एक तरफ सभापति संदीप शर्मा ने जहां मीडिया को पिछले बोर्ड के निर्णय संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाए हैं, वहीं तत्कालीन सभापति सुशील शर्मा का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में शिवाजी सर्कल के सौन्दर्यीकरण व संपूर्ण विकास का प्रस्ताव तैयार किया था। मोक्षधाम की दीवार तोडऩे का प्रस्ताव तैयार नहीं किया था। जबकि दस्तावेज में मोक्षधाम का कुछ हिस्सा हटाने की आवश्यकता होने का स्पष्ट उल्लेख किया हुआ है। यह बात भी सामने आई है कि कुछ पार्षदों ने अपने इलाके में भूखण्डों के नियम विरूद्ध पट्टे जारी करने का सभापति पर दबाव बनाने का प्रयास किया था, लेकिन सभापति ने दो टूक कह दिया था कि नियम विरूद्ध काम वह नहीं करेंगे, इस बात को लेकर भी दबाव बनाने के तरीके ढूंढे जा रहे हैं।
सभापति ने कहा कि सेतु मार्ग पर नगर परिषद के पिछले कांग्रेस बोर्ड ने एक भूखण्ड नीलाम किया था। इसको नाले की जमीन बताते हुए एक पार्षद ने न्यायालय में याचिका लगाई थी और बाद में विड्रो कर ली। कोई ऐसा क्यों करता है, यह सबको पता है। यह भी जांच का विषय है।