scriptकभी सर्द हवा, कभी तेज धूप, बिगाड़ रही सेहत | Sometimes cold air, sometimes strong sun, deteriorating health | Patrika News

कभी सर्द हवा, कभी तेज धूप, बिगाड़ रही सेहत

locationचित्तौड़गढ़Published: Nov 07, 2019 11:33:28 pm

Submitted by:

Kalulal

कभी सर्दी, कभी गरमी के मौसम ने सेहत नासाज कर दी है। नवंबर का पहला सप्ताह मेंं भी वायरल, सर्दी-जुकाम का प्रकोप बना हुआ है। रात में सर्द हवाएं चलती है तो दिन में धूप के तेवर तीखे बने हुए है।

कभी सर्द हवा, कभी तेज धूप, बिगाड़ रही सेहत

कभी सर्द हवा, कभी तेज धूप, बिगाड़ रही सेहत

जिला चिकित्सालय में लग रही है रोगियों की कतार लग रही है
वार्डों में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है
चित्तौडग़ढ़. कभी सर्दी, कभी गरमी के मौसम ने सेहत नासाज कर दी है। नवंबर का पहला सप्ताह मेंं भी वायरल, सर्दी-जुकाम का प्रकोप बना हुआ है। रात में सर्द हवाएं चलती है तो दिन में धूप के तेवर तीखे बने हुए है। मौसम के इस मिजाज से जिला चिकित्सालय में रोगियों की लंबी कतार लग रही है। ऐसे समय चिकित्सकों के रिक्त पद कोढ़ में खाज का कार्य कर रहे है। जिला चिकित्सालय से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक पर रोगियों की भीड़ बढ़ गई है। मौसम के बदलने से वायरल, सर्दी जुकाम के पीडि़तों की संख्या सबसे अधिक बढ़ी है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या आउटडोर में डेढ़ हजार से अधिक पहुंच गई है। मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ मेल मेडिकल व फिमेल मेडिकल वार्ड में प्रतिदिन औसत ३०-३५ नए मरीज भर्ती हो रहे है। जिला अस्पताल के खुलते ही ओपीडी पर पर्ची कटवाने के लिए मरीजों की लाईन लग जाती है। जिले में डेगूं से ग्रसित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। वार्डों में अधिक मरीजों के भर्ती होने से उनके परिजनों की संख्या भी बढऩे से भीड़ एकत्रित हो जाती है। भर्ती होने वाले मरीजों में वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या अधिक है।
चिकित्सकों के रिक्त पद बने चुनौती
चित्तौडग़ढ़ के सांवलियाजी राजकीय जिला चिकित्सालय सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे है। जिला चिकित्सालय में करीब पचास प्रतिशत पद रिक्त है। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सक नहीं होने से नर्सिंग कर्मचारियों के भरोसे ही काम चल रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को चिकित्सा सेवा के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। चिकित्सकों की कमी से लोग निजी चिकित्सालयों में जाने को भी मजबूर हो रहे है। जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं ऐसे में कई बार गंभीर रोगी को भी सूय पर उपचार नहीं मिल पाता है और उसकी जान पर बन आती है।
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