राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एमबीबीएस की सौ सीटों के लिए अनुमोदन को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक वर्ष २०२२-२३ के लिए बैच शुरू करने का अनुमति पत्र जारी किया है। साथ ही मानदंडों के अनुसार शिक्षण और गैर शिक्ष्ज्ञण कर्मचारियों, भवन, उपकरण और अस्पताल सहित बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने को कहा गया है। औपचारिक अनुमति तक किसी भी छात्र को इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं मिलेगा। मेडिकल कॉलेज का दायित्व होगा कि आयोग की ओर से समय-समय पर जारी परिपत्र में दिए गए समय में प्रवेश संबंधी जानकारी प्रस्तुत करनी होगी।
१६.६० हैक्टेयर क्षेत्र में बनने वाले मडिकल कॉलेज के भवन निर्माण के लिए ३२५ करोड़ रूपए स्वीकृत किए थे। इसमें साठ प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार और चालीस प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार का है। मेडिकल कॉलेज के लिए दस हैक्टेयर जमीन आवंटित हुई। कॉलेज भवन निर्माण के लिए १४८.३ करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए थे। अब इसी परिसर में अस्पताल निर्माण के लिए सौ करोड़ रूपए मंजूर कर दिए गए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पद पर डॉ. विजय गुप्ता को नियुक्त किया जा चुका है।
मेडिकल कॉलेज के लिए ८८ नए पद स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें प्रोफेसर के ६, एसोसिएट प्रोफेसर के २०, सहायक प्रोफेसर के २४ तथा सीनियर रेजीडेंट के ३८ पद स्वीकृत हो चुके हैं।
चित्तौडग़ढ़ में मेडिकल कॉलेज शुरू होने का सबसे बड़ा फायदा जिले के लोगों और जिले की सीमा से जुड़े मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों के लोगों को बेहतर उपचार के लिए दूर-दराज नहीं जाना पड़ेगा। उन्हें यहीं पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं मिल सकेगी। इसके अलावा शहर में मेडिकल संसाधनों का विस्तार होने से युवाओं को रोजगार मिलेगा। साथ ही दवा कारोबार भी बढेगा। मेडिकल कॉलेज शुरू होने से निजी क्षेत्र में भी एमआरआई जैसी सुविधाएं शुरू हो सकेगी। इससे लोगों के समय की बचत के साथ ही गंभीर रोगियों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी। चित्तौडग़ढ़ की पहचान अब तक सिर्फ पर्यटन के लिहाज से चित्तौड़ दुर्ग और सीमेन्ट उद्योगों के कारण होती रही है। अब हमारा शहर जल्द ही मेडिकल हब बन जाएगा।
-१६.६० हैक्टेयर क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज
-चार अक्टूबर २०१९ को मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुआ।
-नौ मई २०२१ को भूमि का शिलान्यास।
– ३२५ करोड़ रूपए स्वीकृत
-१०५ करोड़ रूपए नए अस्पताल के लिए स्वीकृत और अब सौ करोड़ रूपए की मंजूरी
-सरकार ने की प्रधानाचार्य की नियुक्ति