चित्तौड़गढ़

कहीं अतिवृष्टि से खराब हो गई फसलें, कहीं खाली भी रह गए जल स्त्रोत

चित्तौडग़ढ़ भदेसर. भदेसर उपखंड के गांवों में अबकी बार यह कैसी बारिश है कि एक ओर अतिवृष्टि होकर फसलेंं नष्ट हो चुकी है, लेकिन इस क्षेत्र के अधिकांश जलाशय व वागन नदी को छोड़कर अधिकांश नदी, नालों के पेटे खाली पड़े हैं।

चित्तौड़गढ़Sep 22, 2021 / 10:25 pm

Avinash Chaturvedi

कहीं अतिवृष्टि से खराब हो गई फसलें, कहीं खाली भी रह गए जल स्त्रोत

चित्तौडग़ढ़ भदेसर. भदेसर उपखंड के गांवों में अबकी बार यह कैसी बारिश है कि एक ओर अतिवृष्टि होकर फसलेंं नष्ट हो चुकी है, लेकिन इस क्षेत्र के अधिकांश जलाशय व वागन नदी को छोड़कर अधिकांश नदी, नालों के पेटे खाली पड़े हैं।
फसल पकने के बाद निरंतर हो रही बरसात से किसानों की अधिकांश फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। इस बार भदेसर क्षेत्र के गांव में बोवनी योग्य बरसात का प्रथम दौर 7 जून के आसपास शुरू हुआ था। दूसरा दौर 20 जून के आसपास शुरू हुआ था। इस क्षेत्र के अधिकांश गांवों में जून के दूसरे व चौथे सप्ताह में बुवाई कार्य हो गया था। किसानों ने अधिकांश बुवाई ऐसी फसलों की की जो कम अवधि में पक कर तैयार हो जाती है। इससे मक्का व सोयाबीन सितंबर के पहले सप्ताह में ही पक चुकी थी। मूंगफली 15 सितंबर के बाद पकने लगी। इस बीच आधा जुलाई व आधा अगस्त बिना बरसात के गुजर गया। जब अधिकांश फसलें पकाव की स्थिति में पहुंची और लगातार झमाझम बरसात का दौर शुरू हो गया, लेकिन यह बरसात भी खंडवृष्टि के रूप में होने से भदेसर क्षेत्र के गांव से होकर गुजर रही बांकली नदी में पानी की आवक हुई थी, लेकिन अगस्त खाली बीतने के कारण यह पूरी नदी सूख गई। सितंबर के पिछले सप्ताह गांगली नदी में पानी की आवक होने से वागन नदी भी बह निकली। ऐसे कई छोटे-बड़े बरसाती नाले आज भी सूखे पड़े हैं। बेड़च आज भी सूखी पड़ी है। गंगारिया तालाब में अवश्य पानी की अच्छी आवक हुई है। सांवलिया सरोवर तालाब में एक डेढ़ मीटर से ज्यादा पानी की आवक नहीं हुई है। लौहारिया, भादसोड़ा, नपानिया, रेवलिया, कंथारिया, आसावरा व भदेसर के हमेर सागर में 30 प्रतिशत भी पानी की आवक भी नहीं हुई है।
क्या कहते हैं किसान
दोथडी खेड़ा के किसान पूरणमल गाडरी का कहना है कि खंड वृष्टि के कारण सभी नदियों में पानी की आवक नहीं होने व कुछ तालाब खाली रहने के कारण फसलों की अच्छी पैदावार होने की आशा कम है। कुरेठा गांव के भैरू लाल व शंकर लाल गुर्जर, घोड़ाखेेड़ा के शंकर लाल पाटीदार का मानना है कि जब तक तालाब में पानी की अच्छी आवक नहीं होगी आगामी फसल अच्छी होने के आसार नहीं है। इनका यह भी कहना कि यह फसल नष्ट हो चुकी है। कम से कम आगामी फसल अच्छी हो, यह आस संजोए किसान बैठे हैं।
भूमिगत जल स्तर बढ़ा
खंडवृष्टि के बावजूद अधिकांश नलकूपों व कुओं में पानी की आवक हुई है लेकिन किसानों का मानना है कि जब तक तालाबों व नदी नालों में पानी की आवक नहीं होती है भूमिगत जल स्तर अस्थाई माना जाता है। अगली फसल के लिए जलाशयों में पानी की आवक होना बहुत जरूरी है वरना किसान गेहूं का पर्याप्त रकबा बुवाई नहीं कर पाएंगे।
सरसों की बुवाई की आस क्षीण
किसानों ने गत वर्ष अकाल की चपेट में आने के कारण इस वर्ष अधिकांश कम अवधि की फसल बुवाई की थी। इस कारण आगामी फसल में सरसों की ज्यादा बुवाई की जाएगी लेकिन लगातार बारिश के कारण सरसों की बुवाई का समय बीता जा रहा है क्योंकि खेतों को सूखने में अब काफी समय लग सकता है।

Home / Chittorgarh / कहीं अतिवृष्टि से खराब हो गई फसलें, कहीं खाली भी रह गए जल स्त्रोत

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.