सेठिया याद करते है कि किस तरह कठिन परिस्थितियों में वे सभी फैजाबाद से अयोध्या पहुंचे। रात्रि विश्राम खुली जगह में किया। पांच दिसंबर को सुबह उठ अयोध्या की सकडी गलियों में कई मंदिरों के दर्शन किए। विवादस्पद स्थल पर पुलिस प्रशासन का पहरा था। पूरी रात मंदिर की घंटियों की जगह पुलिस के गाडिय़ों के सायरन ही बज रहे थे।खैर जैसे तेसे रात निकाली और सुबह का इंतजार करने लगे। उन्हें याद है कि ६ दिसबंर को सुबह से मंदिर स्थल के यहां कारसेवकों की भीड़ बढऩे लगी। सैकड़ों मीटर दूर पड़े रेत, ईट,पत्थर को लाने के लिए दो सो चार सौ लोगों की लाइन लग गई और चालू हुआ चबूतरा निर्माण। हजारों लोगो ने कड़ी धूप में निर्माण में सहयोग करके भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा को समर्पित किया। शाम के समय सभी कारसेवकों को अयोध्या छोडऩे का आदेश आ गया । आपाधापी में तुरंत जैसे तैसे जो भी साधन मिला उससे निकाल दिए गए। हम भी लखनऊ की एक ट्रेन में सवार होकर निकल पड़े। लखनऊ से कोटा होते हुए चित्तौड़ पहुंचे। उन्हें खुशी है कि 28 वर्ष पहले उस स्थल पर भव्य राममंदिर निर्माण का जो सपना देखा था वो ५ अगस्त को साकार होने जा रहा है।
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